दिनांक 9.5.2017 को आम आदमी पार्टी ने ईवीएस की
हैकिंग प्रक्रिया दिखाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जब
हैकिंग प्रक्रिया टीवी पर लाइव आरंभ हो गई तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैने यह
पूरी प्रक्रिया एक टीवी चैनल पर देखी। इस सत्र में विपक्ष के नेता को मार्शल की
सहायता से सदन से बाहर निकलवाकर आप विधायकों ने ईवीएस की हैकिंग पर विचार देने
आरंभ कर दिए। आप विधायक एक नकली ईवीएम विधानसभा में लेकर आए और आराम से यह साबित
कर दिया कि वोटिंग जारी रहते किसी एक विशेष पार्टी का वर्कर वोटर बनकर आएगा और
पोलिंग बूथ में आकर वोटिंग स्टाफ की आँखों में धूल झोंककर मशीन में एक कोड डाल
जाएगा और सारी की सारी वोटिंग उस पार्टी की योजना मुताबिक हो जाएगी। यह बात किसी
के गले नहीं उतर सकती कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात पूरा का पूरा स्टाफ इतना निकम्मा
होगा या भ्र्ष्ट होगा कि कोई भी ऐरा गैरा आएगा व मशीन में कोड डालकर चला जाएगा।
मैं सभी राजनैतिक दलों तथा नीतिनिर्धारकों का यह निक्कमापन जरुर बताना चाहूँगा कि
वोटिंग स्टाफ की बहुत बुरी हालत होती है। न खाने-पीने और दवाइयों का इंतजाम, न ठहरने-सोने
का उचित इंतजाम तथा न ही आनेजाने और सुरक्षा की उचित व्यवस्था। मैं अपने चुनावी अनुभव
की एक उदाहरण के हवाले से बताना चाहूंगा कि एक समय मैं प्रीजाइडिंग अफसर का
दायित्व निभा रहा था। चुनावी प्रक्रिया के दौरान ही मुझे एक ऐसा व्यक्ति दिखा जो
कुछ ही समय पहले अपना वोट डालकर गया था। वही व्यक्ति राजनैतिक पार्टियों के पोलिंग
एजेंटों के लिए निर्धारित स्थान पर बैठा हुआ था। मैने तुरंत सं ज्ञान लिया और उस
अनाधिकृत व्यक्ति को सुरक्षाबलों की मदद से पोलिंगबूथ से बाहर निकाला। मुझे उस
चुनाव की झलकियां आज भी याद है कि जमकर वोटिंग हुई थी और दो दिन तक खाना, दवाई तो
क्या पीने को पानी तक नहीं मिला था। यह बात भी स्वीकार्य है कि सरकारी सुविधाओं के
अभाव में चुनावी अमला कुछ स्थानीय वर्करों पर कुछ हद तक निर्भर रहता है मगर यह बात
किसी भी स्तर पर मान्य नहीं है कि चुनावी अमला अपनी आंखें इस हद तक बंद रखता है कि
कोई भी आकर आसानी से ईवीएम में कोड डालकर जा सकता है। इसलिए आम आदमी पार्टी का यह
दावा बिल्कुल बकवास है। वास्तव में मौकापरस्त राजनेता वास्तविकता से आंखें मूंद
रहे हैं। आज के दौर में भाजपा की जीत की वजह
भाजपा के पास उपलब्ध अकूत संपदा का होना, वीवीपैट का उपयोग न होना और बिखरा
हुआ विपक्ष है। इसलिए यह बहुत ही जरुरी है कि ऊल-जलूल आरोपों से बचकर विपक्षी दलों
को संगठित होकर देशहित में काम करना चाहिए।