अगर आपका बच्चा टीवी पर कुछ ज्यादा ही कार्टून देखने लगा है और इसका शौक़ीन
होता जा रहा है, तो आपको थोड़ा सावधान होने की जरुरत है | क्योंकि यह लत आपके बच्चे
के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती है | सूत्रों
के मुताबिक इन दिनों टीवी पर तेजी से बढ़ रहे कार्टून चैनलों में आने वाले अधिकाधिक कार्यक्रमों को
देखकर बच्चों के व्यवहार में हिंसक प्रवृत्ति दिखाई देने लगी है, जो उनके सफल
भविष्य के लिए खतरे की घंटी है | ज्ञात हो कि पहले बच्चों के मनोरंजन के लिए
पंचतंत्र और चाचा चौधरी वाली कॉमिक्स चला करती थीं और बच्चे भी इसे काफी पसंद करते
थे। धीरे-धीरे ये कॉमिक्स मार्केट से गायब होनें लगीं और इनकी जगह अब फाइटर वाले
कार्टून कैरेक्टर्स ने ले लिया है | कानपुर में रहने वाली श्रीमती पूजा का कहना है कि उनके बच्चे की उम्र सिर्फ
अभी तीन साल है लेकिन उसको कार्टून की ऐसी लत लगी है कि रात 11 बजे तक जब तक वो
राबिनहुड का प्रोग्राम न देख ले, सोता ही नहीं है | इतना ही नहीं मोटू-पतलू, छोटा भीम, डोरेमोन जैसे कार्टून कैरेक्टर्स की कभी
नकल करता है, तो कभी निंजा जैसी तलवार की डिमांड करता है। इस सम्बन्ध में बाल विशेषज्ञ तनवीर
आलम ने बताया, ''आज जिस तरह से टीवी पर आने वाले कार्टून की तरफ बच्चों का रुझान बढ़ रहा है, वह उनके लिए बुहत ही
नुकसानदायक है। ज्यादातर कार्टून कार्यक्रमों में एक हीरो और एक खलनायक होता है, जिनके बीच काफी
मार-धाड़ दिखाई जाती है। ऐसे में बच्चों के दिमाग पर काफी असर पड़ता है। बच्चे भी
टीवी पर होने वाली फाइट की नकल करने लगते हैं। यही नहीं बच्चे उसी तरह से कार्टून
कैरेक्टर की तरह बोलने की भी कोशिश करते हैं और उन सभी चीजों की मांग करते हैं
जिसको वो कार्टून कार्यक्रम में देखते हैं।'' आलम ने आगे बताया, ''कार्टून देखने से बच्चों के अंदर का स्टेमिना भी खत्म होता है, क्योंकि वो एक ही जगह
पर बैठकर ज्यादातर समय टीवी देखते रहते हैं। ऐसे में फिजिकली वर्कआउट न होने से
उनमें जो स्टेमिना विकसित होना चाहिए, वो नहीं हो पाता। इससे वह शारीरिक रूप से मजबूत नहीं हो पाते। वहीं, उनमें फैट भी बढ़ जाता
है।“ इससे बचाव के सन्दर्भ में पूछने पर उन्होंने सलाह दिया “यदि आप अपने बच्चे को
इस नुकसानदायक लत से बचाना चाहते हैं तो, बच्चे के अंदर कार्टून की बजाय खेलों की तरफ रुझान बढ़ाने की कोशिश करें | आपका
यह प्रयास आपके बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित
होगा। साथ ही बच्चों को टीवी पर अच्छी सीख वाले कार्यक्रम दिखाने की भी कोशिश
करें क्योंकि बच्चों में किसी भी चीज का असर बहुत जल्दी पड़ता है। आप अपने बच्चों
पर पूरी निगरानी रखें और अगर आपको बच्चों की आदत में कोई नकारात्मक बदलाव देखें तो
उनकी काउंसिलिंग जरूर करें, इससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि आपके बच्चे के
दिमाग में क्या चल रहा है।”
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