दुनियाभर की एजेंसियों ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था माना है, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 2023 में 6.5 – 7.0 प्रतिशत रहेगी। सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत के आर्थिक विकास का मुख्य आधार निजी खपत और पूंजी निर्माण रहा है, जिसने रोजगार के सृजन में मदद की है। यह शहरी बेरोजगारी दर में कमी तथा कर्मचारी भविष्य निधि के कुल पंजीकरण में तेजी के माध्यम से दिखाई पड़ती है। इसके अतिरिक्त, विश्व के दूसरे सबसे बड़े टीकाकरण अभियान, जिसमें 2 बिलियन खुराकें दी गई हैं, ने भी उपभोक्ताओं के मनोभाव को मजबूती दी है, जिससे खपत में वृद्धि होगी। निजी पूंजीगत निवेश का नेतृत्व करने की आवश्यकता है ताकि रोजगार के अवसरों का तेजी से सृजन हो सके।भारतीय अर्थव्यवस्था में निकट भविष्य में स्थानीय कारकों की बदौलत तेज़ी से वृद्धि होने की उम्मीद है, जिनमें से कुछ उच्च आवृत्ति संकेतकों के रूप में परिलक्षित होते हैं।
कॉरपोरेट ऋण-से-GDP अनुपात लगभग 15 वर्षों में अपने सबसे निचले बिंदु पर है, इसमें विगत पाँच वर्षों में काफी कमी आई है और बैंक बुक से ज़्यादातर पुराने खराब ऋणों को हटा दिया गया है।
ऋण-से-GDP अनुपात जितना कम होगा, देश द्वारा अपने ऋण का भुगतान करने और डिफ़ॉल्ट के अपने ज़ोखिम को कम करने की उतनी ही अधिक संभावना होगी, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में वित्तीय स्थिरता हो सकती है।
इनपुट लागत के दबाव में कमी, कॉर्पोरेट बिक्री में वृद्धि और अचल परिसंपत्तियों में निवेश में वृद्धि केपेक्स चक्र में तेज़ी की शुरुआत है, जो संभावित रूप से भारत के विकास को गति देने में योगदान दे सकती है।
विगत आठ महीनों से बैंक ऋण दो अंकों में बढ़ रहा है, जो आंशिक रूप से निवेश संबंधी ज़ोखिम (Investment Appetite) में वृद्धि को दर्शाता है।
यह देखते हुए कि चीन कम कुशल, अकुशल श्रम, जैसे- कपड़ा, जूते, चमड़ा और चीनी मिट्टी की वस्तुओं की आवश्यकता वाले विनिर्माण क्षेत्रों को कम महत्त्व दे रहा है अतः भारत के पास इससे लाभ उठाने का एक मौका है, अधिकांश बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा चीन-प्लस-वन रणनीति का उपयोग एक अवसर प्रस्तुत कर सकता है।
समग्र GDP विकास में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, रबी की अच्छी उत्पादकता को देखते हुए उच्च समर्थन मूल्य के साथ गेहूँ उत्पादन, पर्याप्त जलाशय स्तर और सहायक जलवायु कारकों के साथ कृषि क्षेत्र में अच्छी संभावनाएँ दिखाई देती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि के यह घटक भारत के विकास में बढ़ोतरी को दिखा रहे हैं। निश्चय ही यह अच्छा संकेत है।
। ( ज्योति)