🕉️ 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ 🕉️दीपक यह जलता रहा रात भरज्योत्सना से भरी रात्रि जी भरदग्ध-बीजों को मीले सातवरअमरत्व मिला न आएगाजरगुँजायमान् चहुंओर शंखनाद् स्वर'कोरना' व्यध्र- इति होना है कहर नैतिकवादियों का प्रारंभ प्रहरसात्विकों की जय- सुनिश्चितअनैश्वरवादी का अंत निश्चितअजपाजप वर करें सब मिलकरहर आतंकी स्व
खबरदार पाकिस्तानआज एल. ओ. सी. पार ९ आतंकीहिमाकत कर फिर ढ़ेर हुए।इमरान को क्वारेन्टाइन कीजरुरत नहीं- सीमा पारसमय को नज़ाकत भूलउझील दिए।।कोरोना की अंत्येष्टि कर लेंसमझे नहीं पुलवामा-बार-बार पंगा लिए।कब्रें बनालो यार चीन केपाक पर जलेगें हमारे१० लाख दिए।।डॉ. कवि कुमार निर्मल
कोरोना से कवि धायल!कोरोना का कहर देखलेखनी थमी हरजाई है!भूत को बिसरा- भयाक्रांत,आगे ज्यों खाई है!!अभूतपूर्व सौहार्दपूर्णता शुभ-चहुंदिश छाई है!'क्वारेन्टाइन' से कजाकोरना की बन आई है!!आर्थिक बिपदायें तोकई बार आ हमें रुलाई है!संकट पार हुए सारे,हर घर में खुशियां छाई है!!हौसला पुरजोर- बुलंद इरादे,थका नहीं
🙏कोरोना की विदाई🙏"कोरोना" की कर रहाचीन विदाई!भारत क्योंकर करे उनकी भरपाई?ठप्प हुआ आयात, आगे नाम मत लेनामेरे भाई।कैलाश-मानसरोवर लौटाए, भला करेगा उनका साईं।डॉ. कवि कुमार निर्मल
मानव मन में जमा मैल निकल बह रहा है।तमसा का ताण्डव कोरोनाबन डोल रहा है।।माँस-मछली-प्याज-लहसनअब तो बँधु छोडों।कुकृत्य किए बहुत,भगवान् से नाता रे! जोड़ो।।दवा पुरानी पर जयपुर मेंकारगर सिद्ध हुई है।कोरोना ऐसों की जमातसीमा पर खड़ी है।।दिखते नहीं पर सारी पृथ्वीशत्रुओं से पटी हुई है।सात्विक बन योग वरो,समय बाक
🎊 🎊🎊🎊🎊 🎊कृत्रिम मायानगरी कीचकाचौंध की बातों मेंना अब और उलझाओ।सात्विक बन, सत् - पथ परमिल संग चलें, बँधु आओ।।सार्थकता जीवन की,'जन सेवा' में बिताना।भर पेट खुद दो जून खाना,बाकी सब बाँट खिलाना।।संचयधन!!!!!!!!!!!!!!!संग देह नहीं ले जा पाएगा।''साधना - सेवा - त्याग'' सेहे मानव! महान बन पाएगा।।
👿👹👿👹👿👹👿👹👿👹👿कोरोना! कोरोना!! कोरोना!!!उचर करत्राहिमाम् - त्राहिमाम् सब चिल्लाते हो!फैल रही चहुंदिश तामसिकता कोतौल नहीं तुम रे मानव पाते हो!!कार्निभोरस नहीं तन से पर-भक्षण कर विष उगल रहे हो!समय अभी भी है बाकि,चेत सात्विकता नहीं गह पाते हो!!डॉ. कवि कुमार निर्मल
होली का अर्थ हुआ बँधुओं, हम भगवान् के होलिएतन-मन-धन-समय-सांस-संकल्प भगवान् के लिएभगवान् की ही अहेतुकी कृपा के फलस्वरुप हम हुएविगत बातों को कहते हम सब- "होली" सो होलीशंकर के भक्त भ्रमित हो गटक रहे रे भंग की गोलीपवित्रता को फिरंगियों ने भी सहृदय कहा सदा होलीये तीनों अर्थ हम सब के लिए श
भगवान् "प्रेम" का हीं दुजा नाम है।न वो मूरत में या फिर मकान में है।।उसे चाहते हो बँधु गर तुम पाना,प्रेम का रास्ता बहुत हीं आसान है।अंतरजगत में तीर्थाटन जो करता,वही साघक सिद्ध और महान है।।🙏 🙏 🙏निर्मल🙏 🙏 🙏🙏👣ह👣रि👣प👣द👣🙏
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞"बचपन" से हीं जिस वीर शिवा ने सुनेतृत्व निभाया!युद्ध - चक्रव्युह रच मिट्टी -बालू के कीले पर ध्वज फहराया!!🎌🎌🎌🎌🎌🎌🎌१६ साल का तरुण ने, पुणे के तोरण दुर्ग पर परचम् लहराया!बीजापुर के आदिलशाह को लोहे के चने वीर शिवा चबवाया!!⛺🎪⛺🎪⛺🎪⛺🎪⛺प्रपंच से पिता शाह को बंदी कर,शिवा का क्र
बांस की डाल चुन गुहा बनाईसात छिद्र कर होठों से लगाईसा-रे-ग-म-प-ध-नी★ सुर से हटी तन्हाईप्रिय बाँसुरिया तक राधा के हाथों में थमाईतंत्र साधना की जटिल गुत्थी सहज सुलझाईपर राधा थी कि बस कृष्ण नाम की रट लगाईनिर्मल★संगीत के सात शुद्धस्वर:---षड्ज (सा)ऋषभ (रे)गंधार (ग)मध्यम (म)पंचम (प)धैवत (ध)निषाद (नी)स्वर
🕉️🕉️🕉️🐚🐚सृष्टि-रहस्य🐚🐚🕉️🕉️🕉️‘महाशुन्य’ ‘ब्रह्म-एषणा’ की छद्म अभिव्यक्ति!"व्यष्टि" में लुप्त हुई समस्त- अव्यक्त "समष्टि"!!धूम्र-वर्ण निहारिका, अपार व्योम दृष्टव्य सारा!चकाचौंध तारे, हटात् उभरा अशुभ पुच्छ्ल तारा!!धूम्रकेतु- सप्त-ॠषि- मनोहर निहारिकायेंअतुल सृष्टि का मनमोहक अद्भुत भण्डारण!स
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩बेटा बचाओ- बेटी बहु बन कहीं जा घर बसाएगी!जो बहु बन आए वह क्या (?) ''बेटी'' बन पाएगी!!सुसंस्कार वरण कर पिया का घर-संसार बसाएगी!उच्च घर में जा कर वह निखरेगी वा सकुचाएगी!!विदा करते तो शुभ कहते पुरोहित् अभिवावक हैं!माँ-बाप का हुनर समेटे, वही बनती बड़भागिन है!!बेटा पास बैठ
"मेरी जिद्द"जिद्द है- मन बनाया है- तुझे पाउँगादिल के एक कोने में छुपा- बिठाउँगागुफ़्तगू में लम्बी रातें- मैं बिताउँगासिकवा-शिकायत रोज सुलझाउँगाखासमखास बन- मयपन मिटाउँगातुझसे आया- तुझमें समा जाउँगाजिद्द है- मन बनाया है- तुझे पाउँगादिल के एक कोने में छुपा- बिठाउँगाडॉ. कवि कुमार निर्मल
सृजन.....! ज़िंदगी है ,बनती- बिगड़ती हसरतें , जो पूरी न होने पर भी नए सृजन की ओर इशारा करती हैं। सुबह की ओस की वे बूँदें , जो चंचलता से पत्तों पर थिरकती मिट्टी में समां जाती हैं , तो कहीं सूखे पत्तों- सी चरमराती ज़िंदगी, नया बीज पाकर फ़िर सेखिलखिलाती है। बचपन के किस्से ,कहानियों से निकल ,ज़िंदगी जैसे
🌺 🌻 🌹🌷🌹 🌻 🌺गदा - अग्निवाण - सुदर्शन चक्र -ब्रह्मास्त्र अवतारों ने बहुत चलाया🌺🌸🌻🌹🌹🌻🌸🌺लाखों शवों से 'कुरुक्षेत्र' को पटायासुर्य देव अस्त होते होते उगते ठहर गया🌺 🌸🌻🌹🌹🌻🌸 🌺'रुद्रावतार' ध्वज पर चड़ा, चक्का धस गयाधर्म का झंडा फिर गड़ा, महाभारत बन गया🌺🌸🌻🌹🌷🌹🌷🌹🌻🌸🌺ऋषियों के तपो
⚜️⚜️⚜️🔱⚜️⚜️⚜️''नव चक्रों'' का गूढ़ रहस्यजब मानव समझ पाएगा।अनादि - अनंत परम - सत्ता लख आह्लादित हो जाएगा।।"ब्रह्म" है सत्य"- शास्रोक्तिजगत् को ''सापेक्षिक सत्य''समझ प्रेम सुधा बरसायेगा।पाप-पुण्य का अंतर जानमुक्ति-मोक्ष सहज पायेगा।।⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️डॉ. कवि कुमार निर्मल
धनवंतरी आयुर्वेदाचार्य मृत्युंजीवि औषधि आजीवन बाँटे।आज हम भौतिकता मे लिपट24 कैरेट का खालिस सोना चाटें।।मृत्युदेव तन की हर कोषिका-उतक में शांत छुपा सोया है।मन जीर्ण तन से ऊब कर देखोनूतन भ्रूण खोज रहा है।।लक्ष्मी अँधेरी रात्रि देख आदीपकों की माला सजवाती है।गरीब के झोपड़ में चुल्हे मेंलकड़ी भी नहीं जल प
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मनुष्य के अंदर सब कुछ जाननेवाला जो बैठा है वही है भगवान्।ओत-प्रोत योग से वे हर क्षण हमारे साथ हैं।याने, हम अकेले कदापि नहीं।जब अनंत शक्तिशाली हमारे साथ हैंतो हम असहाय कैसे हो सकते हैं?डर की भावना कभी नहीं रहनी चाहिए--जैसे एक परमाणु है जिसमें एकनाभि है तथा एलेक्ट्रोन्स अपनीधूरि पर
"चमचा भाई"काहो चमचा भाई कैसे कटी रात हरजाईभोरे मुर्गा बोले कूँ कूँह ठंडी की ऋतु आईहाथ पाँव में ठारी मोरे साजन की बीमारीसूरज ओस हवाई घिरि बदरी दाँत पिराई।।आज का चमचा, चमचों की के बात कर, हरदम रहते चुस्तचखें मसाला रस पियें, छौंक लगे तो सुस्त।।बड़े मतलबी यार हैं, हिलते सुबहो शामकंधे पर आसन धरें, चमची सह