दिनांक-13/12/2022
दिन -शनिवार
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए,
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए,,,,
🙇📚दिलरुबा,, ऐसा क्या के आज सुबह-सुबह गाना शुरू हो गया है आपका,,, क्या बताऊं दिलरुबा रात बहुत देर तक नींद नहीं आई,,, और जब सोई तो ऐसा ख़्वाब देखा कोई मुझसे पूछ रहा है आप किस तरहां की महिला हैं और महिलाओं के विषय में आप की क्या राय है,,,,मैंने कहा क्या मतलब है आपका,,, मतलब
😓अगर आपको अपने और महिलाओं के बारे में कुछ लिखने को कहा जाए तो आप ख़ुद को और महिलाओं को किस रूप में चित्रित करेंगी,,,,,ओह तो ये बात है,,तो मैंने बताया,,,,,,,
तो प्रिय दिलरुबा डायरी ये है मेरे विचार
अगर मैं अपने बारे में लिखूंगी तो अपने आप को एक सशक्त महिला के रूप में चित्रित करूंगी (जो कि मैं हूं) और समाज की हर महिला को इस रूप में देखना चाहूंगी,, जो हर परिस्थिति में हौंसला, हिम्मत और विश्वास से खड़ी रहती है.... कड़ी मेंहनत और सूझबूझ से ज़िंदगी की हर उलझन,परेशानी और परिस्थिति का सामना करते हुए प्रगति के पथ पर बढ़ती है... विश्वास के साथ हौसलों की उड़ान भरते हुए आकाश को छूना चाहती है... औरत की स्वतंत्रता और सुरक्षा की कामना करते हुए एक ख़ुशहाल परिवार की तमन्ना रखती है.. महिला और पुरुष की समानता में विश्वास रखती है,, अपनी उलझने स्वयं सुलझाने में सक्षम है,,, यानी पूर्ण रूप से एक सशक्त महिला,,,
😓🙃और फिर मेरी आंख खुल गई,, अरे ऐसी ही तो हैं आप,,, अरे मुझे छोड़ो दिलरुबा,,, ऐसी सशक्त महिलाओं की संख्या बहुत कम है,,,, मैं समाज की हर महिला को इस रूप में देखना चाहती हूं,,,, अपनी डायरी के माध्यम से मैं बताना चाहूंगी,,,देश की हर औरत सशक्त महिलाओं की श्रेणी में आए,, और हम कह सकें हमारे देश की हर महिला सशक्त और आत्म निर्भर है,,,
😊😊फूल की पत्ती से काट सकती है हीरे का जिगर
पहाड़ की चोटी से निकल सकती है बनके नहर
इतनी कमज़ोर नहीं के अबला कहलाए
घुट घुट के जिए या जीते जी मर जाए,,
तो महिला सशक्तिकरण के लिए हम सब मिलकर प्रयास करते हैं तुम देखना दिलरुबा,,,
🙇👍हम होंगे कामयाब,,, हम होंगे कामयाब एक दिन,, मन में है विश्वास,,,, पूरा है विश्वास,,, हम होंगे कामयाब एक दिन,,,,,,!
Thought of the day
🙇📚किसी चमत्कार की आशा न रखें
अपने आप को सशक्त बनाने का प्रयास करें,,
खातून,,,,, ✍️
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