रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न
कभी हर शाम उसके मोहल्ले से ,गुजरना होता था,घर के पास उसके कुछ पल, ठहरना होता था.जब घड़ी सांझ को ,छह बजाया करती थी, धीरे से वो छिपते छिपाते, छतपर आया करती थी.बडे प्यार मुझको दिल का,
“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल
गगन के नीचे पावन धरा पर खड़े हुए।अश्क है खुशी के चक्षु में अरमान दिल में रखते हुए।गवाह है चांद तारे उजियाली रात में।हम दोनों अकेले है प्यार की इस रात में।।सजाया है प्यार का सदन, फूलों के जमन जैसा।सुबा
काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था
पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो
रिवांश उसके ऐसे कहने पर वो अपूर्वा को अपने तरफ खींच कर उससे कहा — ओह ! अच्छा मुझे तो नहीं लग रहा है कि मैं दुबला हुआ हूँ , और मेरा चेहरा भी अजीब हो गया है । तुम्हें कैसे लग रह
अपूर्वा रिवांश से अपना हाथ छुड़ा कर उसके थोड़ा करीब गई और उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहीं — चोट जिस्म पर लगे या रूह पर ... तकलीफ तो बराबर ही होती है ... फर्क सिर्फ इतना होता है कि जिस्म पर लगे चोट ,
रिवांश अपूर्वा के पास जाकर उससे बोलना शुरू किया — अम्म ... मुझे ... वो ... अपू .... इतना सुनकर अपूर्वा रिवांश के तरफ देखती है । रिवांश उसकी बिल्कुल करीब था । अपूर्वा रिवांश को डरे हुए देखकर अपने
देखते - देखते कब 2 साल बित गया , पता नही चला । इस बीच रिवांश और अपूर्वा एक दूसरे से बिल्कुल भी बात नहीं किये थे । हाल्की रिवांश कई बार कोशिश किया कि वो अपूर्वा से बात करे , लेकिन अपनी गलती
इधर कुछ दिनों से जब रिवांश को ये लगने लगा कि अपूर्वा उसे इग्नोर कर रही है , उससे बात करना नहीं चाह रही है , तो रिवांश कई बार कोशिश किया अपूर्वा से बात करने
जब से आया हूँ तब से मेरा सर खाये जा रही हो ... एक मिनट भी चैन से सांस नहीं लेने दी हो , और तुम जान कर क्या कर लोगी कि मेरे साथ मेरे ऑफिस में क्या हुआ है ? सब कुछ ठीक कर दोगी .... उम्म ..
अपूर्वा को रिवांश की इस हरकत पर और भी चिंता होने लगी । तो वो उससे फिर से पूछी — अंश क्या हुआ है ? कुछ हुआ है क्या आज तुम्हारे ऑफिस में ? बोलो ना ... कुछ तो बताओं ... ? मुझे तुमको
रिवांश बॉथरूम में गया तो अपूर्वा ये सोचने लगी की रोज तो अंश ( अपूर्वा रिवांश को अंश कहती है और रिवांश अपूर्वा को पूर्वा कहता हैं । ) ये सब करते वक्त कितनी शैतानियां
तो अपूर्वा उससे कहती थी — चुप करो बेशरम इंसान ... तुम दिन पर दिन कितने बेशरम होते जा रहे हो ... दिन भर तो मुझे किस ही करते रहते हो ,
रिवांश बस बेशर्मो की तरह दाँत दिखा कर हँसता था और कहता था । थक जाओंगि ... छोड़ दो .. मत मारो ... भला फूल से भी कभी चोट लगती है क्या ?😄😄😄😁😁 इस बात पर अपूर्वा एकद
अपूर्वा और रिवांश कुछ दिन तक अपने मम्मी - पापा के पास रहे । फिर रिवांश अपने मम्मी के घर से अपूर्वा को अपने साथ लेकर सेलम आ गया । 2 साल तक तो सब नॉर्मल रहा दोनों क
वो सब भी उसे अपनी बहूं बनाना चाह रही थी । अपूर्वा के भी मम्मी - पापा राजी हो गये क्योंकि वो लोग रिवांश को पहले ही देख चुके थे , उन्हें रिवांश देखने में अच्छा लगा था । रिवांश भी पार्टी में आया थ
रिवांश की वाइफ अपूर्वा उसके ठीक सामने बैठी थी और अपने स्कूल के बच्चों की रिजल्ट्स तैयार कर रही थी । वहीं रिवांश फोन चला रहा थ
तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम