एक व्यक्ति ने मुर्गे पाल रखे थे जो बहुत हट्टे कट्टे थे । उन्हें एक सज्जन मिलने आए और पूछा कि तुम्हारे मुर्गे बहुत तंदरुस्त हैं इन्हें क्या खिलाते हो । वह बोला मैं इन्हें काजू बादाम और महंगे ड्राई फ्रूट खिलाता हूँ । अच्छा ! लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तू अपने मुर्गों को ड्राई फ्रूट खिला रहा है । दस हजार निकाल नहीं तो मैं फूड स्वयं सेवक हूँ तेरा बुरा हाल करवा दूँगा । कुछ दिन बाद फिर एक सज्जन उसे मिलने आए और फिर से वही प्रश्न पूछा । उत्तर मिला कि मैं इन्हें केवल गंदगी ही खिलाता हूँ फिर भी यह मोटे ताजे हो रहे हैं । दूसरे सज्जन -- अच्छा! जनता इन मूर्गों को खाती है और तू इन मुर्गों को गंदगी खिलाकर जनता की सेहत खराब कर रहा है। निकाल 15 हजार जुर्माना नहीं तो स्वास्थ्य स्वयं सेवक तेरे दर पर लाकर तेरी ऐसी तैसी करवा दूँगा क्योंकि मैं एक स्वास्थ्य स्वयं सेवक हूँ । कुछ दिनो बाद फिर एक स्वयं सेवक आया और मुर्गों की सेहत का राज पूछा । मुर्गा पालक बोला मैं रोजाना इनकी चोंच में 100-100 रुपए रख देता हूँ मुझे नहीं मालूम यह क्या खाकर आते हैं । एक होटल मालिक को एक व्यक्ति मिला और पूछा कि अपना कचरा कहां फैंकते हो । बोले गाय को खिलाता हूँ । बहुत अच्छे बहुत अच्छे । 5 हजार दे दो और मैं जाता हूँ । कुछ दिन बाद दूसरे सज्जन आए और फिर वही प्रश्न पूछा कि होटल का कचरा कहां फेकते हो । होटल मालिक ने उत्तर दिया कि मैं कचरा फेकता नहीं बल्कि जला देता हूँ। पर्यावरण स्वयंसेवक बताकर वे सज्जन भड़क गए और बोले जल्द से 20 हजार निकाल नहीं तो पर्यावरण प्रदूषित करने के नाम पर तथाकथित पर्यावरण स्वयंसेवक बुलाकर तेरा होटल घेर लूँगा । कुछ दिनो बाद तीसरे सज्जन आए और प्रश्न वही कि कचरा कहां फेंकते हो । मालिक बोला कचरा मैं म्यूंसीपेलिटी के डंप में फेंकता हूँ । अच्छा अब पता चला तुम तो अपने होटल में बीफ पकाते हो और उसी फेंके हुए कचरे से हमारी गाय माता हड्डियां खाती है । जल्द से हमारा हिस्सा निकाल दे नहीं तो अपने गोरक्षक बुलाकर तेरा होटल बंद करवा दूँगा ।
सरकार से अनुरोध है कि अगर जल्द ही नौजवानो को सही रोजगार नहीं मिला तो इन स्वयं सेवक स्वराजगारों की संख्या दिन दुगनी और रात चौगुनी की रफतार से बढ़ने का अंदेशा है ।