हिंदी सिनेमा के बेहद प्रतिभाशाली निर्देशकों में से एक संजय लीला भंसाली की
फिल्मों का दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है, जिनकी फिल्मों में एक-एक दृश्य
पर्दे पर जीवन्तता के साथ साकार हो उठते हैं | भंसाली की ताज़ातरीन सिनेमाई उम्दा
प्रस्तुति है फिल्म “बाजीराव-मस्तानी...एक योद्धा की प्रेम कहानी” | यह फिल्म महान
मराठी ब्राह्मण योद्धा पेशवा बाजीराव और बुंदेलखंड की वीरांगना मुस्लिम राजकुमारी
मस्तानी की अमर प्रेम-कहानी है, जिसमें तत्कालीन धर्म, जाति और समाज का सुन्दर
चित्रण पेश किया गया है तथा फिल्म का सार्वकालिक सन्देश है कि मुहब्बत स्वयं में
एक मज़हब है जिसे मानने वाले पवित्र इबादत के अमर ईश्वरीय किरदार हैं | वास्तव में
मुहब्बत को मज़हब एवं इबादत के रूप में मानने वाले बाजीराव तथा मस्तानी द्वारा प्रेम
के लिए समाज से लड़ते उनके साहस तथा तत्कालीन विभिन्न सामाजिक पात्रों की विविध मनोदशाओं
की सार्थक सशक्त कहानी है बाजीराव-मस्तानी | फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है इसकी
पटकथा और इसके शानदार संवाद साथ ही इसका बेहतरीन निर्देशन | हालाँकि इसके कुछ
दृश्यों में आपको भंसाली की पूर्व निर्देशित फिल्म देवदास तथा कालजयी फिल्म मुगले-आज़म
की सहज ही स्मृति हो सकती है | वहीं बाजीराव का नृत्य गीत तथा मस्तानी का मराठी नृत्य
तर्क की कसौटी पर कमजोर है लेकिन पर्दे पर इसकी भव्यता दर्शकों को इसका तनिक भी
आभास नहीं होने देती | उल्लेखनीय है कि आधुनिक तकनीक के प्रयोग द्वारा
बाजीराव-मस्तानी के रचे युद्ध दृश्य इस फिल्म की जान हैं जिन्हें पर्दे पर बेहद
खूबसूरती के साथ सधे अंदाज़ में प्रस्तुत किया है भंसाली ने | फिल्म के प्रमुख
किरदारों को निभाने वालों की बात करें तो बाजीराव के किरदार को रणवीर सिंह ने अपने
उत्कृष्ट अभिनय से जीवंत कर दिखाया है जिन्हें निश्चय ही इस बार बहुत सारे
पुरस्कार अवश्य मिलेंगे | वहीं मस्तानी की भूमिका में दीपिका पादुकोन बेहद जंची
हैं, साथ ही बाजीराव की ब्याहता पत्नी काशीबाई के किरदार को प्रियंका चोपड़ा तथा
बाजीराव की मां राधामां की भूमिका को तन्वी आज़मी ने यादगार बना दिया है | इन तीनों
अभिनेत्रियों को भी बहुत सारे पुरस्कार या पुरस्कारों में नामांकन अवश्य मिलेगा |
बहरहाल अपने पूर्व की फिल्मों के कुछ दृश्यों के दोहराव के बावजूद निश्चित रूप से भंसाली
की फिल्म बाजीराव-मस्तानी उनके नगीनों में से एक है जिसे पर्दे पर देखना आपको
अवश्य ही रास आएगा | हाँ ये भी दीगर बात है कि 12 वर्षों से संजोया भंसाली का यह ड्रीम प्रोजेक्ट अगर बाजीराव की भूमिका में
सलमान खान, मस्तानी की भूमिका में ऐश्वर्या रॉय, काशीबाई की भूमिका में रानी
मुखर्जी तथा राधाबाई की भूमिका में रेखा द्वारा बना होता तो यह फिल्म निःसंदेह
हिंदी सिनेमा की एक कालजयी फिल्म साबित हो सकती थी | फिर भी रणवीर-दीपिका-प्रियंका-तन्वी
के सधे अभिनय तथा भंसाली के भव्य निर्देशन तथा अपनी बेहतरीन पटकथा एवं यादगार
संवादों के लिए बाजीराव-मस्तानी लम्बे समय तक याद की जायेगी | वहीं भंसाली के
संगीत में श्रेया घोषाल द्वारा गाया ‘दीवानी हाँ दीवानी हो गई’ गीत लोगों के ज़ेहन
में वर्षों तक बना रहेगा | अन्त में भंसाली की फिल्मों के मुरीदों में से एक मै भी
आप से बिना किसी लाग-लपेट के, निष्पक्षता के साथ कहूँगा कि प्रेम का एक धर्म के
रूप में अविस्मरणीय अनुभव हासिल करने के लिए जरुर देखिये बाजीराव-मस्तानी |
….चंद्रेश विमला त्रिपाठी...