सूडान में करीब 10 दिन से चल रहे संघर्ष के बीच दोनों पक्ष संघर्ष विराम को सहमत हुए। 72 घंटे का ये संघर्ष विराम 24 अप्रैल की आधी रात से शुरू हुआ। इस बीच, भारत ने अपने लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया है।सूडान में सेना और अर्ध सैनिकों के बीच जारी संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। हालांकि, दोनों बलों ने 72 घटों का एक युद्धविराम घोषित किया है। इस बीच, भारत हिंसाग्रस्त देश से अपने लोगों की निकासी के लिए ऑपरेशन कावेरी चला रहा है। इसके तहत सूडान में फंसे ढाई सौ से अधिक भारतीय सूडान से निकाले जा चुके हैं।लग रहा था कि हम मृत्युशय्या पर थे...' ये शब्द हरियाणा के सुखविंदर सिंह के हैं, जो सूडान में फंसे थे और वहां से निकलकर सऊदी अरब के रास्ते नई दिल्ली पहुंचे हैं. 40 साल के सुखविंदर पेशे से इंजीनियर हैं और उन 360 भारतीयों में से एक हैं, जो 'ऑपरेशन कावेरी' के तहत पहले बैच में आए हैं.
सुखविंदर हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं, वे सूडान की मौजूदा स्थिति को याद करके कहते हैं कि वे अभी भी बहुत डरे हुए हैं. उन्होंने बताया, ''हम एक बंद कमरे में रह रहे थे, यह ऐसा था कि हम मृत्युशय्या पर हों.''
इसी तरह यूपी के कुशीनगर के रहने वाले छोटू सूडान में एक फैक्ट्री में काम करते थे, वे अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि भारत लौट आए हैं. वे कहते हैं, ''मैं मरकर वापस आ गया.'' समाचार एजेंसी से बातचीत में छोटू कहते हैं, ''कभी सूडान नहीं जाऊंगा. मैं देश में रहकर कुछ भी करूंगा, लेकिन अब सूडान कभी नहीं जाऊंगा.''।अब तक 600 से अधिक भारतीयों को वतन वापसी हो चुकी है। वहीं 3500 से अधिक भारतीय और र 1000 पीआईओ के फंसे होने की संभावना है।
ऑपरेशन कावेरी से भारतीयों को वापस ले गए भारतीयों को वापस लाया जा रहा है। यह सरकार की अच्छी पहल है। युद्ध की स्थिति में अपने नागरिकों को भारत वापस लाना एक सकारात्मक कदम है। सभी भारतीय अपने वतन वापस आकर खुश हैं तथा सरकार किस काम की सराहना कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि सूडान की स्थिति जल्दी से सुधरेगी।और जल्दी वहां हालात सही होंगे।
(© ज्योति)