बचपन जो अपने
सपनों में ही मस्त होता है; अगर इन सपनों में आपके करियर का भी एक रंग हो तो वो
जुनून बन जाता है | साथ ही अगर आपकी प्रतिभा को शैक्षणिक, सामाजिक और पारिवारिक
परिवेश से भी स्वीकृति, प्रोत्साहन और सम्मान मिले तो फिर शुरू हो जाता है; कुछ
नया, कुछ अलग और सर्वोत्तम करने का अंतरद्वंद | स्वाभाविक है कि इन सब के बीच में
होगा बचपन की मासूमियत और अल्हड़पन की जगह एक ज़िम्मेदारी का बोध और समय से पूर्व ही
मानसिक परिपक्वता | साथ ही होगी सपनों के मंजिल को पाने की सम्पूर्णता और संतुष्टि
से भरी हुई एक अतृप्त कसक | यह सब वास्तव में अपने आप में एक अजीब अनुभव है, जो हर
वक़्त मेरे साथ रहा है | कभी इसने मुझे हिम्मत और हौसला दिया तो कभी बेचैनी और
व्यग्रता भी | और इन सबसे शुरू हुई कभी न ख़त्म होने वाली एक अस्पष्ट और अप्राप्य
सी प्रतीत होती असीम अभिलाषा !!! जितना ही इसके करीब जाने की कोशिश करता उतना ही
इसे अपने से दूर पाता | लेकिन, ये भी पता था कि इसके कारण ही जीवन में एक उद्देश्य
और एक सार है | यही वो रोशनी है, जो निराशा के घोर अँधेरे को अपनी उम्मीद की
नन्हीं किरण से प्रज्वलित किये हुए है | हालाँकि ये मुझे अपार कष्ट देती है, फिर
भी ये मुझे सबसे ज्यादा प्रिय है | आज अस्पष्ट और अप्राप्य सी प्रतीत होती अभिलाषा
पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट और प्राप्य सी प्रतीत होती है और ये सब क्रिएटिव लेखन
में प्रवेश के कारण है जो निःसंदेह मेरे सपनों की मंजिल पर पहुँचने का प्रथम सोपान
है | हालाँकि इस सोपान तक पहुँचने में कई तरह के सुखद अहसास भी हैं जिन्होंने मेरे
अन्दर दृणइच्छाशक्ति की लौ को हमेशा जलाये रखा | इन सुखद अहसासों में कई पुरस्कार
एवं स्कालरशिप शामिल हैं जिन्होंने सही दिशा में मेरे प्रवेश के निर्णय को
आत्म-संतुष्टि दी | कई कोर्स एवं जॉब्स को छोड़कर क्रिएटिव लेखन में प्रवेश का मेरा
साहसिक निर्णय निश्चय ही बचपन के मेरे जुनून का ही परिणाम था जिसमें मेरे सपने के
विविध रंग अपने साकार रूप में आने के लिए मुझे अपने विश्वास की आभा से आलोकित कर
रहे थे | मेरे इस निर्णय ने परिवर्तन तो किया है ; परिवर्तन सही और सकारात्मक सोच
का, सही क्षेत्र में आगे बढ़ने के दृणनिश्चय का, दबाव में भी उचित निर्णय लेने की
क्षमता का और सपनों के संसार को साकार करने का | हालाँकि इस क्षेत्र में भी कई तरह
के अवसरों और उसमें व्याप्त कड़ी प्रतिस्पर्धाओं को देखते हुए निश्चित रूप से आगे और
भी परिवर्तन की दरकार होगी और ये होना भी चाहिए | लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि
ये परिवर्तन भी वास्तव में मेरे दिल के करीब और मेरे यथार्थरूपी प्रतिभा के प्रतिफल
के अनुरूप होंगें | अन्त में, सकारात्मक परिवर्तन की आग को हवा देने और उसे सतत
तथा साकार बनाने के लिए मेरी अधिष्ठात्री देवी जगदम्बे को मेरा कोटिशः नमन !!!