सम्राट माही का हाथ अपने हाथ में लेकर - माही मैं भी तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हूं पर मैं नहीं चाहता कि लोग हमारे नाम के साथ तुम्हें टीज करे । अगर यह बात तुम्हारे फैमिली वालों को पता चल गया तो तुम्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा ।
अब आगे .......
अगर तुम चाहती हो तो , मैं बेसक तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ । सम्राट ने ये बात बड़ी ही होशियारी से के साथ कही थी । वो जानता था कि माहि के परिवार में ये प्यार -व्यार करना अलाऊ नहीं है । माहि उसकी बात सुनकर उदास होकर बोली हुम्म... ये बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो । अच्छा तो कब चलेंगे हम एक साथ । सम्राट माहि के सर पर हाथ रखकर प्यार से बोला - बहुत जल्द ।बहुत जल्द ही मैं तुम्हें ले जाऊँगा अपनी एक फेवरेट जगह पर । तुम टेंशन मत लो । रिलेक्स करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ।समझी ! और तुम तो जानती ही हो की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ । माहि उसकी बात सुनकर खुश होकर बोली - हाँ पता है मुझे और उसको हग करते हुए बोली -और मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ । फिर सम्राट माहि को अपने से अलग करके बोला - अ ... अच्छा ! अब मैं चलता हूँ । मुझे कुछ जरूरी काम से जाना है । और बाय बोलकर चला गया ।
मैं ये सब वहा एक पिलर के पास खड़ी सुन रही थी । मुझे थोड़ा अजीब लगा । मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि जो सम्राट पहले माहि के पीछे इतना भागता था । उसे देखे बिना वो एक दिन भी नहीं रहता था और वही सम्राट आज कल इस तरह रह रहा है । आखिर क्या बात हो सकती है ? कुछ तो गड़बड़ है इसके साथ ? मुझे पता करना होगा ? और फीर सोची की शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही हूँ । बेवजह उस पर शक कर रही हूँ ? फीर सोची ! खैर जो भी हो । मैं मेरी माहि के भले लिए ऐसा करूंगी ? मैं पता करके के रहूंगी कि आखिर ये माहि से इतना दूर -दूर क्यूं रह रहा है ? और उस दिन से मैं उस पर अपनी नजर रखने लगी । वो कहा जा रहा है , किसके साथ रह रहा है ? ऐसे ही एक दिन सम्राट मेरे पास आया और बोला - यार आर्जिता देखो ना माहि में सें बात ही नहीं कर रही है । प्लीज़ बोलो ना उसे कि वो मेरे से बात करने के लिए । दो दिन से मैं उससे बात करने की कोशिश कर रहा हूँ और वो है कि मेरे से बात तो दूर मेरी ओर सीधी तरह से देख भी नहीं रही है ।
तब मैं उससे बोली - शायद वो तुमसे नाराज हो । या फिर तुमसे बात ही नही करना चाहती हो ?
सम्राट थोड़ा झुझला कर बोला - यार मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है वो । मैं यहां उससे बात करने के लिए मरे जा रहा हूँ और वो है कि ...
अर्जिता अपना दोनों हाथ टेबल पर रखते हुए थोड़ा सम्राट के तरफ झुक कर बोली - अच्छा ! ऐसा है क्या ?
सम्राट - मैं कुछ समझा नहीं ! क्या कहना चाहती हो तुम ?
अर्जिता - अच्छा ... तो जनाब आप समझ नहीं पा रहें हैं या आप समझ कर भी नासमझ बनने की कोशिश कर रहे हो ? हम्म ....
सम्राट झुंझलाकर बोला - जो भी बोलना है साफ - साफ बोलो । यूं बात को गोल - गोल घुमा - फिरा कर मत कहो ?
अर्जिता - ओ .. वाऊ ! तो चलो जैसा तुम चाहते वैसे ही सीधी-सीधी बात कर लेते हैं ।
सम्राट मुझे लगता है अब तुम उस लड़की से बोर हो गये हो । अब तुम्हें माहिरा की याद आ रही है । अर्जिता टेबल पर मुक्का मारते हुए बोली - मैं तुम्हें वापस फिर से मेरी माहि के जज्बात के साथ नहीं खेलने दूंगी ।
सम्राट गुस्से से बेंच पर मारते हुए बोला - क्या बकवास कर रही हो तुम ?और तुमने क्या देखकर कर मुझे करैक्टर लेस बोला । हम्म ...
अर्जिता अपने दांतों को घिसते हुए बोली - अपनी आवाज थोड़ी नीचे करके बात करो वरना मुझे भी चिखना आता है । और हाँ .. कैरक्टरलेस मैंने नहीं तुमने खुद ही बोला है और यह बात तुम से अच्छा कोई नहीं जानता कि तुम कितने नीच और घिनौनी इंसान हो । एक बार खुद से ही पूछ लो । और तुमने अभी बोला ना कि मैं क्या देख कर ऐसा बोल रही हूं , तो यह लो देखो और अर्जिता अपना मोबाइल दिखाते हुए बोली । सम्राट ने जो मोबाइल में देखा तो उसके होश ही उड़ गये । उसका चेहरा एकदम सफेद पड़ गया था । फिर अपने आप को नॉर्मल करते हुए बोला - मैं कैसे मान लूं कि यह मैं ही हूं कोई और भी तो हो सकता है ?
अर्जित हां बात तो तुम्हारी सही है और मुझे पता था कि तुम अपनी तरफ से मुझे झूठ लाने की पूरी कोशिश करोगे और आगे कोई चाल भी चलोगे । यह भी मैं जानती हूं । इसलिए मैंने तुम्हारी तस्वीर उस लड़की को किस😘 करते हुए ली हूं । इसमें तुम्हारा चेहरा साफ -साफ दिख रहा है ।तो तुम किसी को झुठला नहीं सकते ।
सम्राट एकाएक अर्जिता के हाथ से फोन लेने की कोशिश की तो अर्जिता ने अपना हाथ पीछे करते हूए बोली - नो . नो .नो . । ऐसा करने की गलती भी मत करना मेरे साथ । वरना अंजाम बहुत बुरा होगा । सम्राट उसकी बात सुनकर डर जाता है और अपना हाथ पीछे वापस ले लेता है । क्योंकि उसे पता था कि अर्जिता कितने बड़े फैमलि से बिलांग करती है ।उसके दादा पापा और चाचा की पहुंच कहां तक है । सम्राट अपने किस्मत को कोसते हुए वहां से चला जाता है ।
अर्जिता जो अब तक सोच रही थी कि वह माहिरा को कैसे बताएगी ये सब । फीर अपने आप को मजबूत करते बोली -कैसे भी हो माहि मैं तुम्हें और अंधेरे में नहीं रख सकती हूँ ।
क्रमशः ....