आशा है कि कवि वर दिनकर की जागृति युवा पीढ़ी को एक नया संदेश देगी धूप छांव राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की सोलह ओजस्वी कविताओं का संकलन है जिसमें प्रांजल प्रवाह भाषा उच्च कोटि का चंद्र विधान और भाव संप्रेक्षण का समावेश किया गया है यह रचना उन लोगों क
जिस समय बापू नोआख़ाली की यात्रा पर थे, उसी समय 'बापू' कविता की रचना हुई थी। बापू नामक कविता संग्रह के रचयिता भारत के प्रसिद्ध कवि और निबन्धकार रामधारी सिंह दिनकर हैं। यह छोटी-सी पुस्तक विराट् के चरणों में वामन का दिया हुआ क्षुद्र उपहार है। दिनकर जी क
कुदरत ने हमें कम नियामतें नहीं दीं, हमीं ने उनकी कद्र न की.. ऐसी ही एक नियामत है पानी जो कुदरत ने हमें भरपूर बख्शा है लेकिन जिस हिसाब से हम अंधाधुंध इसका उपयोग और दुरुपयोग कर रहे हैं, भविष्य में हमें वह दिन भी देखना पड़ेगा जब हम एक एक बूंद को तरसेंगे
रायपुर के सेठ रतन लाल जी के तीन बेटे थे। जिसमे से बड़े बेटे नीलम उनके ही सोने चांदी के व्यापार में अपना हाथ बंटाने लग गये। मंझले बेते पुखराज बिल्डर बनने की राह में अग्रसर हो गया। वहीं उनका तीसरा सुपुत्र अध्यापन व लेखन के क्षेत्र में आगे बढने की
‘पहली वर्षगाँठ’ कविता की ये पंक्तियाँ तत्कालीन सत्ता के प्रति जिस क्षोभ को व्यक्त करती हैं, उससे साफ पता चलता है कि एक कवि अपने जन, समाज से कितना जुड़ा हुआ है और वह अपनी रचनात्मक कसौटी पर किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं। यह आजादी जो गुलामों की नस्ल
(भूमिका) सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों को 👉 इस पुस्तक में लिखी गई है आपकी बॉडी पासवर्ड क्या है आप इसके बारे में जरूर जानेंगे मुझे आशा है कि आपकी यह अनोखी जानकारी होगी, यह मेरे बचपन से अनुभव की गई बातें हैं जो आर्टिकल्स के द्वारा तथा कुछ विज्ञा
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के
सीपी और शंख' रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा अंग्रेजी से अनूदित विश्व की श्रेष्ठ कविताओं का संग्रह है। बावजूद इसके ये दिनकर जी के व्यक्तित्व के रूपों को उद्घाटित करती उनकी अपनी मौलिक रचनाएँ भी प्रतीत होती हैं, क्योंकि उन्होंने भावों से प्रेरणा लेते हुए अ
सात सौ दोहों का संग्रह जिसमें तत्कालीन समाज ज्योतिष नीति प्रेम संघर्ष आदि का सुंदर चित्रण कवि ने किया है।
भग्न वीणा युगदृष्टा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की सुभाषितों से भरी ऐसी कविताओं का संकलन जिसमें महाकवि के जीवन के उत्तरार्द्ध की दार्शनिक मानसिकता के दर्शन होते हैं । इस संग्रह में संगृहीत की गई कविताएँ परम सत्ता के प्रति निश्चल भावना से समर्पित है
'मृत्ति-तिलक'। संग्रह की कविताओं में जहाँ देश के विराट व्यक्तियों के प्रति कवि का श्रद्धा-निवेदन है, वहीं कुछ कविताओं में उत्कट देश-प्रेम की ओजस्वी अभिव्यक्ति है। कुछ कविताएँ ख्यातनाम देशी-विदेशी कवियों की उत्कृष्ट रचनाओं का सरस अनुवाद हैं तो कुछ कवि
साहित्य में स्त्री विमर्श एक ऐसा शब्द है जिस पर विचार मंथन हर काल में किया गया है। स्त्री समाज का ऐसा हिस्सा है जिसने अपने जीवन के हर कदम मे अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए संघर्ष किया है। पितृसत्तामक समाज मे स्त्री को रीति रिवाज की बेडियो मे जकड
केवल कवि ही कविता नहीं रचता, कविता भी बदले में कवि की रचना करती है’ जैसी अनुभूति को आत्मसात् करनेवाले दिनकर की विचारप्रधान कविताओं का संकलन है ‘हारे को हरिनाम’, जिसमें उनके जीवन के उत्तरार्द्ध की दार्शनिक मानसिकता के दर्शन होते हैं। इसमें परम सत्ता क
एक अध्यापक के पास बेटो की कमी नहीं होती
अपने जीवन के आस पास घटित व अनुभूत, घटनाओं व अनुभवों का शब्दों में अभिव्यक्ति का प्रयास ही "कहानी" के रूप में रूपांतरण है...🙏
प्रस्तुत पुस्तक अजय मौर्य ‘बाबू’ की डायरी बीते हुए लम्हे, गुजरे हुए दिनों की वो अमानत है, जो वर्षों तक डायरीनुमा तिजोरी में बंद रही. अब पुस्तक की शक्ल में आप तक पहुंचने को बेताब है. स्कूल के दिनों में बालपन को पीछे छोड़ किशोरावस्था की ओर जाते हुए गुन