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क्यों है लॉकडाउन की मजबूरी

31 मार्च 2020

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समाज की उत्पति से लेकर आजतक विश्व एक ही थ्यूरी पर चल रहा है कि समाज में वर्चस्व किस का होगा। जंगलराज को नकेल डालकर कुछ व्यवस्थाएं स्थापित हो गईं लेकिन जिनके साथ अन्याय होता था उन्होंने प्रतिरोध जारी रखा। वर्तमान युग में विश्व की ओर से फेस की जा रही समस्याओं का मुख्य कारण पश्चिम जगत और उनका अंधानुकरण करने वाले देश हैं। विश्व में सर्वप्रथम फौजी साम्राज्यवाद ने जगह बनाई। सिकंदर से लेकर अंग्रेजों के हमले भारत पर हुए और देश सदियों तक विदेशियों का गुलाम रहा। 19वीं सदी आते-आते इंग्लैंड, फ्रांस, रुस, इटली, जर्मन, स्पेन, ऑस्ट्रिया, तुर्की और जापान इत्यादि देशों में विश्व के अधिक से अधिक भूभाग को कब्जाने की होड़ लग गई। दो विश्व युद्ध हुए। पश्चिमी संस्कृति का एक ही प्रयास रहा कि सुविधाएं तो उनके हिस्से में जाएं मगर मुसीबतें केवल एशिया तथा अफरीका तक ही सीमित रहें। जब विश्व युद्ध समाप्ति की ओर था तो जापान के नागासाकी और हीरोशीमा पर दो परमाणू बंब फेंके गए। हारने वाली ताकतों का नेतृत्व जर्मन कर रहा था मगर बंब जापान पर फेंके गए क्योंकि जापान एशिया में था। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात विश्व की दो महाशक्तियों में शीतयुद्ध प्रारंभ हो गया जो धीरे-धीरे सांस्कृतिक युद्ध में परिवर्तित हो गया जिसका लक्ष्य था फौजी युद्ध के स्थान पर अधिक से अधिक देशों की जनता पर अपनी संस्कृति थोपना । एक ओर अमेरीका के नेतृत्व में पश्चिम जगत तथा दूसरे पक्ष का नेतृत्व यूएसएसएसआर(रुस) की ओर से किया जा रहा था। मगर पलड़ा हमेशा यूएसए के नेतृत्व में पश्चिम जगत का ही भारी रहा क्योंकि यूएनओ, नाटो, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन पश्चिम जगत के सहायक रहे। 20वीं सदी में 80 का दशक समाप्त होते-होते यूएसए के नेतृत्व में पश्चिम जगत ने यूएसएसएसआर(रुस) के 15 टुकड़े करके लगभग पूरे विश्व पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया था मगर चीन को नहीं संभाल सके। नतीजा विश्व के विनिर्माण जगत पर चीन का कब्जा और आर्थिक युद्ध का आरंभ। भारत में होली हो या दीवाली, लोहड़ी हो या उतरायण और वर्तमान में वेंटीलेटर या मास्क वर्चस्व चीनी सामान का ही होता है। बात उस समय की है जब भारत के प्रधानमंत्री डॉo मनमोहन सिंह थे और वर्तमान प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यूएसए के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जिस दिन से अपनी भारत यात्रा आरंभ की उसी दिन भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने चीन को उस समय का सबसे बड़ा व्यापारिक ऑर्डर(10 मिलियन डॉलर) दिया जबकि भारत में बच्चा-बच्चा जानता है कि भाजपा एक दक्षिणपंथी पार्टी है और इसका सबूत है उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री(वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) अमेरीका के राष्ट्रपति का चुनाव प्रचार करने अमेरीका भी जाते हैं तथा उन्हें अपना प्रचार करने के लिए भारत भी बुलाते हैं। पश्चिमी संस्कृति को लाभ पहुंचाने के लिए विश्वबैंक का भारत पर लगातार दबाव है कि वह भारी संख्या में ग्रामीणों को शहरों में बसाये (इसका वर्णन मैं अपने लेख दो दुनिया-दो भारत में विस्थार से कर चुका हुं)। इरादा यही है कि शहरी धनाढ्य संपत्ति सहित पश्चिमी रंग में रम जाएं और ग्रामीणों को शहरी मजदूर के रुप में जानवरों की भांति शहरी कोठरिओं में ठूंस-ठूंस कर भर दिया जाए तथा स्थानीय जनता को रास्ते से हटाकर आसानी से भारत के संसाधनो का दोहन किया जा सके। जरा सोचिए भारत के झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, उत्तर प्रदेश और बिहार प्राकृतिक संपदायुक्त राज्य हैं मगर सर्वाधिक गरीबी एवं मजदूरों का अधिकतम प्रवास इन्हीं क्षेत्रों से ही है। चर्चा यह भी रही कि अगर भारत-चीन-रुस एक गुट बनाकर संगठित हो जाएं तो अमेरीका की बोलती बंद होना तय है। एक तथ्य यह भी है कि जब पश्चिम जगत सर्वाधिक शक्तिशाली था तो भारत उसका मुखर और मुख्य विरोधी था मगर आज जब वही पश्चिमी जगत घुटनों पर है तो भारत इस अवस्था का लाभ उठाने की बजाए उसे जीवनदान देने के लिए सबसे आगे है । चीन ने अमेरीका को अकेले ही पछाड़ कर पलड़ा अपनी ओर झुकाने में सफलता पा ली है। भारतीय नीतिनिर्धारक चीन और अमेरीका के वर्चस्व की जंग में अमेरीका की ओर हैं । चीन को मुख्य प्रतिद्वंधवी मानने की बजाए वोट राजनीति के कारण कंगाल पाकिस्तान को अपना प्रतिद्वंधवी प्रचारित किया जा रहा है। अपने संसाधनो को सुदृढ़ करने की बजाए नोटबंदी, जीसीटी जैसे अयोजित निर्णयों से अपनी इकॉनिमी पर दबाव बना लिया। निजीकरण के नाम पर देश की संपंत्तियां औने पौने दामों पर देशी और विदेशी कंपंनियों को बेची जा रही हैं। भारत की रीढ़ की हड्डी बचत रही है मगर भारतीय जनता की जेबों को खाली करके उन्हें कंगाली के स्तर पर लाने के प्रयास हैं। भारतीय शिक्षा और सुदृढ़ संस्कृति को पीछे छोड़कर भारतीयों में पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करने की होड़ है। मगर यह भी ध्यान देने की जरुरत है कि अगर पश्चिमी शिक्षातंत्र इतना सुदृढ़ होता तो उसके प्रमुख विकास तंत्रों पर भारतीयों सहित विदेशियों का कब्जा क्यों होता। अब, जब चीन विश्व का विनिर्माण क्षेत्र कब्जा चुका है तो पश्चिम जगत की ही तरह भारत को भी चीन का मुंह ताकना पड़ेगा। एक समय की उदाहरण है जब भारत को अपने ड्रीमलाइनर यात्री विमान के लिए कलपुर्जों की आवश्यकता थी। ऑर्डर अमरीकी कंपनी को दे दिया गया और उस कंपनी ने वही ऑर्डर आगे चीनी कंपनी को दे दिया। जब सामान तैयार होकर आया तो मेड इन चाइना की मोहर लगी थी। सामान भारत को डिलीवर होना था इसलिए मेड इन चाइना का मार्का हटाने पर झगड़ा हुआ जिसमें जीत चीन की ही हुई। कोरोना वायरस फैलाने के मामले में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायता से चीन पूरे विश्व को गुमराह करने में सफल हो गया। अनुमान है कि आधे अमेरीकी डॉलर चीन के कब्जे में हैं। यूएसए में इस वर्ष चुनाव हैं और ट्रंप इस स्थिति में नहीं कि चीन से पंगा ले सकें। 436 बिलियन डॉलर के बल पर चीनी कंपनी टेन सेट विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। चीन में 8950 चीनी कंपनियां रोजाना 60000 से 70000 तक मास्क तैयार कर रही हैं। कोरोना वायरस को भी चीनी जैविक हथियार प्रचारित किया जा रहा है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पश्चिमी जगत को भारी संख्या में मास्क और वेंटीलेटर की आवश्यकता है मगर कच्चे माल पर तो चीन का कब्जा है। लाचार पश्चिम जगत स्थिति सामान्य होने तक अपने-अपने देशों में लॉकडाउन करने को मजबूर है। भारत के नीति निर्धारक पश्चिम जगत के झांसे में आकर निजीकरण और वैश्वीकरण के जाल में फंस कर अपनी संपंत्तियां औने-पौने दामों में बेचकर देश के पाँव पर पहले ही कुल्हाड़ी मार चुके हैं। रही सही कसर इतिहास में अपना नाम बनाने वाली अलोकतांत्रिक नीतियों ने पूर्ण कर दी है। संसाधन है नहीं और भूखों मर रही जनता से दान की अपेक्षा की जा रही है। गलत नीतियों का फायदा उठाकर धनाढ्य धनाढ्यतम हो गए हैं। कटोरा उनकी ओर भी फैलाया गया है मगर वो तो अवसरवादी हैं दान ऊंट के मूँह में जीरे के समान होगा। इसलिए अपनी कमियों को छुपाने के लिए भारत के नीतिनिर्धारक जनता को भूखे और बेरोजगार रखकर लॉकडाउन करने को मजबूर हैं।

विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें

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भारतीय माटी भारतीय जल

2 सितम्बर 2015
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पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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एक किस्सा रेडियो का

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निर्धन की तरूणी

29 अप्रैल 2016
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हुसन को अवगत करादोकि ढूँढे कोई और द्वार मैं निर्धन की तरूणीहूँ मुझे अवकाश नहीं हैबालपन से कठिनाइयों केअंचल में पली-बढ़ी मैं  राशन कार्ड, मध्याह्नभोजन या बने योजना खाद्य सुरक्षा की राशन डीपू, पानी केनल, कुएं की पक्की सखी हूँ मैंचूलहे चौक

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15 अगस्त को प्रधानमंत्री का भाषण बनाम बलोचिस्तान का विषय

20 सितम्बर 2016
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लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त, 2016 को दिए गए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण में बलोचिस्तान के आंदोलकारियों को दिए जाने वाले समर्थन का मामला उठते ही तमाम भारतीय एवं विदेशी गलियारों में एकदम से हलचल बढ़ गई है। सरकार समर्थक भारतीय मीडिया तो जैसे इस अवसर की

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नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी

27 नवम्बर 2016
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भारत 1947 मेंअंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लंबे समयतक भारतीयों ने विभाजन का दर्द झेला। कुछ संभले तो 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965में भारत-पाक युद्ध और दक्षिण भारतीयों का हिंदी विरोधी आंदोलन। प्रधा

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गरीब कल्याण स्टंट

4 दिसम्बर 2016
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जब से सृष्टी सृजित हुई है तबसे ही ताकतवरऔर कमजोर के बीच में अंतर रहा है। भारतीय समाज में भी यह अंतर होना स्वाभाविक है।राजा महाराजाओं के दौर से ही भारतीय समाज बंटने लगा था तथा विदेशिओं ने भारतीयगरीबों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत

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शैतान विद्वान

5 दिसम्बर 2016
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एक समय की बात है कि एक राज्य को भयंकर मूसीबतों ने घेर लिया। पुरानेजमाने के राजाओं के लिए अपनी प्रजा का दुख देखा नहीं जाता था। इसलिए वह राजा जी जानसे अपने राज्य की समस्याओं हो हल करने में जुट गया। राजा भेस बदलकर रात को निकलताऔर दिन में अपने दरबारियों के साथ विचार विमर्श में व्यस्त रहता। साथ ही साथ वह

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एटीएम

20 दिसम्बर 2016
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एटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानएटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानसोचो लोगो जरा तो सोचो बनी कहानी यह कैसेमेरी नींद और चैन छीना गए कहां आपके पैसे ?नोटबंदी सरकार का

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मत पूछो हालत फकीर की

24 दिसम्बर 2016
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माँ नहीं बन पाने वाली जंग नहीं लड़ पाने वाली चाय नहीं बेच पाने वाली हीरों का झुंड लगाने वाली सैनिक नहीं बन पाने वाली पीर पैगंबर बन बैठने वाली स्वयं पर अश्क करने वाली बीवी पर पहरा बिठाने वाली किसान नहीं बन पाने वाली व्यापार ी नहीं बन पाने

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जागो प्रजा जागो

30 दिसम्बर 2016
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महान चिंतक अरस्तू ने एक समय 6 प्रकार के राज्यों का वर्गीकरण किया था। उनका विश्वास था कि यह साइकिल;चक्करद्ध क्रम में परिक्रमी रहता है। यह साइकिल राजतंत्र से आरंभ होता है और जल्द ही पथभ्रष्ट होकर नादिरशाही में परिवर्तित हो जाता हैए चंद बुद्धि

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इसे कहते हैं रामराज जी

8 जनवरी 2017
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नोटबंदी गई है छा जी करंसी की लगी बाट जी 8 नवंबर गई है आ जी अफवाहों का गर्म बाजार जी टोलनाके बने गले की फांस जी बैंक एटीएम की बढ़ी कतार जी प्रजा को मिला नया रोजगार जी चाय पराठों में मिलती पगार जी रोटी.दाल.चावल.साँबर की जगह टमाटर.रोटी बनी सर्वोत्तम खुराक जी इसे कहते हैं राम

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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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मंथरा-कैकेयी की जुगलबंदी ने रामायण दी रचवा ब्रह्मा बेदर्दे ब्रह्मास्त्र दिए चलवा ब्रह्मा बेदर्दे शकुणी-दुर्योध्न के षड़यंत्रों ने महाभारत दी लिखवा ब्रह्मा बेदर्दे कर्ण-भीष्म का प्रताप दिया घटवा ब्रह्मा बेदर्दे ईसा-हजरत का बलिदान भाईचारा न सका ला ब्रह्मा बेदर्दे दुनिया को

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मेक अमेरीका ग्रेट अगेन योजना का भारत पर प्रभाव

22 जनवरी 2017
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आखिरकार 20 जनवरी, 2017 को डोनॉल्ड ट्रंप ने अमेरीका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में पदभार संभाल लिया। ट्रंप अमेरीका के एक बिलियनर एवं विवादस्पद व्यापार ी हैं तथा अपने बेबाक व्यवहार के कारण अनेक विवादों से जुड़ चुके हैं। राट्रपति चुनाव में कू

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अंग्रेजी की हिंदी को सीख

30 जनवरी 2017
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मैं विदेशी तू नाज-ए-हिंद है भूल मत तू हिंदमाता की बिंदी हैपुष्पक पहला तेरे वतन में ही आया थाआँखों देखा हाल देववाणी ने बयाँ कराया थाधरती पुत्रों तेरों ने ही भूखों का हलनिकाला था पूर्वज मेरों ने पूर्वज तेरों से बहुत कुछचुराया थाअस्त्र-शस्त्र-ब्रह्मास्त्र का डंका तोतेरे

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कोष मूलो दंड

31 जनवरी 2017
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जब से समाज में व्यवस्था स्थापित है तभीसे ही शासकों की ओर से शासन चलाने के लिए प्रजा से कर वसूला जाता रहा है। भारत में भीकर वसूलने का इतिहास बहुत पुराना है। मनु काल हो या महाभारत काल या कालिदास या कोटिल्य के अर्थशास्त्र का प्रसंग लें करव्यवस्था का संदर्भ आता ही है। कालिदास राजा दिलीप का संदर्भ देते ह

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बसंत पंचमी का त्यौहार

31 जनवरी 2017
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भारत ऋतुओं का देश है।यहां अपनी-अपनी बारी से 6 ऋतुएं आती हैं । इन सभी में से बसंत ऋतु सबसे हरमनप्यारी है । बसंत पंचमी मूल रुप से प्रकृति का उत्सव है । इस दिन से धार्मिक,प्राकृतिक और सामाजिक जीवन के कार्यों में बदलाव आना आरंभ हो जाता है । बसंत पंचमीप्रकृति के साथ आध्यात

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जैसी चाह वैसी राह

5 फरवरी 2017
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बढ़ते हैं कर बढ़ाने वाला चाहिएबनते हैं मित्र बनाने वाले चाहिएहोती है खोज करने वाला चाहिएबिकती है दारू पीने वाला चाहिएढहती हैं दीवारें ढहाने वाला चाहिएहोती है दुश्मनी करने वाला चाहिएहोती है नोटबंदी करने वाला चाहिएरोती है दुनिया रुलाने वाला चाहिएमिलते हैं गुलामबनाने वाल

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वर्तमान स्वरोजगार योजना एक व्यंग्य

22 अप्रैल 2017
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एक व्यक्ति ने मुर्गे पाल रखे थे जो बहुत हट्टे कट्टे थे । उन्हें एक सज्जन मिलने आए और पूछा कि तुम्हारे मुर्गे बहुत तंदरुस्त हैं इन्हें क्या खिलाते हो । वह बोला मैं इन्हें काजू बादाम और महंगे ड्राई फ्रूट खिलाता हूँ । अच्छा ! लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तू अपने मुर्गों को ड्राई फ्रूट खिला रहा है

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आप विधायक सौरभ भारद्वाज का ईवीएम पर खुलासा महज एक बकवास

10 मई 2017
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दिनांक 9.5.2017 को आम आदमी पार्टी ने ईवीएस कीहैकिंग प्रक्रिया दिखाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जबहैकिंग प्रक्रिया टीवी पर लाइव आरंभ हो गई तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैने यहपूरी प्रक्रिया एक टीवी चैनल पर देखी। इस सत्र में विपक्ष के नेता को मार्शल कीसहायता से सदन से बाहर निकलवाकर

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भारतीय प्रजातांत्रिक केंद्रवाद बनाम राष्ट्रपति पद्धति सरकार

13 मई 2017
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1917 की रुसी बोलशैविक क्रांति की सफलता केउपरांत प्रजातांत्रिक केंद्रवाद की कम्युनिस्ट विचारधारा समाज के सामने आई। रशियन सोशल-डेमोक्रेटिक लेबर पार्टीकी दिनाँक 26 जुलाई से 03 अगस्त 2017 तक आयोजित छठी कांग्रेस में प्रजातांत्रिककेंद्रवाद की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि पार्टी की नीचे से ऊपर तक निर्दे

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जूते की आत्मकथा

20 मई 2017
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एक आम कहावत है कि उसने उसको जूते-चप्पलों सेपीटा। मगर एक समय ऐसा भी था जब आठवीं कक्षा के मेरे अध्यापक ने चाय पीते-पीते ही पूरीकक्षा को जूते की आत्मकथा लिखनी सिखाई। अध्यापक महोदय ने आरंभ करते हुए कक्षा कोबताया कि जूते की आत्म लिखना बहुत आसान है। लिखो गाँव में राम लाल की भैंस मर गई।उस मरी हुई भैंस को च

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी पर विशेष

25 जून 2017
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ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण(जगन्नाथ)कोसमर्पित है । जगन्नाथ का अर्थजगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओंके चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । भगवान जगन्नाथ पुरी में 56प्रकार के अन्

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चायवाद

9 जुलाई 2017
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नरसंहार को नाजीवाद कहते हैंराष्ट्रभक्ति को राष्ट्रवाद कहते हैंकट्टरवाद को फासीवाद कहते हैंमाओ समर्थन को माओवाद कहते हैंसमाज सुधार को समाजवाद कहते हैंमार्क्स समर्थन को साम्यवाद कहते हैंसर्ववाद विरोध को आतंकवाद कहते हैंक्षेत्र विस्तार को साम्राज्यवाद कहते हैंऔर जनता की गाढ़ी कमाई विदेशों में लुटाने को

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सत्ता संघर्ष और अनुवादकों की भूमिका

5 अगस्त 2017
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अंग्रेजी की एक टर्म लिटल नॉलेजइज डेंजरस का हिंदी पर्याय बना है नीम हकीम खतराए जान जिसका अर्थ है कम ज्ञानस्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक सामान्य जन से जब नीम हकीम खतराएजान का अर्थपूछा गया तो उसका उत्तर था- ऐ हकीम तू नीम के पेड़ के नीचे मत जा वहां तेरी जान का खतरा है। शोले फिल्म काएक मशहूर डॉयलाग है

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सत्ता संघर्ष और अनुवादको का दायित्व

12 अगस्त 2017
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जब भारत सरकार अधिनियम, 1935 अस्तित्व में आया थातो लगने लगा था कि भारत स्वतंत्र होने वाला है और भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होनेवाली है। क्योंकि विदेशिओं को यह भलिभांति मालूम था कि भारत में बहुसंख्य हिंदीभाषिओं की है। स्वतंत्रता सेनानियों का भी आपस में संवाद हिंदी में ही होता था औरहिंदी ने स्वतंत्रता स

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आस्था खुद के अस्तित्व तक

6 सितम्बर 2017
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आस्था से तात्पर्य है कि समग्र रुप से स्थिर या स्थित होना। यह आस्था किसी व्यक्ति विशेष या स्थान विशेष से संबंधित हो सकती है। जैसे कोई देव या देवालय। आ का मतलब समग्र रुप से व स्था का मतलब स्थिर रहने की अवस्था । विदेशों में भी पूर्व में आस्था व अंधविश्वास था। जर्मनी व फ्रांस

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भारत का भाषा विवाद (14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष)

14 सितम्बर 2017
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किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए किसी एक सर्वमान्य भाषा का होना जरुरी है और भारत में यह भाषा हिंदी ही हो सकती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रह चुके सुकर्णो ने अपनी आत्मकथा में भारत को हिंदी को अपनी राजभाषा अपनाने में आनाकानी पर व्यंग कसा था।

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जनता मांगे भ्रष्टाचारी डॉ मनमोहन सरकार ?

26 अक्टूबर 2017
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार का अस्तित्व में आने का एक ही कारण था कि देश में ईमानदार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार चल रही थी। मेरे जीवन का एक अनुभव है कि ईमानदार शख्सियत या तो अपना स्वयं का नुकसान कर सकती है या अपने जैसे ही किसी ईमानदार क

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झगड़ें नहीं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत याद करें

5 नवम्बर 2017
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जन गणमन अधिनायक जय हे वंदे मातरम्भारतभाग्यविधाता सुजलांसुफलां मलयजशीतलाम्पंजाबसिन्धु गुजरात मराठा सस्यश्मामलां मातरम्द्राविड़उत्कल बंगा शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकित यामिनम् विन्ध्यहिमाचल

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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहा राष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ी

5 नवम्बर 2017
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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहाराष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ीWorried because of Government shakesNational food Khichri is coming For Ill Indians

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साम्यवादी मार्क्स बनाम दक्षिणपंथी मोदी का ७ नवंबर

15 नवम्बर 2017
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कार्ल मार्क्स ने 1848 के अपने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में कहा था कि साम्यवादी क्रांति का लक्ष्य उत्पादन के साधनों पर विश्व के मजदूरों का आधिपत्य स्थापित करके पूंजीवाद की कब्र खोदना है। एक नई समतामूलक संस्कृति को जन्म देना, समाज को वर्गविहीन बन

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विश्वास बनाम अफवाह

18 नवम्बर 2017
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महानायक अमिताभ बच्चन की एक पिक्चर आई थी देश प्रेमी। अमिताभ जी को एक ऐसी कॉलोनी में रहना पड़ता है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं तथा छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाकर आपस में लड़ते रहते हैं। मगर यह उस देश प्रेमी का ही विश्वास होता है कि

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पूर्वज वही जो लाभ दिलाए

23 नवम्बर 2017
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अगर कहीं रेलगाड़ी से दिल्ली स्टेशन को लिंक करते नगरों की यात्रा पर निकलें तो मैरिज ब्यूरो का एक विज्ञापन दिवारों पर लिखा मिलेगा – दुल्हन वही जो दादा जी दिलाएं । दशकों पूर्व सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की अर्दांगनी जया भादुड़ी स्टारर एक फिल्म आई थी जिसका शीर्षक था द

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क्यों है लॉकडाउन की मजबूरी

31 मार्च 2020
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समाज की उत्पति से लेकर आजतक विश्व एक हीथ्यूरी पर चल रहा है कि समाज में वर्चस्व किस का होगा। जंगलराज को नकेल डालकर कुछव्यवस्थाएं स्थापित हो गईं लेकिन जिनके साथ अन्याय होता था उन्होंने प्रतिरोध जारीरखा। वर्तमान युग में विश्व की ओर से फेस की जा रही समस्याओं का मुख्य कारण पश्चिमजगत और उनका अंधानुकर

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ब्रह्म ज्ञान

2 अप्रैल 2020
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लिखा ओंकार ने कभीबैठकर इक दिन सच में मानव तूँ इक दिन हैरान होगारुकेंगी बसें विमान ट्राम और रेलें बंद पलों मेंसारा सामान होगालिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँइक दिन हैरान होगापक्षी चहकेंगे सुखी साँस होगा प्रदूषण रहित तबसारा संसार होगापाताल धरती पानी आकाश पर काबज कैद घर में इक दिनइंसान हो

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पानी की आत्मा

30 जुलाई 2020
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कोई कहे हिंदु पानीकोई कहे मुस्लिम पानी समझाने को आत्मा पानी की अनेकों ने दी कुर्बानी फिर भी न माने क्योंकि कमान ईसाईयत को थीजो थमानी ईसाईयत ने करोड़ों लीले आत्मा की हुई बदनामी स्वतंत्र है देश फिर भी कोई कहे हिंदु पानी ‘कोई’ मुस्लिम पानी क्योंकि

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अस्थायी आशियाना

1 अगस्त 2020
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सजनरे झूठ मत बोलो-खुदा के पास जाना है। हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है।तुम्हारे महल चौबारे-यहीं रह जाएंगे सारे - अकड़ किस बात की प्यारे - अकड़ किस बातकी प्यारे। एकसमय की बात है कि एक सन्यासी राजा के महल के सामने आए और आते ही राजा के महल मेंघुसने का प्रयास करने लगे। राजा के सैनिकों ने उन्हें

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जन्मदिवस पर पत्नी को शुभकामनाएं

20 जून 2023
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 किसी खूबसूरत एहसास की भांति  तुम परिवार और मेरे जीवन के लिए हो बहुत जरुरी,  जैसे जिस्म के लिए सांसों की डोरी,  हम जीवन के प्रत्येक रंग को जी लेंगे,  तेरा साथ रहेगा तो समाज की प्रत्येक तपन सह

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