Tafizul Hussain
मैं जो कल था मैं आज भी हूं मैं आसमान में टिमटिमाते सितारे जमीन में खिलता गुलाब भी हूं जिन्दगी को तलाशता एक कारवां भी हूं पहचान नहीं है मेरा फिर भी
Abhishek Dwivedi
मुक्तक
संजय पाटील
यह किताब निशा के जीवन के संघर्ष की कहानी है, जो समाज की रूढ़िवादिता का विरोध करते हुए सफलता हासिल करती है | वह बेटे की तरह ही अपनी सभी जिम्मेदारी और क
ओंकार नाथ त्रिपाठी
शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।
Online Edition
₹ 25
शिवदत्त
कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय सामाजिक काव्य/कविता संग्रह
निक्की तिवारी
घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें,
Dolly Prasad
इसमे स्त्री की विमर्शता एवं मन के भावो को अपनी क़लम के माध्यम से व्यक्त किया हैं.
विवेक त्रिपाठी
पुस्तक में पश्चिमी सभ्यता और भारतीय संस्कृति की विरोधाभासी समानता का मनोरंजक वर्णन है।
रितेश कुमार त्यागी
आलोक त्रिपाठी
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Sudheer Pandey
इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्
Manas
एक कहानी जो सभी को अपनी सी लगती है