आईएनएस, ‘भारतीय नौसेना जहाज’ (Indian Naval Ship) हेतु प्रयुक्त संक्षिप्त नाम (Abbreviation) है। भारतीय नौसेना में आक्रमणात्मक एवं रक्षात्मक कार्यों में प्रयुक्त विभिन्न युद्ध पोतों जैसे- विमानवाहक पोतों, विध्वंसक पोतों, पनडुब्बियों, गश्ती पोतों आदि के साथ-साथ विभिन्न आधारों (Bases), हवाई आधारों (Air Bases), प्रशिक्षण संस्थानों तथा तटों पर स्थित नौसेना प्रतिष्ठानों के नाम के आगे आईएनएस (INS) का प्रयोग एक उपसर्ग (Prefix)/टाइटल के रूप में किया जाता है। उदाहरणस्वरूप-आईएनएस विक्रमादित्य, आईएनएस अरिहंत, आईएनएस डेगा (नौसेना हवाई अड्डा), आईएनएस चिल्का (प्रशिक्षण संस्थान) आदि। भारतीय सामुद्रिक हितों की रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए स्थापित विशेष कार्य बल ‘मरीन कमांडो फोर्स’ (MCF) के लिए नौसेना को लंबे समय से एक आधार की आवश्यकता थी जिसकी पूर्ति के लिए मरीन कमांडो यूनिट के रूप में ‘आईएनएस कर्ण’ को भारतीय नौसेना में कमीशन प्रदान किया गया है।
- 12 जुलाई, 2016 को नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में भीमुनीपत्तनम स्थित नौसेना बेस में आईएनएस कर्ण को कमीशन प्रदान किया।
- आईएनएस कर्ण, आईएनएस कलिंग (नौसेना मिसाइल डिपो) के परिसर में स्थित है।
- कैप्टन वरुण सिंह को आईएनएस कर्ण का कमांडिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि मरीन कमांडो फोर्स (MCF), जिन्हें मार्कोस (MARCOS) भी कहते हैं, की स्थापना फरवरी 1987 में ‘भारतीय समुद्री विशेष बल’ (IMSF) के रूप में आईएनएस अभिमन्यु पर की गई थी।
- मार्कोस युद्ध के तीनों आयामों (जल, थल एवं वायु) में कार्य करने में सक्षम है।
- इस बल को युद्ध, करीबी मुठभेड़ों, विशेष टोही अभियान, बंधक बचाव अभियान एवं विशेष आंतरिक सुरक्षा आदि स्थानों पर उपयोग हेतु गठित किया गया था।
- मार्कोस ने ऑपरेशन जबर्दस्त (फरवरी, 1993) श्रीलंका, ऑपरेशन ताशा (1990-2000), ऑपरेशन लीच (1998), ऑपरेशन धनु (मलक्का जलडमरुमध्य में दस्यु विरोधी ऑपरेशन) तथा ऑपरेशन राहत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान में ऑपरेशन रक्षक (जम्मू-कश्मीर में 1995 से संचालित आतंकवाद निरोधी ऑपरेशन) सहित दो बड़े ऑपरेशनों में शामिल है।
- आईएनएस कर्ण देश की विशाल सामुद्रिक हितों की रक्षा हेतु भारतीय नौसेना के विशेष बलों की तैनाती में सहायक होगा।