।।🙏परशुराम🙏।।
कन्नौज-सम्राट गाधि की थी
अत्यंत रूपवती सुकन्या!
सत्यवती भृगुनन्दन ऋषीक
के जीवन से बंध रमना!!
भृगु ऋषि से पुत्रवधू ने
पुत्र प्राप्ति का किया प्रणय निवेदन
तथास्तु! कह भृगु मार्ग बताए
गूलर-वृक्ष का आलिंगन कर
चरु-पान से गर्भ वह पाए
पात्र माँ ने लोभवश
छल से पात्र बदला
ब्राह्मण पुत्र 'जमदग्नि'
क्षत्रिय बना डालना
विधना का अटल सत्य,
पौत्र से प्रार्थना कर,
ऋषि से होनी का टरकाना
जमदग्नि का विवाह
प्रसेनजित कन्या रेणुका से-
रुक्मवान, सुखेण, वसु और
विश्वानस संग 'परशुराम'
का अवतरित हो जाना
गन्धर्वराज चित्ररथ का
सौन्दर्य देख रेणुका
आसक्त हो जाना
हवन में विलम्ब!
क्रुद्ध मुनि जमदग्नि ने
पुत्रों को मातृ-बघ का
कठोर आदेश दिया
तपोबल से परशुराम ने
माता एवं बाधा करने पर
भाइयों का शिरोच्छेद किया
सहस्त्रार्जुन ने तप से
भगवान् दत्तात्रेय से
अभय प्राप्त किया
सहस्त्र-बाहु का बल
एवं अजयी होने का
अद्भत वर था पाया
जमदग्नि के आश्रम से
महाबलि कामधेनु को
बल-पूर्वक अपहृत कर लाया
कुपित परशुराम ने
हो क्रोधित दुष्ट का बघ कर
बहुत हीं था इतराया
प्रतिशोध की ज्वाला में दग्ध,
सहस्त्रार्जुन-पुत्रों ने
जमदग्नि का बघ किया
माँ रेणुका सती बनी,
पुत्र हुआ कुपित,
महिष्मती नगर ध्वस्त हो गया
परशुराम ने वसुंधरा को
एकईस बार क्षत्रिय-हीन किया
पिता का श्राद्ध हैहय वंशी
क्षत्रियों के रक्त-मंजा से किया
क्रोधाग्नि महर्षि ऋचिक के
विनीति से समित कर पाया
अश्वमेघ महायज्ञ में
अर्जित सप्तद्वीप युक्त पृथ्वि
महर्षि कश्यप को दान दिया
इंद्र समक्ष शस्त्र त्याग,
परशुराम ने महेंद्र पर्वत पर
योग का अनुसंधान किया
ऋषिश्रेष्ट बना परशुराम,
हर युग में शिव भक्त
ताण्डव किया- भूतल थर्राया
डॉ. कवि कुमार निर्मल