“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्लासरूम में जो आपको पढ़ाया जाएगा उससे कहीं ज्यादा नोलेज आपको बाहर फील्ड में मिलेगी तो ये अच्छा होगा कि आप
क्लास में समय बर्बाद करने से ज्यादा बाहर समय बिताए। इस वर्कशॉप की कुछ स्टेज हमने तय की है आज आपको कैमरे की फंक्शन बताए जाएंगे और कल से आपका फोटोग्राफी मिशन शुरु होगा, हर दिन एक नई जगह एक नई खोज में आप सब जाएंगे”
उत्कर्ष की इन सभी बातों को काश्वी और बाकी सबने बड़े ध्यान से सुना, उन्हें ये काफी एक्साइटिंग लगा, उन्होंने पूरा प्लान समझा। उन्हें बताया गया कि दस स्टूडेंट के बैच को दो दो की पांच टीमों में बांटा जाएगा और सभी को जो टास्क मिलेगा उसे पूरा करना होगा। अब तक सब कुछ अच्छा लग रहा है स्टूडेंटस को, सब तैयार हैं अपने पहले असाइनमेंट के लिये लेकिन उत्कर्ष ने इसके बाद जो कहा उसे सुनकर सब दंग रह गये, उत्कर्ष ने अपने असिसटेंट को सभी को एक-एक कैमरा देने को कहा, हर किसी को एक कैमरा मिल गया लेकिन उन कैमरों को देखकर सब चौंक गये
दरअसल डिजीटल टेक्नॉलोजी के इस दौर में उन सबको पुराने जमाने के फोटोरील वाले कैमरे दिए गए, उनमें से कुछ ने तो पहली बार ये कैमरे देखे और ये सवाल भी एक स्टूडेंट ने कर दिया कि ये कैमरे तो बहुत पुराने हैं इनसे कैसे फोटो खींचेंगे, इसे तो चलाना भी नहीं आता
उत्कर्ष मुस्कुराए, वो जानते थे कि नए जमाने के ये बच्चे डिजीटल कैमरों और हाईटेक टेक्नोलॉजी के अलावा कुछ और नहीं जानते। उत्कर्ष के पास इसका जवाब भी है, उन्होंने कहा कि अगर फोटोग्राफी की बारिकियां सीखनी है तो पुराने कैमरों से अच्छा और कुछ नहीं, लाइट, फोकस और विजन सही मायने में इन्हें समझने के लिये ये कैमरे सही है। उत्कर्ष ने सभी को कैमरे चलाने सिखाए लेकिन क्लास खत्म होने के बाद भी कई स्टूडेंटस इस बात को लेकर परेशान दिखे कि इन कैमरों से वो अच्छा कैसे करेंगे जबकि इसके बारे में उन्हें कुछ पता ही नहीं…
काश्वी भी अपने नए कैमरे के फंक्शन जानने और अपने नये दोस्त को समझने में लगी थी देर शाम तक वो बाहर कैमरे के साथ अलग-अलग चीजों को लेंस से देखती रही, वहां से गुजर रहे निष्कर्ष ने काश्वी को देखा तो उसके पास आ गया। काश्वी
ने निष्कर्ष को देखा तो उससे बात करने के लिये आगे बढ़ गई, काश्वी ने निष्कर्ष को सुबह की मदद के लिये थैंक्स कहा पर निष्कर्ष ने उल्टा उससे पूछा कि वो आखिर थी कहां?
“तुम थी कहां इतनी देर कैसे हो गई सुबह?”, निष्कर्ष ने पूछा
काश्वी मुस्कुराई और कहा, “हां वो मैं बाहर चली गई थी, ये जगह बहुत अच्छी है घूमते-घूमते टाइम का पता ही नहीं चला, बहुत मजा आ रहा था”
“हां ये जगह है ही ऐसी जो यहां आता है बस यही खो जाता है पर तुम ऐसे अकेले बाहर मत जाया करो, नई जगह है किसी को साथ ले जाना ठीक रहेगा” निष्कर्ष ने कहा”
“हां पर मेरा कोई दोस्त नहीं यहां, तो कैसे?”, काश्वी ये कहकर चुप हो गई
“दोस्त तो बनाने पड़ते है, किसी से बात होगी तो दोस्त भी बन जाएंगे”, निष्कर्ष ने जवाब दिया
“मैंने तो यहां सिर्फ आप से ही बात की है तो आप ही दोस्ती कर लो”, काश्वी ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा
निष्कर्ष काश्वी की बात सुनकर चौंक गया, हमेशा चुपचाप रहने वाली काश्वी आज कुछ अलग सी लगी उसे
“हां हम दोस्त बन सकते हैं”, निष्कर्ष ने जवाब दिया
“तो ठीक है फिर अब मुझे जरूरत होगी तो मैं आपसे बात कर लूंगी ओ के?”, काश्वी ने निष्कर्ष की बात पर कहा
“अच्छा वो तो ठीक है पर अभी अंदर चलो सब लोग डिनर के लिये इंतजार कर रहे होंगे”, निष्कर्ष ने काश्वी को अंदर जाने का इशारा करते हुए कहा
डिनर के बाद सब अपने कमरे में चले गये, कुछ देर बाद काश्वी फिर अपने कैमरे के साथ दिखाई दी, बहुत कोशिश की पर उसे कुछ परेशानी हो रही थी कैमरा चलाने में, काश्वी ने सोचा शायद निष्कर्ष उसकी कुछ मदद कर सके, काश्वी ने निष्कर्ष को एसएमएस किया
'एक हेल्प चाहिए आपसे', एसएमएस में लिखा
कुछ सैंकड के बाद ही निष्कर्ष का फोन काश्वी के फोन पर आया
“हां बोलो काश्वी क्या हुआ, सब ठीक है न?, निष्कर्ष ने पूछा
“हां सब ठीक है बस मुझे ये जो नया कैमरा मिला है उसे लेकर कुछ कंफ्यूजन है क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो”, काश्वी ने पूछा
“नया कैमरा कौन सा? वो पापा ने दिया है पुराने स्टाइल का? अच्छा तो उसे चलाने में दिक्क्त हो रही है, कोई बात नहीं मैं मदद कर सकता हूं बताओ क्या हुआ?”, निष्कर्ष ने पूछा
“आप अभी आ सकते हो”, काश्वी ने पूछा
“अभी… रात के दस बजे है.. इस वक्त? कल सुबह मिलते है” निष्कर्ष ने थोड़ा संकोच करते हुए कहा
“मुझे नींद नहीं आएगी जब तक ये कंफ्यूजन दूर नहीं होगा, प्लीज अगर पोसिबल हो तो अभी”, काश्वी ने फिर कहा
“ठीक है एक काम करते है नीचे गार्डन में आ जाओ, वहीं मिलते है ठीक है?”, निष्कर्ष ने कहा
“हां मैं बस पांच मिनट में आती हूं थैंक्स” कहकर काश्वी ने फोन रख दिया
कुछ मिनट में ही काश्वी और निष्कर्ष खुले आसमान के नीचे थे, हल्की ठंडी हवा के बीच हल्की रोशनी में पहाड़ों की एक शाम है ये, काश्वी के हाथ में कैमरा देख कर निष्कर्ष ने उसे देने का इशारा किया और पूछा बताओ क्या कंफ्यूजन है?
“इसका फोकस एडजस्ट नहीं हो रहा, किस लाइट में कितना एडजस्ट करुं कुछ समझ नहीं आ रहा”, काश्वी ने कहा
“अरे वो कुछ नहीं है देखो इसे यहां से एडजस्ट करते हैं, इतनी परेशान मत हो, थोड़ा सा घूमाने से हो जाएगा, और जो फ्लैश है वो खुद ही एडजस्ट हो जाएगा बस सनलाइट कितनी तुम्हारे सब्जेक्ट पर पड़ रही है ये देखना होगा, ज्यादा टेंशन नहीं
है, ये कैमरा बेस्ट क्वालिटी का है एक दो बार पिक्चर खींचने पर सब समझ आ जाएगा”, निष्कर्ष ने काश्वी को समझाया
कुछ देर तक यूंही निष्कर्ष समझाता रहा और काश्वी सुनती रही थोड़ी देर बाद काश्वी ने निष्कर्ष से पूछा, “आपको भी
फोटोग्राफी का शौक है?”
निष्कर्ष मुस्कुरा कर बोला हां बहुत पंसद है
“तो फिर आप इंजीनियर कैसे बन गये?”, काश्वी ने पूछा
“क्योंकि फोटोग्राफर नहीं बनना था”, निष्कर्ष ये कहते कहते कुछ संजीदा हो गया
काश्वी ये सुनकर हैरान हो गई, वो जानना चाहती है कि ऐसा क्यों है कि दुनियाभर में नाम कमाने वाले फोटोग्राफर उत्कर्ष राय का बेटा फोटोग्राफर नहीं बनना चाहता था, पर उससे पहले ही निष्कर्ष ने बात खत्म करते हुए काश्वी को वापस जाने के लिये कह दिया
काश्वी ने आगे कुछ नहीं पूछा और वो वापस अपने कमरे में आ गई। एक तरफ निष्कर्ष है जो काश्वी से बात करते-करते कहीं अपने अतीत में पहुंच गया, काश्वी का एक सवाल उसके जहन में गूंजने लगा वो जिस सवाल से हमेशा भागता रहा वो उसकी इस नई दोस्त ने पूछ लिया, निष्कर्ष बहुत परेशान हो गया, काफी देर तक कुछ सोचता रहा काश्वी की बातें याद करता रहा, कब उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला
दूसरी तरफ काश्वी है जो इस उलझन में है कि कहीं उसने कुछ गलत तो नहीं पूछ लिया, निष्कर्ष ने उसकी बात का जवाब क्यों नहीं दिया, ये सवाल काश्वी को परेशान करता रहा, कई तरह की बातें उसके दिल दिमाग पर छाई रही पर एक
चेहरा आंखों के आगे से हट नहीं रहा, निष्कर्ष कहीं न कहीं काश्वी को पंसद आने लगा है शायद काश्वी के लिये इस अंजान जगह पर अंजान लोगो के बीच कोई अपना है, निष्कर्ष को दोस्त बनाना काश्वी को अच्छा लग रहा है।