तारिक फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ. 1960 और 70 के दौर में वो वामपंथी विचारधारा से प्रेरित रहे.पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और जाने-माने पाकिस्तानी स्तंभकार तारिक फतेह (Tarek Fatah) का कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद सोमवार ’24 अप्रैल’ को निधन हो गया. उनकी बेटी नताशा फतेह ने उनके निधन की पुष्टि की है. वह 73 वर्ष के थे. कनाडा में रहने वाले लेखक इस्लाम और आतंकवाद पर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते थे. फतेह ने कई बार पाकिस्तान की आलोचना करते हुए केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को अपना समर्थन व्यक्त किया था.तारिक़ फ़तह इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर आवाज बुलंद करते थे। वो उदारवादी इस्लाम के पक्ष को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध थे। वो कई बार भारत आ चुके थे। भारत में उन्हें मान-सम्मान भी मिलता था। वो खुद को भारत का बेटा तक कहते थे। चेजिंग अ मिराज: द ट्रैजिक इल्लुझ़न ऑफ़ ऐन इस्लामिक स्टेट उनकी प्रसिद्ध कृति है। आतंकवाद पर तारिक फतेह कई बार मुखर आवाज उठा चुके थे। इस कारण कई इस्लामिक अतिवादी संगठन उनका विरोध भी करती थी।पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। बता दें कि वे भारत के प्रति अपने उदारवादी रुख के कारण यहां के लोगों में खासे लोकप्रिय थे।
तारिक फतेह के जाने पर जो कमी हिंदुस्तान को खलेगी उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। वे दिल से हिंदुस्तानी व
उदारवादी थे। वे सच बोलने का साहस रखते थे और कट्टरपंथी का विरोध करने का भी। वेआज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार उनके किताबें हमेशा दुनिया का मार्ग प्रशस्त करती रहेंगी। वे अपने बेबाक बयानों से अपने विचारों से अमर हो गए। उदारवादी लोगों के जेहन में वे हमेशा एक सितारे की तरह चमकते रहेंगे जिसका अपना प्रकाश है। जिसने दुनिया को एक नया रास्ता दिखाया है।
(© ज्योति)