त्योहारों का विधान
हमारे बड़े-बुजुर्गों या पूर्वजों ने अत्यंत सोच-समझकर ही किया है | इस
परिप्रेक्ष्य में दीवाली का जिक्र खास है | यूं भी मेरे जैसे ही ज्यादातर लोगों का
पसंदीदा उत्सव या त्योहार दीवाली ही होगा ! परम्पराओं के अनुसार अधिकतर त्योहार
अपने पैतृक या जन्मभूमि पर ही मनाया जाता है | मेरे घर में भी यही परंपरा पीढ़ियों
से चलती आ रही है | हम सारे परिवारजन भले चाहें देश में हों अथवा परदेस में दीवाली
पर अपने पैतृक घर पर यथासंभव एकत्र होते हैं | आमने-सामने प्रत्यक्ष रूप से परिवार
के इस मेल-मिलाप से हमारे रिश्तों की डोर और मजबूत होती है | बिना रिश्तों के जीवन
बेकार है | रिश्तों से आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है | जिससे शारीरिक
स्वास्थ्य पर अपने-आप सकारात्मक प्रभाव परिलक्षित होता है | इसलिए मेरे लिए तो
दीवाली रिश्तों की जमा-पूंजी है | और आपके लिए ?