रूठे सुजन मनाइए जो रूठे सौ बार, रहिमन फिरि-फिरि पोईये टूटे मुक्ताहार |
अर्थात
अच्छे लोग भले ही सौ बार रूठ जाएँ, उन्हें हर बार मना लेना चाहिए | जिसप्रकार
माला टूटने पर मोतियों को धागे में वापस पिरो लिया जाता है |
18 जनवरी 2016
रूठे सुजन मनाइए जो रूठे सौ बार, रहिमन फिरि-फिरि पोईये टूटे मुक्ताहार |
अर्थात
अच्छे लोग भले ही सौ बार रूठ जाएँ, उन्हें हर बार मना लेना चाहिए | जिसप्रकार
माला टूटने पर मोतियों को धागे में वापस पिरो लिया जाता है |
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पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण, एम.बी.ए. इन टूरिज्म-मैनेजमेंट(सीएसजेएम-कानपुर विश्वविद्यालय), मास्टर्स इन मास-कम्युनिकेशन(लखनऊ विश्वविद्यालय), दैनिक जागरण-यात्रा विभाग में बतौर लेखक (१ जून २००८ से १७ सितम्बर २०१५ तक ) ७ वर्ष, ३ माह एवं १७ दिन का कार्य-अनुभव, नई दिल्ली के प्रकाशकों द्वारा कुछ पुस्तकों का प्रकाशन जैसे - मैनेजिंग एंड सेल्स प्रमोशन इन टूरिज्म (अंग्रेज़ी), शक्तिपीठ (हिंदी) और फिल्म-पटकथा लेखन पर आधारित मौलिक गीतों युक्त हिंदी में लिखी पुस्तक- “देवी विमला”...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी, प्रख्यात गीतकार श्री प्रसून जोशी द्वारा एक प्रतियोगिता में चयनित सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक गीत शामिल, जागरण जोश के कवर पेज पर आल-एडिशन फोटो...D