प्रिय शिक्षक मित्रों,
बच्चों को सिखाना होगा| मुझे
पता है कि आप सभी इसे सहजता से स्वीकार नहीं करेंगे| लेकिन बच्चों को पुस्तकों की
दुनिया से रूबरू कराते हुए उन्हें आसमान में उड़ती चिड़ियों, उजाले में घूमती
मधुमक्खियों तथा हरी-भरी पहाडी में खिले फूलों में निहित शाश्वत अर्थ को समझने के
लिए शांति के साथ चिंतन-मनन का अवसर देना होगा| स्कूल में उन्हें इस बात को समझाना
होगा कि स्वयं को धोखा देने के बजाय अवनति से बचाने के लिए यह एक अच्छा प्रयास हो
सकता है| उन्हें स्वयं के आदर्शों एवं विचारों में विश्वास जगाना होगा चाहे दूसरों
की नज़रों में भले ही यह गलत हो| उन्हें सरल के साथ सरलता तथा सख्त-जनों के साथ
सख्ती बरतने का भी पाठ पढायें| भीड़ में खोये लोगों के पद-चिन्हों पर चलने के बजाय उन्हें
आत्मविश्वास हासिल करने को प्रेरित करें| उन्हें हर किसी को सुनने की शिक्षा दें
लेकिन केवल उन्हीं चीज़ों को ग्रहण करने की सीख दें, जो सच्चाई की कसौटी पर खरी
उतरती हों| दुखी होने पर हंसने का पाठ तथा रोना कमजोरी नहीं है, का पाठ भी पढाएं| उन्हें
द्वेष से दूर रहना सिखाएं तथा बहुत अधिक उदारता दिखाने से बचने की भी सलाह दें|
उन्हें अपनी प्रतिभा एवं कौशल का उचित एवं सर्वोच्च प्रतिफल प्राप्त करने की सीख
दें, लेकिन यह मन और आत्मा की कीमत पर न हो| साथ ही उन्हें उत्तेजनापूर्ण शोर न
सुनने की नसीहत दें, परन्तु सच के प्रति लड़ाई लड़ने एवं खड़े होने की प्रेरणा भी
दें| उन्हें प्यार दें लेकिन बहुत अधिक आत्मीयता भी न दें क्योंकि अग्नि में तपकर
ही फौलाद बनता है| उनमें सहनशील होने का साहस भरें और बहादुर बनने की आत्मशक्ति
भी| उन्हें हमेशा स्वयं पर विश्वास रखने की सीख दें क्योंकि इससे ही वे मानवता के
प्रति संवेदनशील बन पाएंगे| यह बड़ी मांग है, लेकिन देखते हैं आप इसमें कहाँ तक सफल
होते हैं ?
……….अब्राहम लिंकन