सपने...जीने की राह | अर्थात् अपनों एवं स्वयं के लिए बहुत कुछ करने की तमन्ना | सपने ही तो थे, जिनमें मैंने ना जाने कितनी कहानिओं, कितने किरदारों को मन-मुताबिक़ जीया है और आज भी अपनी हर अगली मंजिल तक और इसके बाद शायद अनंत तक हर चरित्र को जीये जाते रहना है | अपनी सीधी-सादी मां के बुलंद विचारों और सच्चे मूल्यों को दुनिया के सामने उजागर करना है, जिन्हें अभी तक मैंने अपने सपनों और कल्पनाओं में ही जीया है | वास्तव में, मेरी पूरी दुनिया ही मेरी मां और शब्दों की जादूगरी के इर्द-गिर्द ही घूमती है | इसी में मै अपना वजूद देखता हूँ | अपनी इस क्षमता को पहचानने में हालांकि मैंने कई पड़ाव चाहे वो विभिन्न कोर्स करने का हो या जॉब का संघर्षमय दौर, जीया है | लाखों बातें, लाखों कहानियां और लाखों किरदार मन की आँखों से मेरी लेखनी में हमेशा घूमते रहे हैं, जिन्हें वास्तविकता के धरातल पर साकार करने के लिए कलम के स्थायित्व के मंज़र का इंतज़ार है | वैसे भी, अपने पसंदीदा क्षेत्र में स्वयं को संजोना एक बड़ी बात है | सच कहूं तो लेखन से जुड़कर मै अपनी प्रतिष्ठा को एक नया अर्थ, नया आयाम देना चाहता हूँ | अपने सभी सपनों, संतुष्टि एवं स्वयं जिसके लिए मै बना हूँ, इससे जुड़ना चाहता हूँ क्योंकि बहुत जल्द मुझे अपनी लेखनी द्वारा अपनी मां की छोटी सी दुनिया को चित्रपट पर पूरी दुनिया को भी दिखाना है, आज भी उसी सादगी और सच्चाई से, जैसे वो शुरू से रही है | इसके बाद, सपने तो खैर सपने हैं | वैसे एक बात तो तय है कि अपनी लेखनी से मुझे आसमां छूना है....