shabd-logo

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022

28 बार देखा गया 28

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरों को लौटते हुए सुनाई पड़ते हैं, इनकी आवाजें ये बताने के लिये काफी होती है कि दिन ढल गया अब वापस घर लौट जाओ। काश्वी जहां इस शाम के सुरमई रंग को महसूस कर रही थी वहीं निष्कर्ष के लिये ये घर लौटने जैसा ही है, उसका परिवार, उसके पापा यहां
ही रहते हैं, शहर की चकाचौंध से दूर वो अपनी दुनिया में हैं, वो दुनिया जो उन्होंने खुद बनाई है, निष्कर्ष अपने पापा की इस दुनिया का हिस्सा है भी और नहीं भी

निष्कर्ष अपने पापा से अलग है, उनकी क्रिएटिविटी उसमें हैं लेकिन वो फोटोग्राफर नहीं इंजीनियर है। ये एक महीना हर
साल दोनों को साथ रखता है और फिर निष्कर्ष अपने काम पर लौट आता है ये फोटोग्राफी वर्कशॉप का आइडिया भी निष्कर्ष का ही था इसी बहाने वो अपने पापा के साथ कुछ वक्त बिता पाता है नहीं तो वो और उसके पापा शायद ही कभी मिल पाये, कुछ दूरी है दोनों में, कुछ तल्खी भी शायद

बस का ब्रेक लगा तो निष्कर्ष की आंखों में चमक आ गई। उसे कुछ खुशी यहां आने की है और कुछ अपने साथ आये स्टूडेंटस को इतनी सुंदर जगह दिखाने की, बस रुकते ही निष्कर्ष ने खड़े होकर सबका वेलकम किया और बताया कि यही वो जगह है जहां वो एक महीने तक रहेंगे और कुछ नया सीखेंगे

हर कोई खिड़की से बाहर देखने लगा, सामने एक बड़ा सा बंगला है, जिसके चारों तरफ पेड़ पौधों से बनी बाउंड्री है, चारों तरफ उंचे-उंचे पहाड़ों के बीच शान से खड़ा एक घर, जो किसी फेमस फोटोग्राफर की परफेक्ट पिक्चर की तरह नजर आता है। कुछ ही पल बाद सब बस से अपना सामान उतारकर कंधों पर टांगे अंदर की ओर चल पड़े, यहां की ताजी हवा में फूलों की महक घुल कर आ रही है, माहौल इतना सुहावना है कि बस दिल करें कि यही रह जाओ। उन दस स्टूडेंट की टीम में से एक काश्वी भी बहुत ध्यान से ये सब देख रही है शायद अब उसकी नजर एक टूरिस्ट से ज्यादा एक फोटोग्राफर की हो गई है क्योंकि उसे हर एंगल से यहां तस्वीरों की एक पूरी एलबम नजर आ रही है।

अंदर पहुंचते ही निष्कर्ष की केयर टेकर टीम एक लाइन से खड़ी दिखाई दी, सब आने वाले नये मेहमानों का स्वागत करने लगे। एक एक कर सब हर एक को उसके कमरे में छोड़ कर आये। निष्कर्ष ने सबको ठीक दो घंटे बाद हॉल में डिनर के लिये आने का इंविटेशन दिया जहां उन्हें उत्कर्ष राय से मिलवाया जाएगा। सभी ने अपना सामान अपने कमरे में रखा और थोड़ा आराम करके डिनर के लिये तैयार होने लगे। दो घंटे बाद सबसे पहले निष्कर्ष डिनर हॉल में पहुंचा, सारे इंतजाम पूरे है या नहीं ये देखना उसका पहला काम है। गांउड फ्लोर कॉरिडोर से गुजरते हुए उसे एक कमरे से तेज म्यूजिक की आवाज सुनाई दी, उसने देखा तो दरवाजा थोड़ा खुला है, निष्कर्ष ने नॉक किया तो अंदर से काश्वी दरवाजे खोलने आ गई, काश्वी को सामने देख निष्कर्ष थोड़ा रुक गया और फिर कहा, “ये म्यूजिक थोड़ा लाउड है यहां ज्यादा शोर अलाउड नहीं, काश्वी ने फोरन अपने स्‍पीकर की आवाज कम कर दी, और मुस्कुराते हुए कहा, ‘आई एम सॉरी, वो अकेले में डर लगता है तो तेज म्यूजिक चला देती हूं, पर अब ऐसा नहीं होगा”

निष्कर्ष ये सुनकर थोड़ा हंसा और कहा आपको डर भी लगता है, काश्वी ने झट से पलटकर कहा, “क्यों आपको नहीं लगता जब आप अकेले हो तो?”

“नहीं, मुझे आदत हो गई है”, निष्कर्ष ने जवाब दिया

“किसकी अकेले रहने की या डर की?”, काश्वी ने फिर पूछा

निष्कर्ष अब थोड़ा संभल कर बोला, “एक बात पूछू?”,

काश्वी ने हां में सिर हिलाया

“इतना लंबा रास्ता था और मैंने आपको कुछ खाते हुए नहीं देखा, आपने लंच भी नहीं किया, कुछ प्रोब्लम है हमारा इंतजाम ठीक नहीं लगा क्या?”

काश्वी ने निष्कर्ष को देखा, इस सवाल की उम्मीद तो उसे बिलकुल नहीं थी, बात तो कुछ और हो रही थी, अचानक आये इस सवाल पर काश्वी बोली, “नहीं ऐसा तो कुछ नहीं वो बस जब बस से ट्रेवल करती हूं तो तबियत खराब हो जाती है इसलिये कुछ नहीं खाती, अगर खा लेती तो आपको संभालना मुश्किल हो जाता”

''अरे ये बात थी तो बताया क्यों नहीं हम इसके लिये मेडिसीन दे देते और खाना भी अरेंज हो जाता जिससे प्रोब्लम न हो,, ये तो बहूत कॉमन है पहाड़ों में उपर आते आते ऑक्सीजन कम होती है तो हो जाता है पर इसका इलाज भी तो है इसके लिये भूखा रहने की जरुरत नहीं”, निष्कर्ष ने कहा

काश्वी को अब लग रहा था कि निष्कर्ष के बारे में वो जो सोच रही थी वो शायद ठीक नहीं था पहली मुलाकात में जो उसने सुना और समझा उससे ये निष्कर्ष अलग है, काश्वी ने निष्कर्ष को उसकी ज्यादा टेंशन न लेने को कहा पर निष्कर्ष फिर भी उससे माफी मांग कर और उसे नीचे हॉल में डिनर के लिये जल्दी आने को कहकर वहां से चला गया

कुछ देर बाद सब हॉल में गये। एंटिक फर्नीचर के साथ मॉर्डन डेकोरेशन का अलग ही संगम यहां देखने को मिल रहा है, हर दीवार पर उत्‍कर्ष राय की फेमस पेंटिंगस लगी है जिसे देखकर सब उनसे मिलने को और ज्‍यादा एक्‍साइटेड हैं। सामने खाने की टेबल सजी हुई है, लजीज खाने की खुश्‍बू पूरे हॉल में महक रही है और अब सबकी नजरें ढूंढ रही हैं उस फेमस फोटोग्राफर जिससे मिलने वो इतनी दूर आये हैं, बस वो पल भी आ गया, उत्कर्ष राय उन सबके बीच पहुंचे, वो थोड़े गंभीर स्वभाव के हैं उन्हें देखकर लगता नहीं कि वो ज्यादा किसी से बात करते होंगे, आते ही सबका इंट्रोडक्शन लेने के बाद उत्कर्ष कुछ देर ही वहां रुके और ये कहकर चले गये कि कल सुबह क्लास में मिलेंगे।

काश्वी जानती थी उत्कर्ष के इस स्वभाव को क्‍योंकि उसने जब से फोटोग्राफी में इंटरेस्ट लेना शुरु किया था उनके बारे में खूब सुना और पढ़ा था। उत्कर्ष के जाने के बाद सब डिनर करने लगे, निष्कर्ष इस बात का ख्‍याल रख रहा है कि किसी को कोई परेशानी ना हो, एक एक कर उसने सबको डिनर करने के लिये कहा, काश्वी के पास आकर भी निष्कर्ष ने उसे खाने के
लिये कहा लेकिन तभी किसी ने आकर निष्कर्ष के कान में कहा कि काश्वी को उत्कर्ष सर बुला रहे है।

ये बात सुनकर निष्कर्ष हैरान हो गया पर बिना रिएक्ट किये उसने काश्वी को उत्कर्ष सर के पास जाने को कह दिया, काश्वी को एक रूम में बैठने के लिये कहा गया। इतने बड़े कमरे को देखकर काश्‍वी सोचने लगी कि  हॉल के बाद शायद यहां का ये सबसे बड़ा कमरा होगा, कमरे में चारों तरफ उत्कर्ष राय की खींची तस्वीरें बड़े-बड़े फ्रेम में लगी दिखाई दी, यहां आकर काश्वी को लगा कि वो किसी सपने में है, यहां एक तरफ खूबसूरत पहाड़ों की तस्वीरें थी तो दूसरी तरफ नीला संमदर, काश्वी एक-एक कर हर तस्वीर को ध्यान से देखने लगी तभी उसे कुछ आहट सुनाई दी, उसने मुड़कर देखा तो सामने उत्कर्ष राय थे, उत्कर्ष ने काश्वी को बैठने के लिये कहा काश्वी थोड़ा घबराई सी सामने की कुर्सी पर बैठ गई, उत्कर्ष ने काश्वी से पूछा कि वो फोटोग्राफर क्यों बनना चाहती है?

काश्वी ने घबराते हुए कहा कि उसे फोटोग्राफी करना पंसद है इसलिये, इस पर उत्कर्ष ने कहा, “ठीक है, अच्छी बात है पर
वो नजर तुम्हारे पास होनी चाहिए जिससे एक अच्छी तस्वीर खींच सको, क्या तुम्हें लगता है वो तुममें है?”

“ये तो पता नहीं पर मुझे जो अच्छा लगता है उसकी तस्वीर लेती हूं, कुछ सोच कर नहीं, जो पहली बार में लगता है वही कैप्चर कर लेती हूं”, काश्वी ने जवाब दिया

उत्कर्ष इस बार काफी गंभीर हो गए, उन्होंने काश्वी को अपने साथ आने के लिये कहा, एक तस्वीर के सामने खड़े होकर उत्कर्ष ने काश्वी से कहा, “बताओ इस तस्वीर की खासियत क्या है?”

काश्वी ने ध्यान से देखा और कहा, “ये तस्वीर धूप और छांव की कहानी कहती है, रेगिस्तान में सूरज की किरणें जब जलाती है तो एक साया भी ठंडी छांव की तरह लगता है, रेगिस्तान पार करते हुए इस ऊंट के साथ चलती ये औरत शायद नहीं चाहती कि उसका बच्चा इस गर्मी में झुलसे इसलिये उसे ऊंट की आड़ में पड़ रही परछाई की ठंडक में चला रही है, ऊंट की लंबाई बच्चे को सूरज की किरणों से बचा रही है”, इतना कहकर काश्वी चुप हो गई उत्कर्ष काश्वी की बात सुनकर कुछ देर तक कुछ नहीं बोले फिर कुछ सोचकर बोले, “तुम्हारी उम्र कितनी होगी”

काश्वी ने जवाब दिया 22 साल फिर थोड़ा मुस्कुराकर उत्‍कर्ष ने कहा, “सही फैसला किया है तुमने फोटोग्राफर बनने का”

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
24
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए