बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आज 85 वीं जयंती मनाई जा रही है| उनका असली नाम महजबीन बेगम था लेकिन वह फिल्मी दुनिया में मीना कुमारी के नाम से पहचान बना चुकीं थी|उनका जन्म 1 अगस्त 1932 को हुआ था| इनके माता-पिता इकबाल बेगम और अली बक्श थे| यह उनकी तीसरी बेटी थीं| इरशाद और मधु नाम की उनकी दो बड़ी बहनें भी थीं|कहा जाता है कि जब मीना कुमारी का जन्म हुआ उस समय उनके पिता के पास डॉक्टर की फीस देने के लिए भी पैसे नहीं थे|इसलिए माता-पिता ने निर्णय किया की नन्हीं बच्ची को किसी मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया जाए और उन्होंने ऐसा किया भी लेकिन बाद में मन नहीं माना तो मासूम बच्ची को कुछ ही घंटे बाद फिर से उठा लिया|
मीना कुमारी के पिता एक पारसी थिएटर में हार्मोनियम बजाते थे, म्यूजिक सिखाते थे और उर्दू शायरी भी लिखा करते थे| पिता अली बक्श ने 'ईद का चांद' जैसी कुछ छोटे बजट की फिल्मों में एक्टिंग की और 'शाही लुटेरे' जैसी फिल्मों में संगीत भी दिया| मीना कुमारी की मां उनके पिता की दूसरी बीवी थीं और वे स्टेज डांसर थीं|
हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर दिखी अब तक की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम भी आता है| अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया| कई फिल्मों को तो आज भी उनके प्रशंसक बहुत चाव से देखते हैं| मीना कुमारी को दुखियारी महिला के किरदार काफी करने को मिले| शायद इसी वजह से मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा जगत की 'ट्रेजडी क्वीन' के नाम से जानी जाती है|
अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक उम्दा शायारा और पार्श्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी ने साल 1939 से 1972 तक फ़िल्मी पर्दे पर काम किया| ऐसा कहा जाता है कि मीना कुमारी स्कूल जाना चाहती थी लेकिन उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही फिल्मी दुनिया में काम करने के लिए मजबूर किया| कहा जाता है कि छोटी उम्र में उन्होंने अपने पिता से कहा, 'मैं फिल्मों में काम नहीं करना चाहती, मैं स्कूल जाना चाहती हूं और दूसरे बच्चों की तरह ही कुछ सीखना चाहती हूं| लेकिन उन्हें 7 साल की छोटी उम्र में ही फिल्मों में काम करना पड़ा| मीना कुमारी की पहली फिल्म 'फरजंद-ए-वतन' नाम से 1939 में रिलीज हुई| बड़ी होने के बाद उनकी पहली फिल्म जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के नाम से एक्टिंग की वो थी 1949 में रिलीज हुई फिल्म 'वीर घटोत्कच'|1952 में रिलीज हुई फिल्म 'बैजू बावरा' से मीना कुमारी को हिरोइन के रूप में पहचान मिली|इसके बाद 1953 में 'परिणीता', 1955 में 'आजाद',1956 में 'एक ही रास्ता',1957 में 'मिस मैरी', 1957 में 'शारदा', 1960 में 'कोहिनूर' और 1960 में 'दिल अपना और प्रीत पराई' से पहचान मिली|
1962 में रिलीज हुई फिल्म 'साहेब बीवी और गुलाम' में छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें खूब पहचान मिली| इस साल उन्होंने इतिहास बनाया और फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड के लिए तीनों नॉमिनेशन (फिल्म 'आरती','मैं चुप रहूंगी' व 'साहेब बीवी और गुलाम') मीना कुमारी के ही थे| छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया|मीना कुमारी को शराब की लत लग गई थी और शराब के कारण 1968 में मीना कुमारी बहुत ज्यादा बीमार हो गईं और उन्हें इलाज के लिए लंदन और स्विटजरलैंड भी ले जाया गया | बाद में ठीक होकर आने पर उन्होंने कैरेक्टर रोल करने शुरू कर दिए | फिल्मी दुनिया में इतना नाम कमाने के बाद मीना कुमारी अपनी मौत से पहले एक बार फिर उसी हालात में पहुंच गई थीं जिन तंगहाली के हालात में उनके जन्म के समय उनके माता-पिता थे| कहा जाता है कि मीना कुमारी की मृत्यु एक नर्सिंग होम में हुई थी तो उनके पास अस्पताल का बिल चुकाने तक के पैसे नहीं थे|