मेरे प्रिय मित्रों
मै आपका वही पुराना मित्र 2015 हूँ, जिसके साथ आपने एक-एक पल बांटे थे | आज मेरा आख़री दिन है इसलिए आप सभी को मेरा आख़री बार सादर नमन ! क्योंकि आज रात 12 बजे के बाद मै इतिहास बन जाऊंगा; किसी के लिए सुनहरी याद बन जाऊंगा तो कोई मुझे बुरे दिनों के लिए कोसेगा | लेकिन आप ही बताइये इसमें मेरा दोष ? चाहकर भी मै आपको वही दे पाया जितनी विधाता ने मुझे मेरी नियति दी | यही कि तुम सभी को सफलता-असफलता, सुख-दुःख, आशा-निराशा, सबक-सीख देकर मुझमें विलीन हो जाओगे सो मैंने तो वही किया जो परमपिता परमेश्वर की मर्जी थी | आज मेरा ईश्वर में विलीन होने का दिन है | मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं लेकिन अगर आपको मुझसे कोई शिकायत है तो मेरी नियति को समझकर मुझे क्षमा कर दीजियेगा |
अपनी नियति के नाते मै आप लोगों से बस यही कहना चाहूँगा कि “हर
आरम्भ का अन्त है और हर अन्त का आरम्भ” |
आज मेरा अन्त है तो 2016 का आरम्भ !
आपको एवं 2016 को मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनायें
!
उम्मीद है आप 2016 के स्वागत एवं धूम-धड़ाके में भी मुझे अपनी यादों
के एक कोने में कहीं न कहीं जरुर सहेजेंगे !
सधन्यवाद !!!
आपका शुभचिंतक 2015