मन की गहराइयों में अपने आप को ढूंढना
खुद से खुद का परिचय कराना
क्या यही है ध्यान?
प्रश्न मेरा था, उत्तर भी मन ने दिया
ध्यान है आनंद
ध्यान है पूजा
ध्यान है खुद पर विश्वास
ध्यान है जिंदगी की हर स्वास
जीवन के हर प्रश्न का उत्तर
मिलता है ध्यान की अतल गहराइयों में
जिसने इसे साध लिया
उसने अपने आप को पहचान लिया
ध्यान की अतल गहराइयों में डूब कर
तथागत ने विश्व को नया मार्ग दिखाया
मीरा ने इस में डूब कर
कृष्ण को मीत रूप में पाया
जो जो डूबा इस ध्यान में
उसने विश्व को एक नया मार्ग दिखाया है।
एक नई ऊर्जा विश्वास से
दुनिया का परिचय कराया है।
इसलिए ध्यान को अपनाओ तुम
जीवन को समझाओ तुम
मानव क्यों हर पल रोता है?
क्यों जीवन के क्षण वह व्यर्थ जीता है?
यदि जीवन के लक्ष्य को पाना है
तो ध्यान तुम लगाओ ।
इसमें डूब कर तुम
अपने आप को पहचानो
खुद से खुद को जानो
यह है जीवन का मंत्र अनमोल
यह है वह खजाना
जिसने जीवन को बदल डाला।
(© ज्योति)