आज 1 मई को हम श्रमिक डे मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं। क्या हम मजदूर दिवस मनाने से कुछ कर पाएंगे उन मजदूरों के हित मे जिन्हें पूरे दिन मेहनत करने पर सिर्फ इतने पैसे मिलते हैं कि वह अपने परिवार के लिए थोड़ा सा खाना खरीद सके। आलीशान बंगलों में मजदूरी करने वाले मजदूर क्या अपने पूरे जीवन में एक रहने के लिए घर भी बना पाते हैं क्या। दिन भर मजदूरी कर रात में पेट भर खाना ही मयस्सर हो जाए तो यह उनका सौभाग्य है। मजदूर बस मजदूरी करता है। सरकार द्वारा मजदूरों के हितों में फैसले तो बहुत लिए जाते हैं पर वास्तव में उन्हें बहुत ज्यादा नहीं मिलता। कल की चिंता रोज ही लगी रहती हैं। कल काम मिलेगा या नहीं उनके लिए यह भी चिंता का विषय है। अतः जरूरी है की मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी उपलब्ध कराई जाए व उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए ताकि वे शोषित और वंचित ना हो।
मजदूर बड़ा मजबूर है
मेहनत करने पर भी
उनके सपने दूर हैं।
मेहनत इतनी करता है
तब अपना और परिवार का
पेट वह भरता है।
मजदूर दिवस मनाते हो
उसे अच्छे सपने दिखाते हो
उसे दुनिया में मान सम्मान दिलाओ ना
उसे जागरूक तुम बनाओ ना
कोई शोषण उसका कर सके ना
उसे इतना समझाओ ना
उसके बच्चों को पढ़ाओ ना
उसके परिवार को ऊंचा उठाओ ना।
तभी देश का मान बढ़ेगा
तभी श्रम का सम्मान बढ़ेगा
तभी वह गौरव से कह सकेगा
मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं
मैं मेहनत से अपने सपने पूरे करता हूं
मैं श्रम से नई धरा का निर्माण करता हूं।
(©ज्योति)