सदियाँ बदल गईं पर
हिंदुस्तान की सीरत व आत्मा वही है| ख़ालिस शुद्ध| लेकिन देश के लगभग हर शहरों में धरातल
पर यानी प्रत्यक्ष, वो शुद्धता नहीं दिखती| हालांकि स्वाधीनता संग्राम से शुरू हुआ
क्रांति का सिलसिला हिंदुस्तान में बदस्तूर जारी है| क्रांति के राष्ट्र की उपाधि वाले
इस देश की कालजयी क्रांतियों में हरित, श्वेत के बाद इन दिनों डिजिटल क्रांति ने भी
हमें बहुत बदल दिया है, लेकिन नहीं बदली है तो स्वच्छता को लेकर हमारी सोच| जिसकी
परिणति है, हमारा स्वच्छ देशों में ना शुमार होना| आज भारत में एक और क्रांति की
जरुरत है, वो है, स्वच्छता क्रांति| सरकार-जनता को मिलकर इस क्रांति को इसके आगाज़
से इसके अंजाम तक पहुँचाना होगा, तभी स्वस्थ भारत, खुशहाल भारत, शक्तिशाली भारत,
स्वच्छ भारत, सुन्दर भारत का हमारा सुनहरा स्वप्न साकार होगा| आइए ज्ञान-अध्यात्म
के ओजस्वी भारत के कोने-कोने में स्वच्छता की अलख जगाएं और अपनी बरसों पुरानी
शुद्ध अस्मिता को साकार स्वरुप में लाकर विश्व को स्वच्छता क्रांति का सशक्त
सन्देश दें.....