भारतीय विरासत कई शताब्दियों पहले की है। यह विशाल और जीवंत है। हमने अपनी संस्कृति और परंपरा को शुरू से ही महत्व दिया है और इसे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए खूबसूरती से संरक्षित किया है। हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमने कितनी प्रगति की है और हम कितनी दूर तक पहुँचने की योजना बना रहे हैं, हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को कभी नहीं भूल सकते क्योंकि वे हम में अंतर्निहित हैं और हमारे लिए एक अविभाज्य हिस्सा हैं।
भारत विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का देश है। हमारे देश में कई जातियों, धर्मों और पंथों के लोग रहते हैं। नवनिर्मित संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी ब्रिटिश शासन से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक पौराणिक चोल राजवंश से जुड़े राज दंड सैंगोल कोई स्थापित करेंगे। यह राज दंड प्रयागराज के संग्रहालय से लाया जा चुका है। शाह ने लालचंद को स्वतंत्रता व निष्पक्ष शासन की भावना का प्रतीक बताते हुए कहा इसके लिए संसद से बेहतर कोई जगह नहीं है। सैंगोल शब्द तमिल शब्द सेमई से लिया गया है जिसका अर्थ है नीति परायणता। इसे तमिलनाडु के प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम का आशीर्वाद प्राप्त है। न्याय के प्रेक्षक के रूप में अपनी अटल दसवीं के साथ देखते हुए हाथ से उठ के नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान है।/सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक राजदंड सैंगोल को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में स्थापित किया जाएगा। और इसे राष्ट्र के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा।यह बहुत ही ऐतिहासिक क्षण होगा। क्योंकि 14 अगस्त 1947 की रात को अनूठी प्रक्रिया के तरह अंग्रजों से सत्ता हस्तांतरण के तौर पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार किया था जिसे अब नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। सेंगोल एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ प्रचुर धन है और यह राजदंड वास्तविक और नैतिक नियमों का प्रतीक है। पांच फुट का सेंगोल भारतीय कला का उत्कृष्ट नमूना है।
निश्चित ही भारतीय विरासत को अक्षुण्ण रखने का यह फैसला सारे देश के लिए गौरव का क्षण है। हर भारतवासी को इससे प्रसंनता होगी और हमारी एकता अक्षुण्ण होगी। हमें इस महान विरासत से परिचयऔर देखने का मौका मिलेगा।
(© ज्योति)