पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरों को लौटते हुए सुनाई पड़ते हैं, इनकी आवाजें ये बताने के लिये काफी होती है कि दिन ढल गया अब वापस घर लौट जाओ। काश्वी जहां इस शाम के सुरमई रंग को महसूस कर रही थी वहीं निष्कर्ष के लिये ये घर लौटने जैसा ही है, उसका परिवार, उसके पापा यहां
ही रहते हैं, शहर की चकाचौंध से दूर वो अपनी दुनिया में हैं, वो दुनिया जो उन्होंने खुद बनाई है, निष्कर्ष अपने पापा की इस दुनिया का हिस्सा है भी और नहीं भी
निष्कर्ष अपने पापा से अलग है, उनकी क्रिएटिविटी उसमें हैं लेकिन वो फोटोग्राफर नहीं इंजीनियर है। ये एक महीना हर
साल दोनों को साथ रखता है और फिर निष्कर्ष अपने काम पर लौट आता है ये फोटोग्राफी वर्कशॉप का आइडिया भी निष्कर्ष का ही था इसी बहाने वो अपने पापा के साथ कुछ वक्त बिता पाता है नहीं तो वो और उसके पापा शायद ही कभी मिल पाये, कुछ दूरी है दोनों में, कुछ तल्खी भी शायद
बस का ब्रेक लगा तो निष्कर्ष की आंखों में चमक आ गई। उसे कुछ खुशी यहां आने की है और कुछ अपने साथ आये स्टूडेंटस को इतनी सुंदर जगह दिखाने की, बस रुकते ही निष्कर्ष ने खड़े होकर सबका वेलकम किया और बताया कि यही वो जगह है जहां वो एक महीने तक रहेंगे और कुछ नया सीखेंगे
हर कोई खिड़की से बाहर देखने लगा, सामने एक बड़ा सा बंगला है, जिसके चारों तरफ पेड़ पौधों से बनी बाउंड्री है, चारों तरफ उंचे-उंचे पहाड़ों के बीच शान से खड़ा एक घर, जो किसी फेमस फोटोग्राफर की परफेक्ट पिक्चर की तरह नजर आता है। कुछ ही पल बाद सब बस से अपना सामान उतारकर कंधों पर टांगे अंदर की ओर चल पड़े, यहां की ताजी हवा में फूलों की महक घुल कर आ रही है, माहौल इतना सुहावना है कि बस दिल करें कि यही रह जाओ। उन दस स्टूडेंट की टीम में से एक काश्वी भी बहुत ध्यान से ये सब देख रही है शायद अब उसकी नजर एक टूरिस्ट से ज्यादा एक फोटोग्राफर की हो गई है क्योंकि उसे हर एंगल से यहां तस्वीरों की एक पूरी एलबम नजर आ रही है।
अंदर पहुंचते ही निष्कर्ष की केयर टेकर टीम एक लाइन से खड़ी दिखाई दी, सब आने वाले नये मेहमानों का स्वागत करने लगे। एक एक कर सब हर एक को उसके कमरे में छोड़ कर आये। निष्कर्ष ने सबको ठीक दो घंटे बाद हॉल में डिनर के लिये आने का इंविटेशन दिया जहां उन्हें उत्कर्ष राय से मिलवाया जाएगा। सभी ने अपना सामान अपने कमरे में रखा और थोड़ा आराम करके डिनर के लिये तैयार होने लगे। दो घंटे बाद सबसे पहले निष्कर्ष डिनर हॉल में पहुंचा, सारे इंतजाम पूरे है या नहीं ये देखना उसका पहला काम है। गांउड फ्लोर कॉरिडोर से गुजरते हुए उसे एक कमरे से तेज म्यूजिक की आवाज सुनाई दी, उसने देखा तो दरवाजा थोड़ा खुला है, निष्कर्ष ने नॉक किया तो अंदर से काश्वी दरवाजे खोलने आ गई, काश्वी को सामने देख निष्कर्ष थोड़ा रुक गया और फिर कहा, “ये म्यूजिक थोड़ा लाउड है यहां ज्यादा शोर अलाउड नहीं, काश्वी ने फोरन अपने स्पीकर की आवाज कम कर दी, और मुस्कुराते हुए कहा, ‘आई एम सॉरी, वो अकेले में डर लगता है तो तेज म्यूजिक चला देती हूं, पर अब ऐसा नहीं होगा”
निष्कर्ष ये सुनकर थोड़ा हंसा और कहा आपको डर भी लगता है, काश्वी ने झट से पलटकर कहा, “क्यों आपको नहीं लगता जब आप अकेले हो तो?”
“नहीं, मुझे आदत हो गई है”, निष्कर्ष ने जवाब दिया
“किसकी अकेले रहने की या डर की?”, काश्वी ने फिर पूछा
निष्कर्ष अब थोड़ा संभल कर बोला, “एक बात पूछू?”,
काश्वी ने हां में सिर हिलाया
“इतना लंबा रास्ता था और मैंने आपको कुछ खाते हुए नहीं देखा, आपने लंच भी नहीं किया, कुछ प्रोब्लम है हमारा इंतजाम ठीक नहीं लगा क्या?”
काश्वी ने निष्कर्ष को देखा, इस सवाल की उम्मीद तो उसे बिलकुल नहीं थी, बात तो कुछ और हो रही थी, अचानक आये इस सवाल पर काश्वी बोली, “नहीं ऐसा तो कुछ नहीं वो बस जब बस से ट्रेवल करती हूं तो तबियत खराब हो जाती है इसलिये कुछ नहीं खाती, अगर खा लेती तो आपको संभालना मुश्किल हो जाता”
''अरे ये बात थी तो बताया क्यों नहीं हम इसके लिये मेडिसीन दे देते और खाना भी अरेंज हो जाता जिससे प्रोब्लम न हो,, ये तो बहूत कॉमन है पहाड़ों में उपर आते आते ऑक्सीजन कम होती है तो हो जाता है पर इसका इलाज भी तो है इसके लिये भूखा रहने की जरुरत नहीं”, निष्कर्ष ने कहा
काश्वी को अब लग रहा था कि निष्कर्ष के बारे में वो जो सोच रही थी वो शायद ठीक नहीं था पहली मुलाकात में जो उसने सुना और समझा उससे ये निष्कर्ष अलग है, काश्वी ने निष्कर्ष को उसकी ज्यादा टेंशन न लेने को कहा पर निष्कर्ष फिर भी उससे माफी मांग कर और उसे नीचे हॉल में डिनर के लिये जल्दी आने को कहकर वहां से चला गया
कुछ देर बाद सब हॉल में गये। एंटिक फर्नीचर के साथ मॉर्डन डेकोरेशन का अलग ही संगम यहां देखने को मिल रहा है, हर दीवार पर उत्कर्ष राय की फेमस पेंटिंगस लगी है जिसे देखकर सब उनसे मिलने को और ज्यादा एक्साइटेड हैं। सामने खाने की टेबल सजी हुई है, लजीज खाने की खुश्बू पूरे हॉल में महक रही है और अब सबकी नजरें ढूंढ रही हैं उस फेमस फोटोग्राफर जिससे मिलने वो इतनी दूर आये हैं, बस वो पल भी आ गया, उत्कर्ष राय उन सबके बीच पहुंचे, वो थोड़े गंभीर स्वभाव के हैं उन्हें देखकर लगता नहीं कि वो ज्यादा किसी से बात करते होंगे, आते ही सबका इंट्रोडक्शन लेने के बाद उत्कर्ष कुछ देर ही वहां रुके और ये कहकर चले गये कि कल सुबह क्लास में मिलेंगे।
काश्वी जानती थी उत्कर्ष के इस स्वभाव को क्योंकि उसने जब से फोटोग्राफी में इंटरेस्ट लेना शुरु किया था उनके बारे में खूब सुना और पढ़ा था। उत्कर्ष के जाने के बाद सब डिनर करने लगे, निष्कर्ष इस बात का ख्याल रख रहा है कि किसी को कोई परेशानी ना हो, एक एक कर उसने सबको डिनर करने के लिये कहा, काश्वी के पास आकर भी निष्कर्ष ने उसे खाने के
लिये कहा लेकिन तभी किसी ने आकर निष्कर्ष के कान में कहा कि काश्वी को उत्कर्ष सर बुला रहे है।
ये बात सुनकर निष्कर्ष हैरान हो गया पर बिना रिएक्ट किये उसने काश्वी को उत्कर्ष सर के पास जाने को कह दिया, काश्वी को एक रूम में बैठने के लिये कहा गया। इतने बड़े कमरे को देखकर काश्वी सोचने लगी कि हॉल के बाद शायद यहां का ये सबसे बड़ा कमरा होगा, कमरे में चारों तरफ उत्कर्ष राय की खींची तस्वीरें बड़े-बड़े फ्रेम में लगी दिखाई दी, यहां आकर काश्वी को लगा कि वो किसी सपने में है, यहां एक तरफ खूबसूरत पहाड़ों की तस्वीरें थी तो दूसरी तरफ नीला संमदर, काश्वी एक-एक कर हर तस्वीर को ध्यान से देखने लगी तभी उसे कुछ आहट सुनाई दी, उसने मुड़कर देखा तो सामने उत्कर्ष राय थे, उत्कर्ष ने काश्वी को बैठने के लिये कहा काश्वी थोड़ा घबराई सी सामने की कुर्सी पर बैठ गई, उत्कर्ष ने काश्वी से पूछा कि वो फोटोग्राफर क्यों बनना चाहती है?
काश्वी ने घबराते हुए कहा कि उसे फोटोग्राफी करना पंसद है इसलिये, इस पर उत्कर्ष ने कहा, “ठीक है, अच्छी बात है पर
वो नजर तुम्हारे पास होनी चाहिए जिससे एक अच्छी तस्वीर खींच सको, क्या तुम्हें लगता है वो तुममें है?”
“ये तो पता नहीं पर मुझे जो अच्छा लगता है उसकी तस्वीर लेती हूं, कुछ सोच कर नहीं, जो पहली बार में लगता है वही कैप्चर कर लेती हूं”, काश्वी ने जवाब दिया
उत्कर्ष इस बार काफी गंभीर हो गए, उन्होंने काश्वी को अपने साथ आने के लिये कहा, एक तस्वीर के सामने खड़े होकर उत्कर्ष ने काश्वी से कहा, “बताओ इस तस्वीर की खासियत क्या है?”
काश्वी ने ध्यान से देखा और कहा, “ये तस्वीर धूप और छांव की कहानी कहती है, रेगिस्तान में सूरज की किरणें जब जलाती है तो एक साया भी ठंडी छांव की तरह लगता है, रेगिस्तान पार करते हुए इस ऊंट के साथ चलती ये औरत शायद नहीं चाहती कि उसका बच्चा इस गर्मी में झुलसे इसलिये उसे ऊंट की आड़ में पड़ रही परछाई की ठंडक में चला रही है, ऊंट की लंबाई बच्चे को सूरज की किरणों से बचा रही है”, इतना कहकर काश्वी चुप हो गई उत्कर्ष काश्वी की बात सुनकर कुछ देर तक कुछ नहीं बोले फिर कुछ सोचकर बोले, “तुम्हारी उम्र कितनी होगी”
काश्वी ने जवाब दिया 22 साल फिर थोड़ा मुस्कुराकर उत्कर्ष ने कहा, “सही फैसला किया है तुमने फोटोग्राफर बनने का”