भारत के संविधान के भाग-III में अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को विधि के समक्ष समता की गारंटी प्रदान की गई है, अनुच्छेद 15 का खंड (1) और खंड (2) तथा अनुच्छेद 16 का खंड (2) अन्य बातों के साथ लिंग के आधार पर विभेद का प्रतिषेध और अनुच्छेद 19 का खंड (1) वाक् स्वातंत्र्य विषयक अधिकारों का संरक्षण प्रदान करता है। ध्यातव्य है कि संविधान पुरुष और महिला के बीच लैंगिक विभेद का प्रतिषेध करता है,
भारत के संविधान के भाग-III में अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को विधि के समक्ष समता की गारंटी प्रदान की गई है, अनुच्छेद 15 का खंड (1) और खंड (2) तथा अनुच्छेद 16 का खंड (2) अन्य बातों के साथ लिंग के आधार पर विभेद का प्रतिषेध और अनुच्छेद 19 का खंड (1) वाक् स्वातंत्र्य विषयक अधिकारों का संरक्षण प्रदान करता है। ध्यातव्य है कि संविधान पुरुष और महिला के बीच लैंगिक विभेद का प्रतिषेध करता है, किंतु ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिंगीय अस्पष्टता के कारण इन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त हक भी पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं हैं जिससे प्रायः विभेद का सामना करना पड़ता है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2016’ को मंजूरी प्रदान की। इस विधेयक का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक सशक्तीकरण हेतु एक ढांचा विकसित करना है, जिससे उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने तथा उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकने में मदद प्राप्त हो सके।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का (अधिकार संरक्षण) विधेयक , 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 जुलाई, 2016 को मंजूरी प्रदान की।
- विधेयक ऐसे व्यक्तियों को ट्रांसजेंडर के रूप में परिभाषित करता है, जो-
(i) न तो पूर्णतया स्त्री हैं और न ही पूर्णतया पुरुष,
(ii) स्त्री और पुरुष दोनों का संयोजन हैं, और
(iii) न तो स्त्री हैं, न ही पुरुष तथा जिसकी लिंग की अनुभूति जन्म के समय उस व्यक्ति को समनुदेशित लिंग से मेल नहीं खाती और इसके अंतर्गत अंतः लैंगिक भिन्नताएं तथा लिंग विलक्षणताओं सहित परा नर और परा नारी व्यक्ति भी हैं। - यह विधेयक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शैक्षिक संस्थाओं, रोजगार एवं स्वास्थ्य सेवाओं में अनुचित व्यवहार, सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच अथवा उनका उपभोग, कहीं भी निवास करने तथा संपत्ति का उपभोग, किसी सरकारी या निजी पद के लिए खड़े होने या उसे धारण करने के लिए अवसर के इंकार विच्छेदन या अनुचित व्यवहार के लिए विभेद का निषेध करता है।
- इस विधेयक के उपबंधों के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अपनी पहचान हेतु प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति, अपनी पहचान के प्रमाण-पत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकेंगे, किंतु अवयस्क बच्चों के मामले में ऐसा आवेदन उसके माता-पिता या संरक्षक द्वारा किया जा सकेगा।
- जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राप्त आवेदन को जिला छानबीन समिति (District Screening Committee) को भेजा जाएगा।
- जिला छानबीन समिति (DSC) ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मान्यता देने के प्रयोजन से सरकार द्वारा गठित की जाएगी, जिसमें मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO), जिला समाज कल्याण अधिकारी, एक मनोवि ज्ञान ी या मनोचिकित्सक, उभयलिंगी समुदाय का एक प्रतिनिधि तथा सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी होगा।
- जिला मजिस्ट्रेट जिला छानबीन समिति की सिफारिशों के आधार पर आवेदक के लिंग को ट्रांसजेंडर (उभयलिंगी) के रूप में उपदर्शित करते हुए एक प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
- इस विधेयक के पारित होने से सरकार या निजी संस्था रोजगार के मामलों के साथ-साथ भर्ती, प्रोन्नति आदि में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकेंगे।
- वित्त पोषित या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाएं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शिक्षा, खेल तथा मनोरंजन सुविधाएं बिना विभेद किए प्रदान करेंगी।
- सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पूर्ण और प्रभावी भागीदारी को सुनिश्चित करने तथा समाज में उन्हें समाविष्ट करने के लिए कदम उठाएगी।
- सरकार द्वारा ऐसी कल्याणकारी योजनाओं तथा कार्यक्रम का निर्माण किया जाएगा जो ट्रांसजेंडर संवेदनशील तथा गैर-विभेदकारी हों।
- इस विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सांस्कृतिक तथा मनोरंजन क्रियाकलापों के संवर्धन तथा संरक्षण हेतु सरकार को निर्देशित किया गया है।
- विधेयक में ‘ट्रांसजेंडर राष्ट्रीय परिषद’ (National Council for Transgender) के गठन का प्रावधान है।
- इस परिषद के पदेन अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष क्रमशः सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रभारी केंद्रीय मंत्री तथा राज्य मंत्री होंगे।
- इस परिषद के अन्य सदस्यों (पदेन सदस्यों के अतिरिक्त) का कार्यकाल उनकी नियुक्ति की तिथि से 3 वर्षों का होगा।
- इस विधेयक में सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
- विधेयक के अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बंधुआ मजदूर या भीख मांगने के लिए मजबूर करने, किसी सार्वजनिक स्थान के उपयोग मंग बाधा पहुंचाने तथा उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करने या उन्हें उनके घरों अथवा गांवों से जबरन निकालने के दोषी पाए जाने वाले लोगों के लिए न्यूनतम 6 माह और अधिकतम 2 वर्ष की कैद तथा जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- ज्ञातव्य है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के (अधिकार संरक्षण) संबंधी विधेयक राज्य सभा सांसद तिरुची शिवा द्वारा पेश किया गया था, जिसे राज्य सभा ने 24 अप्रैल, 2015 को मंजूरी प्रदान कर दी थी।
- 45 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब किसी निजी सदस्य के विधेयक को मंजूरी प्रदान की गई।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद्र गहलोत ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2016 को 2 अगस्त, 2016 को लोक सभा में प्रस्तुत किया।
लेख क-श्याम कृष्ण मिश्रा