प्रिसमा! प्रिसमा! प्रिसमा! चारों तरफ इन्टरनेट पर इसका शोर है। फेसबुकऔर ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्क साइट्स पर इसकी चर्चा ज़ोर शोर से चल रही है।इस ऐप के माध्यम से आप अपनी शक्ल को एक सुन्दर छवि का रूप दे सकते हैं।किसी चित्रकार से रची तस्वीर के सामान आपकी छवि भी सौंदर्य प्राप्त करेगी।पर ये सिर्फ एक तस्वीर
सुजीत कुमार :- हम सब के मन में हमेशा से एक सवाल रहा कि आखिर क्यूँ किसी अपराधी को सूर्योदय से पहले फांसी दी जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि फांसी का समयसूर्योदय से पेहले का क्यों चुना जाता है। अगर आपका जवाब है नही तो चलिये हम आज आपको बताते है कि अखिर क्या है इसके पीछे का राज।सूर्योदय के बाद एक नया
कंप्यूटर तकनिकी ,माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस (एक्सेल, वर्ड, ) टैली इंटरनेट भारतीय संविधान और कंप्यूटर बेसिक हिंदी भाषा मेंक्लिक करे करे इस लिंक पर Tips in Hindi [आई.सी.टिप्स हिंदी ]: मेरी कलम से सभी लेख
यह अच्छी तरह अनुभव कर लिया गया है कि खिलखिलाकर हँसने से अच्छी भूख लगती है, पाचनशक्ति बढ़ती है और रक्त का संचार ठीक गति से होता है ।। क्षय जैसे भयंकर रोगों में हँसना अमृत- तुल्य गुणकारी सिद्ध हुआ है ।। खिल- खिलाकर हँसने से मुँह, गरदन, छाती और उदर के बहुत उपयोगी स्नायुओं को आवश्यकीय कसरत करनी पड़ती है,
उत्तराखण्ड में हो रही तबाही २०१३ के प्रलय की याद दिला रही है| एक तरह से वही विपदा फिर आयी है| देखा जाए तो इसमें अप्रत्याशित कुछ भी नही है| जो हो रहा है, वह बिल्कुल साधारण नही है, लेकिन पीछले छह- सात सालों में निरंतर होता जा रहा है| हर बरसात के सीजन में लैंड स्लाईडस, बादल फटना, नदियों को बाढ और जान-
पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह
इसी संदर्भ में Vinay Jha ji विनय झा जी की यह पोस्ट संदर्भित है- भारत मे जितने प्राचीन प्रमाणिक ग्रन्थ उपलब्ध हैं उतने शेष संसार में नहीं हैं | यह दूसरी बात है कि म्लेच्छ और उनके मानसपुत्र ऋषियों के ग्रन्थों को प्रामाणिक नहीं मानते | भारत के सभी पुस्तकालय जला दिए गए, मन्दिरों से संलग्न पाठशालाएं मन्
एकाएक उसके दिमाग में एक विचार आया और उसकी ऑंखें चमकने लगीं. उसने एक बार फ़िर मृतक की तलाशी लेनी शुरू कर दी, और जल्दी ही उस व्यक्ति की भीतरी जेब से उसे सिक्के के आकार की एक माइक्रोचिप मिल गई. ये चिप दरअसल किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जिस्म का अनिवार्य अंग होती थी. उस व्यक्ति का समस्त पिछला रिकॉर्ड ,
लेखक - जीशान जैदी बेरोज़गारी के धक्कों ने उसे बेहाल कर दिया था. दो दिन से उसके पेट में एक दाना भी नहीं गया था. मीठे पानी को तो वह बहुत दिन से तरस रहा था, क्योंकि पानी अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संपत्ति हो चुका था. समुन्द्र का खारा पानी वह किसी तरह पी रहा था. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुन्द्र में न
"बाग़ बिन पर्यावरण"बुजुर्गों ने अपने हाथों से बाग़ लगाया था गाँव के चारों ओर, याद है मुझे। मेरा गांव बागों सेघिरा हुआ एक सुन्दर सा उपवन था।कहीं से भी निकल जाओं, फलों से मन अघा जाता था। महुआ, जामुन मुफ़्त में मिल जाते थे तोआम, आवभगत के रसीले रस भर देते थे। शीतल हवा हिलोरें मारती थी तो बौर के खुश्बू, हर
इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म
"माँ, मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ। मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूं। विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन, आपने उसके बारे में सुना है?" वासु ने पूछा। उसकी मां उसके पास बैठी और मुस्कुराकर बोली, “मैं डार्विन के बारे में जानती हूं, वासु। मैं यह भी जानती हूं कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो
एक आकलन के अनुसार, यदि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति एक औसत अमेरिकीजितना संसाधन उपभोग करे तो हमारी पृथ्वी जैसे तीन और ग्रहों की ज़रुरत पड़ेगीअर्थात कुल चार ग्रह. ब्रिटेन के टीवी चैनल आईटीवी पर स्टीफन हॉकिन्स ने आगाह कियाकि जलवायु परिवर्तन करीब सात करोड़ साल पहले के क्षुद्र ग्रहों के उस टकराव से भीज
संसदीय समितियांसंसद के कार्यों में विविधता तो है, साथ ही उसके पास काम की अधिकता भी रहती है। चूंकि उसके पास समय बहुत सीमित होता है, इसलिए उसके समक्ष प्रस्तुत सभी विधायी या अन्य मामलों पर गहन विचार नहीं हो सकता है। अत: इसका बहुत-सा कार्य समितियों द्वारा किया जाता है।संसद के दोनों सदनों की समितियों
इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क
पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना सुशील शर्मा मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है।अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश यही किसी न किसी रूप में जीवन का निर्माण करते हैं, उसे पोषण देते हैं। इन सभी तत्वों का सम्मिलित , स्वरूप ही पर्यावरण है। पर्यावरण संरक्षण पाँच स्तरों पर सम्भव होगा-1- मान
विश्व का एक मात्र उदारण जो पेड़ों के लिये अपनी कीमती जान देना वह् 363 अमर शहीद विशनोई जो अमृता देवी की अगवाई में हुआ जोधपुर नरेश ने किले की चिनाई के लिए चुना पकाने के लिए लकड़ी लाने का आदेश् दिया उनके सैनिक लकड़ी लेने के लिए निकले तो खेजड़ली गांव में बहुत खेजड़ी के पेड़ देखे तो उसे काटने लगे यह देख विशनोई
दिन पर दिन बढती जा रही हमारी वैज्ञानिक प्रगति और नए संसाधनों से हम सुख तो उठा रहे हैं लेकिन अपने लिए पर्यावरण में विष भी घोल रहे हैं . हाँ हम ही घोल रहे हैं . प्रकृति के कहर से बचने के लिए हम अब कूलर को छोड़ कर किसी तरह से ए सी खरीद कर ठंडक का सुख उठाने लगे हैं लेकिन उ
ज्ञान जितना पा लो कम है। प्रतिदिन अनेक किताब प्रकाशित होती हैं, सभी तो कोई पढ़ नहीं सकता। ज्ञान से बुद्धि बल बढ़ता है। बुद्धि का बल सबसे बड़ा है। ज्ञान से बुद्धि बल बढ़ता है और बुद्धि में विवेक जागता है। विवेक सम्मत बुद्धि से हम सभी सम्ास्याओं एवं शंकाओं का समाधान कर पाते हैं। इसलिए ज्ञान की म
ग्लोबल वार्मिग को चलते हिमांचल प्रदेश और उत्तराखंड़ के ग्लेशियरों पर पिघलनें का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसी बीच कश्मीर के ग्लेशियरों को लेकर एक खुश खबरी आई है। यहां पिछले कई समय से ग्लेशियरों का आकार बढा है। भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान तक फैली काराकोरम पर्वत श्रृंखला के करीब 10 ग्लेशियर