अगर आपने संजय लीला भंसाली की ताजातरीन बेमिसाल सिनेमाई प्रस्तुति फिल्म
“बाजीराव-मस्तानी” को देखा होगा तो आपने “मोहे रंग दो लाल” गीत को जरुर सराहा होगा| मौजूदा
दौर के गीत-संगीत पर यूं तो बहुत सारी बातें कहीं जाती हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि
इस दौर में अविस्मरणीय गीतों का सृजन ही नहीं हो रहा| इस बात को ठोस आधार दिया है इस
गीत ने, साथ ही आज के दौर को भी दिया है मान-सम्मान| उल्लेखनीय है कि भव्य लेकिन
यादगार फिल्मों के शिल्पी संजय लीला भंसाली इतने कुशल संगीतकार भी हो सकते हैं, इस
बात को साबित कर दिया है इस गीत ने| वहीं सिद्धार्थ-गरिमा द्वारा लिखे इस सहज
लेकिन सुन्दर गीत को अपनी अति मिठास भरी शास्त्रीय गायिकी से जीवंत कर दिया है आज
के दौर की स्वर-कोकिला “श्रेया घोषाल” ने जिसे पर्दे पर साकार एवं मनभावन बना दिया
है पंडित बिरजू महाराज के नृत्य-निर्देशन में दीपिका पादुकोण की सधी नृत्य-अदायगी
ने| यकीन न हो तो इस विडियो को देख लें.....