शिलांग भारत के पूर्वोत्तर में बसा एक बेहद खूबसूरत शहर तथा यह मेघालय राज्य की राजधानी भी है| शिलांग को भारत का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है| यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह गुवाहाटी से 104 किमी की दूरी पर स्थित है, काजीरंगा से 2 9 5 किमी, सिलीगुड़ी से 578 किमी और दार्जिलिंग से 658 किमी दूर है।
1897 में आए भूकंप ने इस शहर को पूरी तरह से तबाह कर दिया था बाद में इस शहर को बिल्कुल नए ढंग से निर्मित किया गया। 1972 में शिलांग मेघालय राज्य की राजधानी बना। यह नया राज्य पहले असम राज्य का एक हिस्सा था। जनजातीय राज्य होने के नाते मेघालय में खासी, जैन्तिय और गारो नामक तीन प्रमुख जनजातियां निवास करतीं हैं।
खासी पहाड़ियों में बसे शिलांग में ज्यादातर आबादी खासी की ही है साथ ही यह जनजाति पूर्वी भारत पूर्वी के भाग की सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है।
खासी जनजाति का संबंध ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार से है और यह जनजाति मैट्रिलिनीअल फेमिली सिस्टम का अनुसरण करते हैं, जिसके अनुसार ये लोग मानते हैं कि लड़कियां वंश को आगे बढ़ाती हैं। जो कि भारत में काफी दुर्लभ है। खासी जनजाति के लोग लड़की के जन्म पर जश्न मनाते हैं।
शिलांग पीकः
समुद्र तल से करीब 1900 मीटर ऊंची शिलांग पीक शिलांग की सबसे ऊंची चोटी है| यहां से पूरे शहर का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है| शहर के इस पर्यटन स्थल पर सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं| ऐसा कहा जाता है कि इसी पर्वत के नाम पर इस शहर का नाम शिलांग पड़ा है | यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि उनके देवता लीशिलांग इस पर्वत पर रहते हैं तथा यहां से वह पूरे शहर पर नजर रखते हैं और लोगों को हर तरह की मुसीबतों से बचाते हैं | शिलांग पीक के शानदार दृश्य के अलावा यहां इंडियन एयर फोर्स के रडार भी स्थापित है|
वार्डस झीलः
शिलांग वार्डस झील में स्थित एक कृत्रिम झील है जैसा कि नाम से पता चलता है, यह कुछ विदेशी पेड़ों के साथ जमीन के पैच से घिरा झील है। यह झील घने जंगलों से घिरी हुई है। यह झील शिलांग शहर के बीचोंबीच स्थित है। वार्डस झील पर नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध हैं। वार्डस झील का पानी इतना साफ़ है कि अंदर तैरती हुई मछलियाँ नज़र आती हैं। वार्डस झील के साथ जुड़ा बोटैनिकल गार्डन भी जहां कई प्रकार की रंगबिरंगी चिडियाँ दिखाई देती है। झील के बीच में निलंबित तरीके का सफेद लकड़ी का पुल वार्ड झील की पहचानने योग्य विशेषता है।
एलिफेंटा फॉलः
यह फॉल शिलांग शहर से करीब 12 किमी दूर है| इस वॉटरफॉल का असली नाम का शैद लई पटेंग खोशी मतलब की तीन हिस्से वाला वॉटरफॉल है | बाद में अंग्रेजों ने इसका नाम बदल कर एलिफेंटा फॉल रख दिया | इस फॉल के पास एक पत्थर था जो हाथी जैसा दिखता था | इसी कारण इसका नाम एलिफेंटा फॉल रखा गया | परन्तु 1897 में आए भूकंप में यह पत्थर नष्ट हो गया, लेकिन वॉटरफॉल का नाम बदला नहीं गया | इस झरने के पीछे की चट्टान का रंग काला है |
लेडी हैदरी पार्क
यह शिलांग में प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक है। यह पार्क एक किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें एक मिनी चिड़ियाघर है जिसमें पक्षियों की 73 प्रजातियां, सरीसृप की 140 प्रजातियां और अन्य स्तनधारियों है |
इसके अलावा पार्क में स्थानीय फूलों के पौधे और ऑर्किड की एक विस्तृत विविधता है, और जापानी शैली में लैंडस्केप भी बनया गया है। यह पार्क पूरे साल इन रंग-बिरंगे फूलों से सजा रहता है।
स्वीट फॉलः
शिलांग में ही स्थित स्वीट फॉल इस शहर का सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल माना जाता है | यह शिलांग से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर हैप्पी घाटी के पास स्थित है | यह के स्थानीय लोगों का मानना है कि ये वॉटरफॉल हॉन्टेड है| मेघालय में सबसे ज्यादा खुदकुशी और मौत की घटनाएं इसी वॉटरफॉल में हुई हैं |
डॉन बोस्को संग्रहालय
डॉन बोस्को संग्रहालय का निर्माण रोमन कैथोलिक सेलेसियन सोसाइटी द्वारा किया गया था तथा इसका नाम इटली के एक मशहूर रोमन कैथोलिक संत डॉन बोस्को नामक के नाम पर ही रखा गया है। डिजाइन के संदर्भ में भी यह संग्रहालय चौंकाने वाला है इस संग्रहालय को हेक्सागोनल आकार में बनाया गया है, इसकी सात मंजिलें उत्तर पूर्व भारत के सात राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं। संग्रहालय में सांस्कृतिक कलाकृतियों और चित्रों को प्रदर्शित करने वाली सत्रह गैलरी शामिल हैं। सात मजिलो के साथ, 56,000 वर्ग फुट फर्श स्पेस और 15,154 वर्ग फुट डिस्प्ले वॉल स्पेस है| यह संग्रहालय भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का ही सबसे बड़ा सांस्कृतिक संग्रहालय है। संग्रहालय की छत स्काईवॉक के रूप में बनाई गयी है।
उमियाम झील:
उमियाम झील शिलोंग से 17 किलोमीटर दूर उमियम में स्थित है। यह नौकायन, पानी स्कीइंग, पानी स्कूटर सहित पानी के खेलों की सुविधा भी उपलब्ध है।मेघालय पर्यटन विभाग द्वारा संचालित आर्किड लेक रिज़ॉर्ट ने बालकनी, एक रेस्तरां और बार के साथ सुखद कमरे बनाये गए हैं।
लैटलम घाटी :- लैटलम घाटी आपको पहाड़ियों और घाटियों के मनोरम दृश्य प्रदान करता है। लैटलम का अर्थ है ‘पहाड़ी का अंत’। यहां से घाटियों और आस-पास की पहाड़ियों के लुभावने दृश्य आपको देखने को मिलेंगे। यह जगह ट्रैकिंग के लिए एक अच्छा विकल्प हैं!
माजिमबुविन गुफाएं :- शिलांग के प्रमुख आकर्षणों में से एक माजिमबुविन गुफाएं यह शहर से 56 किमी दूर स्थित हैं। गुफाओं के अंदर देखने के लिए शानदार स्टेलेग्माइट हैं। यहाँ विशाल स्टेलाग्माइट शिव लिंग के आकार में है जिस पर उपरोक्त पत्थर से पानी की बूंदें गिरती रहती हैं।
वायु सेना संग्रहालय
पूर्वी वायु कमान के परिसर के भीतर स्थित, शिलांग में वायु सेना संग्रहालय शिलांग में देखने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। विभिन्न रॉकेट, मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, बैज, रैंक पदक, और पुरस्कारों के लघुचित्रों को प्रदर्शित करने वाली दीर्घाओं के साथ, यह संग्रहालय पूरे वर्ष के सभी प्रकार के यात्रियों को आकर्षित करता है।
अन्य पर्यटन वाले स्थानो में वनस्पति उद्यान, सोहेटबेंग पीक, गोल्फ कोर्स, बिशप और बीडॉन फॉल्स, मीठे फॉल्स, किलंग रॉक, नोह कलिकाई फॉल्स, कैथेड्रल कैथोलिक चर्च, जैकरेम, कैप्टन विलियमसन संगमा स्टेट संग्रहालय इत्यादि हैं।