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सत्ता संघर्ष और अनुवादकों की भूमिका

5 अगस्त 2017

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अंग्रेजी की एक टर्म लिटल नॉलेज इज डेंजरस का हिंदी पर्याय बना है नीम हकीम खतराए जान जिसका अर्थ है कम ज्ञान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक सामान्य जन से जब नीम हकीम खतराएजान का अर्थ पूछा गया तो उसका उत्तर था- ऐ हकीम तू नीम के पेड़ के नीचे मत जा वहां तेरी जान का खतरा है। शोले फिल्म का एक मशहूर डॉयलाग है जब अभिनेता धर्मेंद्र शराब पीकर पानी की टंकी पर चढ़ जाता है और कहता है कि अगर उसकी शादी बसंती (हेमा मालिनी) से न हुई तो वह सूआसाइड कर लेगा। एक ग्रामीण जब दूसरे अनपढ़ ग्रामीण से पूछता है कि यह सूआसाइड क्या होता है तो उसे उत्तर मिलता है कि जब अंग्रेज लोग मरते हैं न - तो उसे सूआसाइड कहते हैं। गाय की पूँछ पकड़कर गोदान का विचार कहां से आया ? जब सरकार यह नियम बना देगी कि कोई गाय की पूंछ नहीं खींच पाएगा तो गोदान करने वालों का क्या होगा ? आज पूरी दुनिया में अंग्रेजी का डंका बजता है। कारण है अंग्रेजों ने पूरी दुनिया के ग्रंथों का अनुवाद किया और भारतीय मान्यताओं के विपरीत अनुवादकों ने यह साबित कर दिया कि भारत की संपन्नता साइंस व तकनीकी तरक्की के फलस्वरुप थी न कि देवताओं के कारण। जबकि भारतीयों की आस्था है कि यह साइंस का नहीं बल्कि उनके देवताओं के शक्तिबल के फलस्वरुप था। महात्मा बुद्ध भारत में पैदा हुए। वर्तमान में भारतीय़ तो अंग्रेजी पर निर्भर हैं तो बुद्ध धर्म और भगवान बुद्ध की शिक्षाएं देश-विदेश में किस भाषा के माध्यम से पहुंचीं यह भी एक अनुसंधान का विषय है।

सत्ता एवं राजनीति ऐसे दो महत्वपूर्ण कारक हैं जो किसी एक समाज और संस्कृति की महत्वपूर्णता और दीर्घ आयु को अभिप्रेत करते हैं। विश्व संस्कृति के विकास को आकृति देने हेतु अनुवाद एक प्रमुख शक्ति-स्रोत है। जारों के ऑटोमन साम्राज्यों से, चीन के तंग शासकों, हिटलर, मुसोलिनी, नेपोलियन से लेकर भारत के मौर्यकाल और मुगलिया सल्तनत तक किसी भी वंश की शान व बर्बादी की कहानी उस अवधि की सत्ता के राजनैतिक सिद्धांतों के अध्ययन से ही पता चल सकती है। यह किन्हीं सामान्य परिस्थितियों का आदान-प्रदान हो सकता है या अनेक मोर्चों पर अलग-अलग विचार रखना। अनुवादक एवं उनके अनुदित पाठ तब बहुत ही नाजुक भूमिका अदा करते हैं जब यह वृत्तांत अंतर-सांस्कृतिक गतिविधियों के अंतर्व्यवहार व्याख्यान में इस्तेमाल होते हैं। अनुदित पाठ का राजनैतिक लक्ष्य-साधन व अभिप्रेरणा हेतु संदर्भ दिया जाता है। उनका दुरुपयोग होता है और यहां तक संभव हो निंदा भी की जाती है। मतवाद कुछ नहीं है बल्कि किसी एक सामाजिक ग्रुप के सामाजिक प्रतिनिधित्व के मूल विश्वास व व्यवहार का मिश्रण है। और यही विचारधाराएं हैं जो कि विख्यात लेख कों व विद्वानों द्वारा लिपीबद्ध की जाती हैं एवं सदियों तक रिकॉर्ड रहती हैं। जिस तरह पुरातन काल में दरबारी इतिहासकार होते थे उसी तर्ज पर दरबारी अनुवादक भी होते थे, जो मूल पाठ को दूसरी भाषाओं में परिवर्तित करते थे और सल्तनत की योजनाओं व विचारों को राष्ट्रपारीय सीमाओं में फैलाने में सहायता करते थे। विभिन्न समाजों की ओर से अनुवादकों के कार्यकलापों को हमेशा से सराहा भी गया है तथा साथ ही साथ उनकी भूमिका पर प्रश्नचिन्ह भी लगाए गए हैं। उनके परिश्रमी एवं अच्छे प्रयासों को स्वीकारा और सराहा गया किंतु कुछ मामलों में उनकी पूर्वग्रही व उनके आकाओं के प्रति अत्यधिक निष्ठा के कारण उनकी आलोचना भी की गई। प्रभुत्व, नियम, भाषा एवं लक्ष्य ग्रुप विवशताएं हैं जो कि राजनैतिक सत्ता की घटनाओं हेतु अनुवाद में घटित हो रही हैं। बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से गलत सूचनाएं अघट घटनाएं हैं। कभी कभार स्रोतभाषा और लक्ष्य भाषा संबंधी कम ज्ञान के कारण अनुवादक मूल काम का केवल संक्षेपसार उपलब्ध करा देते हैं, मुख्य बिंदुओं के लुप्त होने के कारण जोकि अनुवादक के अनुसार महत्वपूर्ण नहीं है और धाराप्रवाह सूचना अंतरण में बाधा उत्पन्न करके और अनुवादक की पूर्वग्रहीय सामाजिक जुड़ाव, सामाजिक स्तर, एकपक्षीय संबंध के कारण भ्रामक सूचनाएं सृजित कर देते हैं। सत्ताधारियों और सत्ता हासिल करने के इच्छुकों के बीच अनुवादक दबा रहता है। अनुवाद मूल पाठ का प्रतिबिंबित बिंब है। यह विभिन्न संस्कृतियों के व्यक्तियों, समाज और यहां तक समय अवधि को उपलब्ध साहित्य से ज्ञान अर्जित करने, सीखने और उनकी समस्याओं का समाधान करने में सहायता करता है। अनुवादकों के काम की मूल पाठ तक पहुंच तथा अनुदित पाठ की क्षमता उनकी योग्यता से प्रदर्शित होती है। समाज में सत्ता संपर्क हमेशा से हैं जिनमें एक पक्ष दूसरे पक्ष को दबाना चाहता है। जैसे वर्तमान भारत में जब जब अंग्रेजी का कद कम करने का प्रश्न उठता है तब तब मामले को हिंदी बनाम अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की ओर मोड़ दिया जाता है। यह एक निरंतर एवं अंतहीन प्रक्रिया है। महान चीनी नेता माओ-जे-तुंग सतत क्रांतिकारी परिवर्तन अवधारणा की बात करते हैं। वे जर्मनी के कार्ल मार्क्स की ओर से दिए गए साम्यवादी विचारों से प्रभावित थे। कार्ल मार्क्स ने जर्मन भाषा में और यूरोप की परिस्थितियों के अनुसार लिखा। वो अनुवादक ही थे जिन्होंने विभिन्न भाषाओं में उनके विचारों की व्याख्या की और माओ ने चीनी में सीखा। स्थानीय परिस्थितियों के अनुरुप इसे चीनी समाज में लागू किया। विचार फलेफूले और उनके अलग-अलग प्रतिबिंब हो सकते हैं किंतु मूल जडें वही रहीं। यदि कोई हिंदु रीति विज्ञान के बारे में बात करे तो अनेक पुरातन हिंदु पवित्र ग्रंथ महत्वपूर्ण विद्वान वर्ग की भाषा संस्कृत में लिखे गए हैं। किसी सामान्य व्यक्ति के लिए उन ग्रंथों के सार को समझ पाना कठिन था। बाद में दूसरी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय भाषायों में इनका अनुवाद किया गया और ज्ञान का आदान प्रदान हुआ। आज भारतीय वीरगाथा काव्य रामायण के लगभग 300 से भी अधिक विविध रुप उपलब्ध हैं। सामान्यत: महाऋषि बाल्मीक की ओर से रचित संस्कृत संस्करण को ही सबसे पुरानी रचना माना जाता है। भारतवंशियों के बारे में लिखित वीरगाथा काव्य महाभारत संस्कृत में ही है। इन दोनो ही पुरातन वीरगाथा महाकाव्यों में पारिवारिक राजनीति और समाज के सत्ता संबंधों को दर्शाया गया है। इन्हें दूसरी भाषाओं में अनुवाद करते हुए अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा करते रहे हैं। अनुवादक लक्ष्य भाषा की सामाजिक पद्धति एवं संस्कृति को संपन्न बना देते हैं। इससे उपलब्ध साहित्य में अधिक ज्ञान शामिल हो जाता है। अपने सर्वोत्तम ज्ञान के बल पर अनुवादक लक्ष्य भाषा में मूल पाठ की व्याख्या एवं पुन:व्याख्य करने में अपना प्रत्येक प्रयास झोंक कर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। अंतिम तौर पर यह समाज के ऊपर निर्भर करता है कि वे इस काम को किस रुप में स्वीकृत करते हैं। सारांश स्वरुप, अनुवादक दो अलग-अलग संस्कृतियों, सत्तायों और समाजों में ज्ञान के आदान-प्रदान हेतु अविच्छेदय भूमिका अदा कर रहे हैं। अनुवादक वे पहले भाषाविद होते हैं जिनकी मूल पाठ तक पहुंच होती है, उनका काम एवं ज्ञान निश्चित ही बहुत महती है। जो इस व्यवसाय में है उसकी यह एक कठिनतम जॉब है कि उसे विषय प्रति संपूर्ण ज्ञान हो। केवल एक गल्ती विशेषत: राजनैतिक, तकनीकी व मिलिटरी अनुदित पाठों के विषय में गंभीर मुसीबत खड़ी कर सकती है। जिन अर्थों को ठीक से संप्रेषित नहीं किया जाता अनुवाद की भाषा में गुमशुदा कहलाते हैं। अनुवादकों और व्याख्याताओं से यह अपेक्षित है कि वे जिस विषय पर काम कर रहे हैं उनके बारे में व्यापक अनुसंधान करें। ताकि परिणाम के रुप में दिखने वाला बिंब मूल पाठ का सर्वोत्तम प्रतिबिंब हो। और अर्थ बिना किसी मतभेद के संप्रेषित कर दिया जाए।

विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें

नृपेंद्र कुमार शर्मा

नृपेंद्र कुमार शर्मा

बहुत सूक्ष्म विश्लेषण किया आपने हर पहलू का। सत्य एयर सटीक लेख।

6 अगस्त 2017

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भारतीय माटी भारतीय जल

2 सितम्बर 2015
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पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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निर्धन की तरूणी

29 अप्रैल 2016
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हुसन को अवगत करादोकि ढूँढे कोई और द्वार मैं निर्धन की तरूणीहूँ मुझे अवकाश नहीं हैबालपन से कठिनाइयों केअंचल में पली-बढ़ी मैं  राशन कार्ड, मध्याह्नभोजन या बने योजना खाद्य सुरक्षा की राशन डीपू, पानी केनल, कुएं की पक्की सखी हूँ मैंचूलहे चौक

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15 अगस्त को प्रधानमंत्री का भाषण बनाम बलोचिस्तान का विषय

20 सितम्बर 2016
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लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त, 2016 को दिए गए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण में बलोचिस्तान के आंदोलकारियों को दिए जाने वाले समर्थन का मामला उठते ही तमाम भारतीय एवं विदेशी गलियारों में एकदम से हलचल बढ़ गई है। सरकार समर्थक भारतीय मीडिया तो जैसे इस अवसर की

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नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी

27 नवम्बर 2016
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भारत 1947 मेंअंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लंबे समयतक भारतीयों ने विभाजन का दर्द झेला। कुछ संभले तो 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965में भारत-पाक युद्ध और दक्षिण भारतीयों का हिंदी विरोधी आंदोलन। प्रधा

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गरीब कल्याण स्टंट

4 दिसम्बर 2016
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जब से सृष्टी सृजित हुई है तबसे ही ताकतवरऔर कमजोर के बीच में अंतर रहा है। भारतीय समाज में भी यह अंतर होना स्वाभाविक है।राजा महाराजाओं के दौर से ही भारतीय समाज बंटने लगा था तथा विदेशिओं ने भारतीयगरीबों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत

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शैतान विद्वान

5 दिसम्बर 2016
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एक समय की बात है कि एक राज्य को भयंकर मूसीबतों ने घेर लिया। पुरानेजमाने के राजाओं के लिए अपनी प्रजा का दुख देखा नहीं जाता था। इसलिए वह राजा जी जानसे अपने राज्य की समस्याओं हो हल करने में जुट गया। राजा भेस बदलकर रात को निकलताऔर दिन में अपने दरबारियों के साथ विचार विमर्श में व्यस्त रहता। साथ ही साथ वह

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एटीएम

20 दिसम्बर 2016
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एटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानएटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानसोचो लोगो जरा तो सोचो बनी कहानी यह कैसेमेरी नींद और चैन छीना गए कहां आपके पैसे ?नोटबंदी सरकार का

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मत पूछो हालत फकीर की

24 दिसम्बर 2016
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माँ नहीं बन पाने वाली जंग नहीं लड़ पाने वाली चाय नहीं बेच पाने वाली हीरों का झुंड लगाने वाली सैनिक नहीं बन पाने वाली पीर पैगंबर बन बैठने वाली स्वयं पर अश्क करने वाली बीवी पर पहरा बिठाने वाली किसान नहीं बन पाने वाली व्यापार ी नहीं बन पाने

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जागो प्रजा जागो

30 दिसम्बर 2016
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महान चिंतक अरस्तू ने एक समय 6 प्रकार के राज्यों का वर्गीकरण किया था। उनका विश्वास था कि यह साइकिल;चक्करद्ध क्रम में परिक्रमी रहता है। यह साइकिल राजतंत्र से आरंभ होता है और जल्द ही पथभ्रष्ट होकर नादिरशाही में परिवर्तित हो जाता हैए चंद बुद्धि

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इसे कहते हैं रामराज जी

8 जनवरी 2017
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नोटबंदी गई है छा जी करंसी की लगी बाट जी 8 नवंबर गई है आ जी अफवाहों का गर्म बाजार जी टोलनाके बने गले की फांस जी बैंक एटीएम की बढ़ी कतार जी प्रजा को मिला नया रोजगार जी चाय पराठों में मिलती पगार जी रोटी.दाल.चावल.साँबर की जगह टमाटर.रोटी बनी सर्वोत्तम खुराक जी इसे कहते हैं राम

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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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मंथरा-कैकेयी की जुगलबंदी ने रामायण दी रचवा ब्रह्मा बेदर्दे ब्रह्मास्त्र दिए चलवा ब्रह्मा बेदर्दे शकुणी-दुर्योध्न के षड़यंत्रों ने महाभारत दी लिखवा ब्रह्मा बेदर्दे कर्ण-भीष्म का प्रताप दिया घटवा ब्रह्मा बेदर्दे ईसा-हजरत का बलिदान भाईचारा न सका ला ब्रह्मा बेदर्दे दुनिया को

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मेक अमेरीका ग्रेट अगेन योजना का भारत पर प्रभाव

22 जनवरी 2017
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आखिरकार 20 जनवरी, 2017 को डोनॉल्ड ट्रंप ने अमेरीका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में पदभार संभाल लिया। ट्रंप अमेरीका के एक बिलियनर एवं विवादस्पद व्यापार ी हैं तथा अपने बेबाक व्यवहार के कारण अनेक विवादों से जुड़ चुके हैं। राट्रपति चुनाव में कू

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अंग्रेजी की हिंदी को सीख

30 जनवरी 2017
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मैं विदेशी तू नाज-ए-हिंद है भूल मत तू हिंदमाता की बिंदी हैपुष्पक पहला तेरे वतन में ही आया थाआँखों देखा हाल देववाणी ने बयाँ कराया थाधरती पुत्रों तेरों ने ही भूखों का हलनिकाला था पूर्वज मेरों ने पूर्वज तेरों से बहुत कुछचुराया थाअस्त्र-शस्त्र-ब्रह्मास्त्र का डंका तोतेरे

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कोष मूलो दंड

31 जनवरी 2017
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जब से समाज में व्यवस्था स्थापित है तभीसे ही शासकों की ओर से शासन चलाने के लिए प्रजा से कर वसूला जाता रहा है। भारत में भीकर वसूलने का इतिहास बहुत पुराना है। मनु काल हो या महाभारत काल या कालिदास या कोटिल्य के अर्थशास्त्र का प्रसंग लें करव्यवस्था का संदर्भ आता ही है। कालिदास राजा दिलीप का संदर्भ देते ह

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बसंत पंचमी का त्यौहार

31 जनवरी 2017
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भारत ऋतुओं का देश है।यहां अपनी-अपनी बारी से 6 ऋतुएं आती हैं । इन सभी में से बसंत ऋतु सबसे हरमनप्यारी है । बसंत पंचमी मूल रुप से प्रकृति का उत्सव है । इस दिन से धार्मिक,प्राकृतिक और सामाजिक जीवन के कार्यों में बदलाव आना आरंभ हो जाता है । बसंत पंचमीप्रकृति के साथ आध्यात

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जैसी चाह वैसी राह

5 फरवरी 2017
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बढ़ते हैं कर बढ़ाने वाला चाहिएबनते हैं मित्र बनाने वाले चाहिएहोती है खोज करने वाला चाहिएबिकती है दारू पीने वाला चाहिएढहती हैं दीवारें ढहाने वाला चाहिएहोती है दुश्मनी करने वाला चाहिएहोती है नोटबंदी करने वाला चाहिएरोती है दुनिया रुलाने वाला चाहिएमिलते हैं गुलामबनाने वाल

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वर्तमान स्वरोजगार योजना एक व्यंग्य

22 अप्रैल 2017
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एक व्यक्ति ने मुर्गे पाल रखे थे जो बहुत हट्टे कट्टे थे । उन्हें एक सज्जन मिलने आए और पूछा कि तुम्हारे मुर्गे बहुत तंदरुस्त हैं इन्हें क्या खिलाते हो । वह बोला मैं इन्हें काजू बादाम और महंगे ड्राई फ्रूट खिलाता हूँ । अच्छा ! लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तू अपने मुर्गों को ड्राई फ्रूट खिला रहा है

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आप विधायक सौरभ भारद्वाज का ईवीएम पर खुलासा महज एक बकवास

10 मई 2017
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दिनांक 9.5.2017 को आम आदमी पार्टी ने ईवीएस कीहैकिंग प्रक्रिया दिखाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जबहैकिंग प्रक्रिया टीवी पर लाइव आरंभ हो गई तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैने यहपूरी प्रक्रिया एक टीवी चैनल पर देखी। इस सत्र में विपक्ष के नेता को मार्शल कीसहायता से सदन से बाहर निकलवाकर

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भारतीय प्रजातांत्रिक केंद्रवाद बनाम राष्ट्रपति पद्धति सरकार

13 मई 2017
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1917 की रुसी बोलशैविक क्रांति की सफलता केउपरांत प्रजातांत्रिक केंद्रवाद की कम्युनिस्ट विचारधारा समाज के सामने आई। रशियन सोशल-डेमोक्रेटिक लेबर पार्टीकी दिनाँक 26 जुलाई से 03 अगस्त 2017 तक आयोजित छठी कांग्रेस में प्रजातांत्रिककेंद्रवाद की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि पार्टी की नीचे से ऊपर तक निर्दे

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जूते की आत्मकथा

20 मई 2017
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एक आम कहावत है कि उसने उसको जूते-चप्पलों सेपीटा। मगर एक समय ऐसा भी था जब आठवीं कक्षा के मेरे अध्यापक ने चाय पीते-पीते ही पूरीकक्षा को जूते की आत्मकथा लिखनी सिखाई। अध्यापक महोदय ने आरंभ करते हुए कक्षा कोबताया कि जूते की आत्म लिखना बहुत आसान है। लिखो गाँव में राम लाल की भैंस मर गई।उस मरी हुई भैंस को च

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी पर विशेष

25 जून 2017
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ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण(जगन्नाथ)कोसमर्पित है । जगन्नाथ का अर्थजगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओंके चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । भगवान जगन्नाथ पुरी में 56प्रकार के अन्

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चायवाद

9 जुलाई 2017
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नरसंहार को नाजीवाद कहते हैंराष्ट्रभक्ति को राष्ट्रवाद कहते हैंकट्टरवाद को फासीवाद कहते हैंमाओ समर्थन को माओवाद कहते हैंसमाज सुधार को समाजवाद कहते हैंमार्क्स समर्थन को साम्यवाद कहते हैंसर्ववाद विरोध को आतंकवाद कहते हैंक्षेत्र विस्तार को साम्राज्यवाद कहते हैंऔर जनता की गाढ़ी कमाई विदेशों में लुटाने को

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सत्ता संघर्ष और अनुवादकों की भूमिका

5 अगस्त 2017
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अंग्रेजी की एक टर्म लिटल नॉलेजइज डेंजरस का हिंदी पर्याय बना है नीम हकीम खतराए जान जिसका अर्थ है कम ज्ञानस्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक सामान्य जन से जब नीम हकीम खतराएजान का अर्थपूछा गया तो उसका उत्तर था- ऐ हकीम तू नीम के पेड़ के नीचे मत जा वहां तेरी जान का खतरा है। शोले फिल्म काएक मशहूर डॉयलाग है

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सत्ता संघर्ष और अनुवादको का दायित्व

12 अगस्त 2017
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जब भारत सरकार अधिनियम, 1935 अस्तित्व में आया थातो लगने लगा था कि भारत स्वतंत्र होने वाला है और भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होनेवाली है। क्योंकि विदेशिओं को यह भलिभांति मालूम था कि भारत में बहुसंख्य हिंदीभाषिओं की है। स्वतंत्रता सेनानियों का भी आपस में संवाद हिंदी में ही होता था औरहिंदी ने स्वतंत्रता स

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आस्था खुद के अस्तित्व तक

6 सितम्बर 2017
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आस्था से तात्पर्य है कि समग्र रुप से स्थिर या स्थित होना। यह आस्था किसी व्यक्ति विशेष या स्थान विशेष से संबंधित हो सकती है। जैसे कोई देव या देवालय। आ का मतलब समग्र रुप से व स्था का मतलब स्थिर रहने की अवस्था । विदेशों में भी पूर्व में आस्था व अंधविश्वास था। जर्मनी व फ्रांस

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भारत का भाषा विवाद (14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष)

14 सितम्बर 2017
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किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए किसी एक सर्वमान्य भाषा का होना जरुरी है और भारत में यह भाषा हिंदी ही हो सकती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रह चुके सुकर्णो ने अपनी आत्मकथा में भारत को हिंदी को अपनी राजभाषा अपनाने में आनाकानी पर व्यंग कसा था।

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जनता मांगे भ्रष्टाचारी डॉ मनमोहन सरकार ?

26 अक्टूबर 2017
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार का अस्तित्व में आने का एक ही कारण था कि देश में ईमानदार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार चल रही थी। मेरे जीवन का एक अनुभव है कि ईमानदार शख्सियत या तो अपना स्वयं का नुकसान कर सकती है या अपने जैसे ही किसी ईमानदार क

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झगड़ें नहीं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत याद करें

5 नवम्बर 2017
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जन गणमन अधिनायक जय हे वंदे मातरम्भारतभाग्यविधाता सुजलांसुफलां मलयजशीतलाम्पंजाबसिन्धु गुजरात मराठा सस्यश्मामलां मातरम्द्राविड़उत्कल बंगा शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकित यामिनम् विन्ध्यहिमाचल

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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहा राष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ी

5 नवम्बर 2017
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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहाराष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ीWorried because of Government shakesNational food Khichri is coming For Ill Indians

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साम्यवादी मार्क्स बनाम दक्षिणपंथी मोदी का ७ नवंबर

15 नवम्बर 2017
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कार्ल मार्क्स ने 1848 के अपने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में कहा था कि साम्यवादी क्रांति का लक्ष्य उत्पादन के साधनों पर विश्व के मजदूरों का आधिपत्य स्थापित करके पूंजीवाद की कब्र खोदना है। एक नई समतामूलक संस्कृति को जन्म देना, समाज को वर्गविहीन बन

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विश्वास बनाम अफवाह

18 नवम्बर 2017
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महानायक अमिताभ बच्चन की एक पिक्चर आई थी देश प्रेमी। अमिताभ जी को एक ऐसी कॉलोनी में रहना पड़ता है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं तथा छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाकर आपस में लड़ते रहते हैं। मगर यह उस देश प्रेमी का ही विश्वास होता है कि

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पूर्वज वही जो लाभ दिलाए

23 नवम्बर 2017
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अगर कहीं रेलगाड़ी से दिल्ली स्टेशन को लिंक करते नगरों की यात्रा पर निकलें तो मैरिज ब्यूरो का एक विज्ञापन दिवारों पर लिखा मिलेगा – दुल्हन वही जो दादा जी दिलाएं । दशकों पूर्व सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की अर्दांगनी जया भादुड़ी स्टारर एक फिल्म आई थी जिसका शीर्षक था द

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क्यों है लॉकडाउन की मजबूरी

31 मार्च 2020
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समाज की उत्पति से लेकर आजतक विश्व एक हीथ्यूरी पर चल रहा है कि समाज में वर्चस्व किस का होगा। जंगलराज को नकेल डालकर कुछव्यवस्थाएं स्थापित हो गईं लेकिन जिनके साथ अन्याय होता था उन्होंने प्रतिरोध जारीरखा। वर्तमान युग में विश्व की ओर से फेस की जा रही समस्याओं का मुख्य कारण पश्चिमजगत और उनका अंधानुकर

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ब्रह्म ज्ञान

2 अप्रैल 2020
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लिखा ओंकार ने कभीबैठकर इक दिन सच में मानव तूँ इक दिन हैरान होगारुकेंगी बसें विमान ट्राम और रेलें बंद पलों मेंसारा सामान होगालिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँइक दिन हैरान होगापक्षी चहकेंगे सुखी साँस होगा प्रदूषण रहित तबसारा संसार होगापाताल धरती पानी आकाश पर काबज कैद घर में इक दिनइंसान हो

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पानी की आत्मा

30 जुलाई 2020
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कोई कहे हिंदु पानीकोई कहे मुस्लिम पानी समझाने को आत्मा पानी की अनेकों ने दी कुर्बानी फिर भी न माने क्योंकि कमान ईसाईयत को थीजो थमानी ईसाईयत ने करोड़ों लीले आत्मा की हुई बदनामी स्वतंत्र है देश फिर भी कोई कहे हिंदु पानी ‘कोई’ मुस्लिम पानी क्योंकि

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अस्थायी आशियाना

1 अगस्त 2020
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सजनरे झूठ मत बोलो-खुदा के पास जाना है। हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है।तुम्हारे महल चौबारे-यहीं रह जाएंगे सारे - अकड़ किस बात की प्यारे - अकड़ किस बातकी प्यारे। एकसमय की बात है कि एक सन्यासी राजा के महल के सामने आए और आते ही राजा के महल मेंघुसने का प्रयास करने लगे। राजा के सैनिकों ने उन्हें

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जन्मदिवस पर पत्नी को शुभकामनाएं

20 जून 2023
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 किसी खूबसूरत एहसास की भांति  तुम परिवार और मेरे जीवन के लिए हो बहुत जरुरी,  जैसे जिस्म के लिए सांसों की डोरी,  हम जीवन के प्रत्येक रंग को जी लेंगे,  तेरा साथ रहेगा तो समाज की प्रत्येक तपन सह

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