उल्लेखनीय
है कि रेडियो के अति लोकप्रिय प्रोग्राम मन की बात में श्री नरेन्द्र मोदी ने
लोगों से आम बजट को अपनी परीक्षा करार दिया था और इसमें उन्होंने पास होने का
आत्मविश्वास भी दिखाया था लेकिन दुःख की बात है कि श्री मोदी जी का यह आत्मविश्वास
उन्हें इस परीक्षा में पास नहीं करवा पाया बल्कि मोदी जी इस परीक्षा में फेल हो गए
हैं| उम्मीद है समय रहते मोदी सरकार चेत
जायेगी वरना न केवल कारोबारी वरन जनता भी उन्हें माफ़ नहीं करेगी| आइये जानें इस आम बजट की वो कौन सी मुख्य बातें हैं जिनकी
वजह से मोदी जी इस परीक्षा में फेल हुए हैं:
- स्टार्ट अप्स इंडिया के लिए धक्का
है यह बजट
स्टार्ट
अप्स इंडिया मोदी सरकार का बहुप्रचारित एवं महत्वाकांक्षी है जिसके जरिये लाखों
युवाओं को रोजगार देने की बात कहने वाली मोदी सरकार के दूसरे आम बजट में ही इस
कार्यक्रम का जिक्र तक नहीं है| वास्तव में लाखों युवा उद्यमी मोदी जी से आस लगाये
बैठे थे कि बजट में स्टार्ट अप्स के लिए विशेष प्रावधान अवश्य होगा लेकिन बजट में
इसका उल्लेख तक न होना लाखों युवाओं के सपने पर पानी फेरने जैसा है
- सर्विस टैक्स बढ़ाकर अपने लिए गड्ढा
खोद रही है मोदी सरकार
पूर्व
में १४.५ फीसदी सर्विस टैक्स से यूं ही महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है उस
पर इसे १५ फीसदी कर देने से पहले से ही टैक्स की मार से जूझ रहे युवा कारोबारी देश
का कितना भला करेंगे ये तो दूर की बात अपना ही भला कर लें तो गनीमत है| साथ ही पूर्व के बजट में स्वच्छ भारत सेस द्वारा जमा पूंजी को ही सरकार अभी तक
ख़त्म नहीं कर पाई ऊपर से इस बजट में कृषि कल्याण जैसा अतिरिक्त सेस लगा देना बेहद
निराशाजनक है| वहीं इन्कम टैक्स
स्लैब में कोई बदलाव न होने से एम्प्लाइज का जीना वैसे भी दूभर ही होने वाला है| साथ ही बिल बेस्ड सर्विसेज बढ़ने से
रेल, हवाई, मनोरंजन, खान–पान इत्यादि से जुड़ी बुनियादी चीजों का दाम बढ़ना क्या कारोबारियों
के कोड़ पर खाज नहीं है? निश्चय ही इन सभी वजहों से बढ़ती बेतहाशा महंगाई क्या आपको
नहीं लगता कि मोदी सरकार के लिए गड्ढा खोद रही है?
- कृषि क्षेत्र में १०० फीसदी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश? अब खुदरा बाज़ार के बाद किसानों से भी छिनेंगे उनके हक़? हालाँकि चुनाव के पहले वादे तो कुछ
और ही थे!
खुदरा
व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या कम था कि इस बजट में मोदी सरकार ने कृषि
जैसे बुनियादी क्षेत्र में भी १०० फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एलान किया है| सबको पता है कि किस प्रकार खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश से छोटे व्यापारियों के हक़ छिन गए फिर कृषि क्षेत्र में
१०० फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से क्या पहले से ही बेहाल किसानों से उनका हक़ नहीं
छिन जाएगा? हालाँकि दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव पूर्व मोदी जी ने कहा कुछ
और था लेकिन अब बजट देख यह कतई नहीं लगता कि मोदी जी को किसानों, छोटे व्यापारियों
को किये उनके वादे अभी भी याद हैं! कहना गलत नहीं होगा कि यदि यही हाल रहा तो मोदी
सरकार का पुनः सत्ता में आना कमोबेश असंभव है| इसकी बानगी हाल-फिलहाल विधानसभा
चुनाओं में भी आपको अवश्य दिख जाए तो चौंकिएगा नहीं!