भारतीय पर्वों में मकर संक्रांति ही संभवतः एक ऐसा पर्व है जिसका मनाया जाना सूर्य
की गति पर निर्भर है | इसी कारण मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पूरे देश में
भिन्न-भिन्न नामों मसलन असम में बीहू, तमिलनाडु में पोंगल, पूर्वी उत्तर प्रदेश
एवं बिहार-झारखण्ड में खिचड़ी, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक व
केरल में संक्रांति, गुजरात में उत्तरायण तथा अन्य में इसी नाम से मनाया जाता है |
हालाँकि इस वर्ष 2016 में ग्रहों की चाल बदलने से मकर संक्रांति पर्व विधिवत रूप
से 15 जनवरी को मनाया जाएगा
जबकि कुछ जगहों पर आज भी इसकी अच्छी-खासी धूम है। ज्ञातव्य है कि मकर संक्रांति के दिन प्रकाश एवं ऊर्जा के देव सूर्य धनु से मकर राशि में
प्रवेश करते हैं अर्थात दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जिससे समस्त देव जागृत
अवस्था में आ जाते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है| साथ ही दिन बड़े और
रातें छोटी होती जाती हैं | मान्यतानुसार सूर्यदेव की उपासना के साथ इस दिन संगम (प्रयाग,
इलाहाबाद) अथवा पवित्र गंगा या अन्य नदियों में स्नान कर दान-पुण्य से व्यक्ति में
सूर्य का तेज संचित होता है एवं उसके जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, और उसके सुप्त भाग्य का भी उदय होता है। इस कारण
आज तथा कल प्रयाग (इलाहाबाद), वाराणसी, कुरुक्षेत्र, पुष्कर, गया, गंगासागर, हरिद्वार समेत देश की सभी पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, सरयू, गोदावरी
इत्यादि के घाटों तथा सरोवरों पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक स्नान एवं दानपुण्य का मेलामय
दौर चलेगा, जिसमें सारे भारत वासी उत्साह से डूबे रहेंगे। साथ ही इस अवसर पर सभी शहर-गांवों
में खिचड़ी एवं अन्य वस्तुओं के दान के साथ तिल, गुड़ से बने लड्डुवों का
मज़ा लेते हुए लोग बड़े पैमाने पर आयोजित विभिन्न पतंगबाजी
प्रतियोगिताओं में भी जोरदार तरीके से शिरकत करेंगे | निश्चय की यह पर्व भारत की
अद्भुत सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय आईना है |
‘मकर संक्रांति’ के पुण्य उत्सव पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं......