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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022

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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

“काश्‍वी तुम्‍हारी फोटोग्राफी तुम्‍हारी उम्र और तर्जुबे के हिसाब से अच्‍छी है लेकिन अगर तुम्‍हें इसे और बेहतर करना है तो बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, मैं तुम्‍हें यही सलाह दूंगा कि जितना हो सके ट्रेवल करो, अलग-अलग जगह जाओ, अलग-अलग लोगों से मिलो, जितना ज्यादा दुनिया देखोगी तुम्‍हारी समझ और परख उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी, और ये तुम्‍हारी तस्‍वीरों
में भी नजर आएगा”  काश्वी ये सब सुनकर खुश हो गई उसे जैसी इंस्पीरेशन उत्कर्ष की तस्वीरों को देखकर मिलती थी
उससे कही ज्यादा आज उनसे मिलकर मिली, उत्कर्ष ने आखिर में ऑल द बेस्ट कहा और काश्वी वहां से बाहर आ गई

जब वो वापस डिनर हॉल में पहुंची तो ज्यादातर लोग खाना खाकर वहां से जा चुके थे लेकिन निष्कर्ष वही उसका इंतजार कर रहा था, काश्वी सीधे निष्कर्ष के पास आई, निष्कर्ष काश्वी का चेहरा पढ़ने की कोशिश कर रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके पापा ने उसे क्यों बुलाया, हालांकि काश्वी की आंखों में चमक देखकर निष्कर्ष कुछ निश्चिंत जरुर हुआ। काश्वी के पास आते ही निष्कर्ष ने उससे डिनर के लिये पूछा, काश्वी ने हां में जवाब दिया तो निष्कर्ष ने उसे बैठने का इशारा किया, अपनी टीम से कहकर उसने खाना लगवाया।

“आपने खाना खा लिया?”, काश्वी ने निष्कर्ष से पूछा

निष्कर्ष ने ना में सि‍र हिलाया तो काश्वी ने उसे भी खाने के लिये कहा, निष्कर्ष ने पूछा नहीं पर काश्वी उसका चेहरा देखकर समझ गई कि निष्कर्ष जानना चाहता है अंदर हुआ क्या

खाना खाते-खाते काश्वी ने निष्कर्ष को सब बताया और ये बोलना भी नहीं भूली कि उसकी और उसके पापा की सोच में कितना फर्क है काश्वी ने निष्कर्ष से इस अंदाज में बात की कि उसे बुरा भी न लगे

काश्वी ने कहा, “कितना अजीब है, उत्कर्ष सर को लगा कि मेरी तस्वीरें मेरी उम्र से ज्यादा मेच्योर है और इन्हीं तस्वीरों में आप जिंदगी ढू़ंढ नहीं पाये थे”, ये कहकर काश्वी निष्कर्ष का चेहरा देखती रही, उधर निष्कर्ष को लगा जैसे उसकी दुखती रग पर किसी ने हाथ रख दिया, निष्कर्ष कुछ कहना चाह रहा था लेकिन उसने खुद को रोक लिया बस इतना कहा कि, “हां, बहुत फर्क है हम दोनों में और शायद ये फर्क हमेशा से था”

काश्वी को लगा निष्कर्ष कुछ ज्यादा सीरीयस हो गया तो उसने बात पलटते हुए कहा, “ये जगह बहुत सुंदर
है क्या हम यही रहेंगे एक महीना?” निष्कर्ष ने हां में जवाब दिया और काश्वी को उसके रूम की तरफ बढ़ने का इशारा किया, दानों साथ उठे और चलने लगे, लेकिन इसके बाद निष्‍कर्ष ने एक शब्‍द भी नहीं कहा वो काश्वी को उसके रूम के बाहर छोड़ कर चुपचाप चला गया। काश्‍वी हैरानी से उसे जाते हुए देखती रही उसे समझ नहीं आया कि उसकी बात से निष्‍कर्ष चिढ़ गया या वजह कुछ और है?

कुछ देर बाद काश्वी सोने की तैयारी कर रही थी और तभी उसके मोबाइल पर एक मैसेज आया,

“जिंदगी ढूंढने निकला जब भी कहीं... कभी,

खुद से सामना हो गया

अपने में ही गुम था मैं और
जिंदगी दरवाजे पर दस्तक दिए बिना गुजर गई…”

मैसेज भेजने वाले का नंबर काशवी के फोन में सेव नहीं था, उसे समझ नहीं आया कि ऐसा मैसेज उसे किसने किया, उसने रिप्लाई में उसने पूछा कि वो कौन है? जवाब आया निष्कर्ष… काश्वी को लगा निष्कर्ष उसकी बातों की वजह से कुछ
ज्यादा परेशान है तो उसने सॉरी का मैसेज किया, “सॉरी क्यों?” निष्कर्ष का जवाब आया

‘मैंने कुछ गलत कहा हो तो आई एम सॉरी”, काश्वी ने लिखा

“नहीं ऐसा तो कुछ नहीं कहा तुमने” निष्कर्ष ने एसएमएस किया

“तो फिर इतनी सीरीयस लाइनंस क्यों?” काश्वी ने पूछा

“बस यूं ही कर दिया, लगा शायद तुम समझोगी”, निष्कर्ष ने जवाब दिया

“हां समझ गई पर ऐसा क्यों है ये नहीं समझी”, काश्वी ने मैसेज किया अब की बार निष्कर्ष जैसे कुछ संभल गया और उसने बस गुड नाइट का मैसेज किया।

काश्वी ने भी अब कुछ नहीं पूछा और वापस गुड नाइट कह कर फोन किनारे रख कर सो गई  सुबह की पहली किरण जब खिड़की के पर्दे से अंदर आई तो सीधे काश्वी की आंखों में लगी, उसने आंखे खोली तो बाहर की ताजगी कमरे में दाखिल होती महसूस की, अपने फोन में टाइम देखा तो सुबह के छह बजे हैं, काश्वी ने सोचा अब जब वो उठ गई है तो उसके पास वर्कशॉप से पहले करीब चार घंटे का फ्री टाइम है, सुबह दस बजे से उसकी वर्कशॉप शुरु होनी है, ये ख्‍याल आते ही उसकी आंखों से नींद पूरी तरह गायब हो गई, वो अपने बिस्तर से उठ कर खिड़की के पास गई तो बाहर वो नजारा था जो रात के अंधेरे में खो गया था, जिस घर में वो सब रूके हैं वो एक उंचे पहाड़ पर है जहां से आस-पास के खूबसूरत नजारे साफ दिख्र रहे है, वादियों का ये नजारा एक परफेक्ट ग्रीन फ्रेम की तरह लगा उसे, इस नजारे को काश्वी एक फोटोग्राफर की नजर से
देखने लगी और उसे समझ भी आने लगा कि उत्कर्ष यहां क्यों रह रहे हैं, इतनी खूबसूरत जगह पर प्रकृति का एक-एक अंश अगर कैमरे में उतारा जाए तो शायद सालों बीत जाये, काश्वी जल्दी से बिस्तर से उठकर तैयार होने चली गई, एक घंटे के बाद अपना बैग और कैमरा लेकर वो बाहर निकल गई। सुबह सुबह की हल्की ठंड में काश्वी अपने कैमरे के साथ चारों तरफ देखने लगी, उंचे-उंचे शान से खड़े पहाड़ों की तस्वीरें खींचने से उसने शुरुआत की, फिर पेड़, पत्ते और फूल, हर रंग को अपने साथ ले अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहती है काश्वी

जब अकेले होते हैं तो उन चीजें पर भी नजर जाती है जो सबके साथ दिखाई नहीं देती, काश्वी को एक हरे पत्ते पर बैठी छोटी सी तितली दिखाई दी, अपनी नजर से देखने के बाद अपने कैमरे में उसे हूबहू उतारने की कोशिश में काश्वी लगी रही पर उसके कैमरे का फ्रेम वैसा नहीं लग रहा था जैसा उसे आंखों से दिख रहा था, क्या था ये, वो तितली जिसके पंखों में रंगों का अजीब सा लेकिन सुंदर ताना बाना था कैमरे का फ्रेम उस बारिकी को कैप्चर नहीं कर पा रहा, काश्वी ने बहुत कोशिश की, हर एंगल से उसे तस्वीर बनाने की सोची लेकिन कहीं से भी वो खूबसूरती उसके कैमरे में उतर नहीं पा रही है जो उसे दिखाई दे रही है,  काश्वी इसी उधेड़बुन में थी कि ये कैसे होगा, उसका कैमरा तो हाईटेक था फोकस भी ठीक था तो फिर क्यों नहीं, जब तक वो ये सोच रही थी वो तितली हवा के एक झोके के साथ वहां से उड़ गई, पर अपने पीछे काश्वी के लिये एक सवाल छोड़ गई कि क्या जो हम देख रहे हैं उसे उसी रुप में उसी अंदाज और उसी भावना के साथ वो महसूस करेगा जो उसकी तस्वीर देखेगा, अगर ये होगा तो कैसे?

इसी सब में काफी देर हो गई, काश्वी को समय का पता ही नहीं चला, उसने टाइम देखा तो बस पद्रंह मिनट के बाद उसकी क्लास शुरु होनी है, वो जल्‍दी से अपना सामान समेट कर वापस लौट आई, लेकिन वापस आकर उसने देखा कि कोई भी अपने रुम में नहीं है, सेंट्रल हॉल भी खाली है पूरी बिल्डिंग में खामोशी है, उसे पता ही नहीं चला कि वो कहां जाये, काश्वी थोड़ा घबरा गई और इसी घबराहट के बीच उसे याद आया कि निष्कर्ष का नंबर उसके पास है उसे फोन करके पता कर सकते हैं कि क्लास हैं कहां?

काश्वी ने निष्कर्ष को फोन किया, निष्कर्ष ने फोन उठाया तो वो कुछ हैरान था, फोन उठाते ही बोला, “हां काश्वी बोलो, तुम क्लास में से कैसे फोन कर रही हो?” निष्कर्ष का सवाल सुनकर काश्वी चुप हो गई फिर झेपते हुए बोली, “मैं क्लास में नहीं हूं और मुझे पता भी नहीं क्लास है कहां?” निष्कर्ष ने फौरन ही पूछा,
“मतलब कहां हो तुम? सबको तो बताया था क्लास कहां है फिर तुम कहां हो?”

“वो मैं लेट हो गई सब लोग जा चुके हैं और मुझे पता नहीं कहां जाना है अगर आप हैल्प करते तो”, ये कहकर काश्वी
चुप हो गई

“हां ठीक है एक काम करो तुम सेंट्रल हॉल आओ मैं आता हूं”, निष्कर्ष ने कहा

करीब दो मिनट के अंदर ही निष्कर्ष वहां पहुंच गया, काश्वी को डरा हुआ देखा तो निष्कर्ष ने उससे कुछ पूछा नहीं बस उसे अपने साथ चलने का इशारा कर दिया निष्कर्ष ने काश्वी को क्लास के अंदर छोड़ा, उत्कर्ष क्लास ले रहे थे और निष्कर्ष के साथ काश्वी को देखकर चौंक गये, उत्कर्ष ने कहा, “काश्वी तुम लेट हो”,  “वो रास्ता भूल गई, मैं छोड़ने आया हूं”, काश्‍वी के कुछ कहने से पहले निष्‍कर्ष ने जवाब दिया

उत्कर्ष ने दोनों को गौर से देखा और फिर काश्वी को बैठने का इशारा किया, निष्कर्ष चुपचाप वहां से चला गया

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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