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सदाचार बेला (18-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022

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 ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।  

स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥  

(ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89, मंत्र 8)  

प्रस्तुत है उत्तानहृदय आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने कल गांव की एक घटना का उल्लेख किया जिसमें तीन बेटों की एक मां की विषम परिस्थितियों में मृत्यु हो गई इसी तरह हम लोगों की उपेक्षा के कारण अपनी भारत मां की यह दशा हो गई है दुर्भावना में भारत मां के कुछ शत्रु बोलते हैं कि हम भी यहां के वासी हैं हम इसके टुकड़े कर देंगे l इन लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है l युग भारती ने शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा का बीड़ा उठाया है तो हमें इस ओर ध्यान देना चाहिए भय और भ्रम को त्यागते हुए क्योंकि भय और भ्रम दोनों जीवन के लिए अत्यधिक घातक हैं गीता मानस उपनिषद् हमें यही सिखाते हैं कि हम भ्रमित न हों भयभीत न हों तत्त्व को समझें लेकिन यथार्थ
में क्या करना है यह भी जानने की चेष्टा करें और तब हमें बहुत संतोष होगा जैसे राम पर विश्वास होने के कारण तुलसीदास जी को हुआ |
  

जानकीसकी कृपा जगावती सुजान जीव, जागि त्यागि मूढ़ताऽनुरागु श्रीहरे ।  

करि बिचार, तजि बिकार, भजु उदार रामचंद्र, भद्रसिंधु, दीनबंधु, बेद बदत रे ॥ १  

मोहमय कुहु-निसा बिसाल काल बिपुल सोयो, खोयो सो अनूप रुप सुपन जू परे ।  

अब प्रभात प्रगट ग्यान-भानुके प्रकाश, बासना, सराग मोह-द्वेष निबिड़ तम टरे ॥ २  

भागे मद-मान चोर भोर जानि जातुधान काम-कोह-लोभ-छोभ-निकर अपडरे ।  

देखत रघुबर-प्रताप, बीते संताप-पाप, ताप त्रिबध प्रेम-आप दूर ही करे ॥ ३  

श्रवण सुनि गिरा गँभीर, जागे अति धीर बीर, बर बिराग-तोष सकल संत आदरे ।  

तुलसिदास प्रभु कृपालु, निरखि जीव जन बिहालु, भंज्यो भव-जाल परम मंगलाचरे ॥ ४ (विनय पत्रिका)  

ऐसे भाव तब आते हैं जब विश्वास टिक जाता है चाहे राम के प्रति हो चाहे राष्ट्र के प्रति हो | आचार्य जी चाहते हैं कि युगभारती की बैठकों और कार्यक्रमों के अन्त में राष्ट्रगीत अवश्य हो |  

   

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रचनाएँ
सदाचार बेला (नवम्बर 2021)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला (01-11-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है संस्कृत संयतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी को बहुत कम आयु से एक सूत्र सिद्धान्त का वाक्य प्रभावित किये हुए है | जो करता है सब परमात्मा करता है और वह अच्छा ही क

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सदाचार बेला (02 -11-2021) का उद्बोधन

8 मार्च 2022
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प्रस्तुत है माहात्मिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण प्रायः सभी के दिन उतार चढ़ाव वाले होते हैं समय की गति टेढ़ी मेढ़ी होती है यह सीधी रेखा में कभी नहीं चलती और इसीलिए यह संसार संसार - सागर कह

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सदाचार बेला (03-11 -2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है यतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने बताया पश्चिम यथार्थ तो देखता है लेकिन हम जीवन में उत्साह और जीवन में सातत्य देखते हैं | गगन के उस पार क्या, पाताल के इस पा

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सदाचार बेला (04-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है वाग्य आचार्य श्री ओम शंकर जी द्वारा प्रोक्त (दीपावली ) का सदाचार संप्रेषण आज दीपावली है आज के दिन हम आत्मविश्वास जगाएं आत्मशक्ति जगाएं हमारे अन्दर संयम के साथ ऊर्जा भी हो अन्यथा संयम निर

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सदाचार बेला (05-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है युगभारतीवंशकेतु आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण संसार वक्र गति से चलता है भावमय संसार है विचार उसका प्रसार है कर्म उस संसार को व्यस्त रखने का प्रभु द्वारा बनाया गया अद्भुत आधार ह

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सदाचार बेला (06 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है शक्तिमय व्यवहार करने का प्रेरण प्रदान करने हेतु सूक्ष्मबुद्धि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज सदाचार संप्रेषण शक्ति के बिना भक्ति नहीं हो सकती और वह शक्ति व्यर्थ है जो केवल भाषा में बंधी रहे

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सदाचार बेला (07-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है बोधान आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी के शिक्षकत्व का हमें लाभ लेना चाहिए स्थान, परिस्थिति, मानसिकता ये सब बहुत प्रभावित नहीं करते हैं तो अपने निर्धारित कर्तव्य कर्म को

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सदाचार बेला (08 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है त्रपिष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण अध्यात्मवादी सारे संसार को प्रभुमय देखते हैं निर्भरा भक्ति की व्याख्या इसी प्रकार हो सकती है निर्भरा भक्ति में सबसे पहली आवश्यक चीज है व

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सदाचार बेला (09-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है ग्रन्थिन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण भैया यज्ञदत्त जी का प्रश्न था | यदि मानस और गीता जैसे ग्रंथ पूजा -स्थल पर रखे रहते हैं तो क्या नहाने से पूर्व उन्हें उठा सकते हैं? इसी

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सदाचार बेला (10 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है वाग्यम आचार्य श्री ओम शंकर जी का देखा जाए तो हम सभी शिक्षक हैं शिक्षक वही जो शिक्षा दे,शिक्षा का अर्थ है संस्कार, मानव जीवन का सुधार, मानव जीवन के चैतन्य को जाग्रत करने की प्रक्रिया शिक्ष

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सदाचार बेला (11 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है हमारे औन्नत्य के लिए प्रयासरत अमत्सर आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण प्रातःकाल हमें आत्मसमीक्षा और आत्मभाव का प्रक्षालन भी करना चाहिए l सरस्वती पत्रिका के संपादक आचार्य महावीर प

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सदाचार बेला (12-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है शक्ल आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने अपना एक अनुभव बताया कि नींद न आने पर वे हनुमान चालीसा की शरण में चले जाते हैं तो नींद आ जाती है आचार्य जी ने आज हमारा परिचय श्वे

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सदाचार बेला (13-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है पूतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण युगभारती लखनऊ की कल एक बैठक लखनऊ में है बैठक किसी योजना को विस्तार देने के लिए एक व्यवस्थित व्यवस्था का प्रारम्भ है| हर कार्यों में हर

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सदाचार बेला (14-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है उपस्थितवक्ता आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण बहुत दिन बाद लखनऊ युगभारती की आज बैठक है हम सब लोगों के मन में बहुत सी कल्पनाएं रहती हैं क्योंकि हम सब आन्तरिक रूप से एक हैं बाह्य स्

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सदाचार बेला (15-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है उदारसत्त्वाभिजन आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण ध्यान प्रारम्भिक स्थिति से लेकर अन्तिम स्थिति तक मनुष्य के अन्दर की अद्भुत शक्ति है हमारे ऋषियों द्वारा ध्यान के अधिकाधिक अभ्यास क

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सदाचार बेला (16 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है कृतात्मन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण शास्त्रोक्त वचन है कि संसार में रहकर संसारी प्रकृति से विरत रहने वाले लोग निन्दनीय होते हैं हमें संसारी भाव से सक्रिय रहना चाहिए कहां व

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सदाचार बेला (17 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है शङ्कर आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का सदाचार संप्रेषण इस समय चारों तरफ का वायुमण्डल व्यापारमय हो गया है व्यापार तो उत्तम चीज है लेकिन उसमें विकृति भरने से सारा काला व्यापार हो गया है विचारों को

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सदाचार बेला (18-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।   स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥   (ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89, मंत्र 8)   प्रस्तुत है उत्तानहृदय आचार्य श्री ओम

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सदाचार बेला (19 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है आर्यशील आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कल भैया यज्ञदत्त 1998, भैया अभिनय मिश्र 1998 और भैया आकाश मिश्र 2001 अपने सरौंहां गांव में भविष्य के साधना केन्द्र विचार केन्द्र कर्म केन

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सदाचार बेला (20 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है अगाधसत्त्व आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने जो तीनों कृषि कानून वापस हुए हैं उसकी चर्चा की देश काल परिस्थिति के अनुसार यदि विचारशील लोग कदम उठाते हैं तो उन पर विश्वास

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सदाचार बेला (21-11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है वरद आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण एक ओर शरीर माध्यम है तो दूसरी ओर धर्म का साधन भी है शरीर साधन है साधना का आधार है और सिद्धि का वांछितगामी है शरीर के माध्यम से हम सिद्धि प्राप

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सदाचार बेला (22 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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कि आई ब्रह्मवेला फिर उठो जागो जगाओ ना! नये इस नित्य नूतन जन्म का उत्सव मनाओ ना! रहे यह ध्यान आलस के प्रमादी घन न छा जाएं , निशा को दो बिदाई अब उषोत्सव-गीत गाओ ना ! प्रस्तुत है श्रेयोभिकांक्षिन्आ चार्य

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सदाचार बेला (23 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है वृन्दारक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कल भैया डा प्रदीप त्रिपाठी 1984 के बड़े भाई का एक मार्ग दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया जिसके कारण पूरे युगभारती परिवार को अत्यन्त दुःख

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सदाचार बेला (24 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है मिश्रित आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण शरीर का बुद्धिमत्तापूर्वक विचारपूर्वक संयम के साथ पयोग करना चाहिए शरीर साधन है साध्य नहीं शरीर को साधन मानते हुए साध्य की दिशा में चलना चा

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सदाचार बेला (25 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है चोक्ष आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण :-   स्थान : उन्नाव   जिस प्रकार कथावाचक को अपने अन्दर के भाव व्यक्त करने के लिए किसी को यजमान बनाना पड़ता है इसी तरह आचार्य जी का ध्यान इ

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सदाचार बेला (26 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है कीर्तिभाज्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कल मलय भैया (बैच 1982) के पुत्र अभिजात जी के विवाहोपरान्त आयोजित आशीर्वाद समारोह में आचार्य जी दीपक आचार्य जी और युगभारती के कई सदस्य ब

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सदाचार बेला (27 - 11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है आचक्षुस्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण प्रापञ्चिक जगत् में रहते हुए सदाचार की ओर उन्मुखता तत्परता जिज्ञासा मनुष्य का पुरुषार्थ है आचार्य जी का कहना है भगवान् की कृपा से ही यह स

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सदाचार बेला (28-11-2021) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है वद आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण जबरदस्ती संन्यास को धारण करना भी अपराध है रिस्थितिवश बहुत से लोग अन्त तक गृहस्थ आश्रम को त्याग नहीं पाते l भक्तिकाल में गृहस्थ धर्म को बहुत अच्

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सदाचार बेला (29 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है समाख्यात आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण यश की कामना मनुष्य के साथ पूरे जीवन संयुत रहती है संन्यास लेने के बाद भी वह यशस्विता प्राप्त करने की चेष्टा करता है कि मुझे मोक्ष का यश प

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सदाचार बेला (30 -11-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है जैवातृक आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण मनोयोग पूर्वक काम करते करते हम लोग उस काम में रम जाते हैं और तब हमें अपने शरीर की व्यथाओं का भी अनुमान नहीं लगता मन पर लिखी आचार्य जी ने अ

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