मिस्र के आधुनिक प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में उद्भव (क्रांति दिवस 23 जुलाई, 1952) और इसके गणराज्य घोषित होने (18 जून, 1953) के तत्काल बाद से ही मिस्र और भारत के बीच मित्रतापूर्ण संबंधों की रूपरेखा बनने लगी। इसकी जड़ें मिस्री स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ साद जधलूल और महात्मा गांधी के स्वतंत्रता प्राप्ति के साझा उद्देश्यों में हैं। गुटनिरेपक्ष आंदोलन (1961) में मिस्र के दूसरे राष्ट्रपति अब्दुल नासिर (Abdel Nasser) के सक्रिय सहयोग ने इसे और अधिक मजबूत बनाया।
वर्तमान में भारत के अफ्रीका महाद्वीप में निवेश संभावनाओं, आतंकवाद निरोध एवं विश्व शांति में अरब देशों के अपेक्षित सहयोग की पूर्ति के लिए मिस्र एक विश्वसनीय साथी की भूमिका निभा सकता है।
- भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निमंत्रण पर मिस्र के 6वें राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी (Abdel Fatah Al-Sisi) 1-3 सितंबर, 2016 के मध्य भारत की राजकीय यात्रा पर रहें।
- मिस्र के राष्ट्रपति के पद ग्रहण (8 जून, 2014) के बाद से अल-सीसी की यह दूसरी भारत की यात्रा थी। इससे पूर्व वे तीसरे भारत-अफ्रीका सम्मेलन, अक्टूबर, 2015 में नई दिल्ली आए थे।
- मार्च, 2016 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व सूफी सम्मेलन में मिस्र ने भी भाग लिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी की भेंटवार्ता में द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए तीन स्तंभों-निकट राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, गहरे आर्थिक अंतर्संबंधों एवं वै ज्ञान िक सहयोग तथा व्यापक सांस्कृतिक और नागरिक संबंधों पर आगे बढ़ने का निश्चय किया गया।
- सुरक्षा सहयोग एवं आतंकवाद प्रतिरोध पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर हुए समझौता-ज्ञापन और आतंकवाद से लड़ने में दोनों देशों के संयुक्त कार्यसमूह की जनवरी, 2016 में हुई बैठक का दोनों नेताओं ने स्वागत किया।
- वर्ष 2015 में मिस्र ने भारत के दो नाविकों को स्वदेश जाने की अनुमति दे दी, जिन्हें दो वर्षों से रोका गया था।
- अगस्त, 2016 में भारत ने मिस्र को 20000 मीट्रिक टन चावल कम कीमत पर भेजा।
- दोनों नेताओं ने अरब-इस्राइल विवाद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संकल्प, मैड्रिड शांति सम्मेलन, 1991 तथा अरब शांति पहल, 2002 (बेरूत) के आधार पर बल दिया।
- सभी प्रकार के आतंकवाद को विश्व शांति के लिए खतरा माना गया और इससे निपटने में परस्पर सहयोग करने का संकल्प लिया गया।
- वर्तमान में मिस्र वर्ष 2016-17 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और उसने भारत की अस्थायी सदस्यता के लिए वर्ष 2021-22 की दावेदारी का समर्थन किया।
- भारत, मिस्र का छठां सबसे बड़ा व्यापार िक साझीदार देश है। इससे ऊपर अमेरिका, इटली और सऊदी अरब हैं।
- वर्तमान में मिस्र में भारत का निवेश 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- राष्ट्रपति अल-सीसी ने स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र में भारत को निमंत्रित किया।
- भारत कच्चा कपास, उर्वरक, तेल एवं तेल उत्पाद, कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन, चमड़ा एवं लौह उत्पादों का आयात मिस्र से करता है जबकि निर्यात वस्तुओं में काफी, तंबाकू, कॉटन-यार्न आदि हैं।
- तीसरी संयुक्त व्यापार समिति की बैठक, मार्च, 2016 में काहिरा में हुई।
- टेली-मेडिसिन और टेली-एजुकेशन पर पैन अफ्रीका ई-नेटवर्क प्रोजेक्ट की शुरुआत अलेक्जेंड्रिया विश्वविद्यालय में हुई।
- भारत द्वारा सुब्रा-अल-खीमा में एक कपड़ा व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र का प्रारंभ किया गया और अजावीन गांव के सौर विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया।
- दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक, शैक्षिक और वैज्ञानिक सहयोग के लिए कार्यकारी कार्यक्रम (2016-19) को अगले वर्षों में बढ़ाने का निर्णय लिया।
- ऐन शाम विश्वविद्यालय, कैरो में पहले भारतीय की नियुक्ति।
- दोनों नेताओं ने भारत द्वारा नील उत्सव (India by the Nile Festival) को व भारत की स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए वर्ष 2017 में आयोजित करने का निर्णय लिया।
- मिस्र द्वारा गंगा उत्सव (Egypt by the Ganga Festival) को भी वर्ष 2017 में आयोजित करने का प्रस्ताव है।
- विशेष तथ्य
- स्वेज नगर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस नहर का निर्माण 1869 ई. में किया गया था। यह नहर अफ्रीकी महाद्वीप को एशिया से अलग करती है। इस पर सबसे उत्तरी पत्तन पोर्ट सईद तथा दक्षिणतम पत्तन पोर्ट स्वेज है। यह नहर स्वेज की खाड़ी तक जाती है। यह नहर 162 किमी. लंबी है। वर्ष 1956 में मिस्र की सरकार ने इसका राष्ट्रीकरण कर दिया था।
- नई स्वेज नहर
- पुरानी स्वेज नहर के समानांतर नई स्वेज नहर बनाई जा रही है। यह नहर 60 से 95 किमी. तक लंबी होगी। इस नहर की वजह से परिवहन का समय 18 घंटे से घटकर 11 घंटे हो जाएगा।
- इसके साथ ही ग्रेट बिटर लेक बाई-पास (Great Bitter Lakes By-passes) और बल्लाह बाई-पास (Ballah By-pass) को और गहरा व चौड़ा करने का कार्य भी किया जा रहा है।
- नोट- नील नदी : यह नदी विक्टोरिया झील से निकलती है। यह विश्व की सबसे लंबी नदी है। यह नदी मिस्र से होकर बहती है। इस नदी पर अस्वान बांध स्थित है। नासिर झील भी इसी पर स्थित है।
- मिस्र को नील का वरदान या नील का उपहार भी कहा जाता है। क्योंकि वह सहारा मरुस्थल में नखलिस्तान (मरुद्यान) है। अर्थात नील नदी जिन क्षेत्रों से प्रवाहित होती है वह क्षेत्र उस मरुस्थल में मरुद्यान (नखलिस्तान) के समान है। अल कैरो (काहिरा) नामक नगर नील नदी के किनारे ही स्थित है।
- प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में से एक मिस्र के पिरामिड भी हैं।
- सिनाई प्रायद्वीप भी मिस्र में ही पाया जाता है तथा मिस्र इस्राइल का पड़ोसी देश है।
- उल् लेख नीय है कि मिस्र में राजाओं की घाटी नील नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
- अलेक्जेंड्रिया नील नदी के डेल्टा पर अवस्थित, अफ्रीका का दूसरा बड़ा शहर, सूती वस्त्र निर्यातक केंद्र एवं मिस्र का प्रमुख पत्तन शहर है।
लेखक-श्याम सुन्दर यादव