उटकमंडलम या ऊटी, तमिलनाडु राज्य के प्रमुख शहरो में से एक है। यह शहर कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है | यह शहर मुख्य रूप से एक पर्वतीय स्थल के रूप में जाना जाता है। ऊटी नीलगिरी की सुंदर पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है|
ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता पर्यटकाें काे अपनी आेर भी आकर्षक करती है। कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहां की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा। ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देती हैं। जिसका नजारा बेहद खूबसूरत नजर आता है।
ऊटी झील : इस झील का निर्माण यहाँ के पहले कलैक्टर जॉन सुविलिअन ने 1825 में करवाया था। यह झील 2. 5 किलोमीटर लंबी है। झील के चारों ओर फूलों की क्यारियों में तरह-तरह के रंगबिरंगे फूल यहाँ की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक नौकायन और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं।
प्रतिवर्ष 12 लाख पर्यटक ऊटी झील देखने के लिए आते हैं। झील में मोटर बोट, पैडल बोट और रो बोट्स में बोटिंग का लुत्फ भी उठाया जा सकता है। गर्मी के मौसम में यहाँ दो दिवसीय बोट रेस का आयोजन किया जाता है। ऊँटी झील के पूर्वी किनारों पर बच्चों का पार्क है जहाँ बच्चों के मनोरंजन के लिए बहुत सी चीज़ें हैं।
बोटेनिकल गार्डन : बॉटनिकल गार्डन की स्थापना 1847 में की गई थी। यह गार्डन 22 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। इस ख़ूबसूरत गार्डन की देखरेख बागवानी विभाग करता है। यहाँ एक पेड़ के जीवाश्म संभाल कर रखे गए हैं जिसके बारे में माना जाता है, कि यह २० मिलियन वर्ष पुराना है। इस गार्डन में पेड़-पौधों की 650 से ज़्यादा प्रजातियाँ, अद्भुत ऑर्किड,
रंगबिरंगे लिली, ख़ूबसूरत झाड़ियाँ और दो हज़ार साल पुराने पेड़ के अवशेष देखने को मिलता है। बॉटनिकल गार्डन में मई के महीने में ग्रीष्मोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव में फूलों की प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें स्थानीय प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं।
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डोडाबेट्टा चोटी : डोड्डाबेट्टा तमिलनाडु राज्य के ऊटी शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित एक पर्वत है। यह नीलगिरि की सबसे ऊँचा पर्वत है, जिसकी ऊँचाई 2636 मीटर है। यहाँ से पूरे इलाके का सम्पूर्ण विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। डोड्डाबेट्टा से न सिर्फ़ कोयंबटूर, बल्कि मैसूर शहर का नज़ारा भी देखा जा सकता है।
पायकारा लेक : नीलगिरी की पहाड़ियों में स्थित मुकुर्थी शिखर से बहने वाली पायकारा नदी के पानी से बनी है यह प्राकृतिक झील पायकारा लेक। पायकारा नदी घाटी के आसपास स्थित घने जंगलों के बीच स्थित है यह झील। राज्य सरकार ने यहां आने वाले पर्यटकों के लिए कम कीमत पर फॉरेस्ट हाउस भी बना रखा है। पायकारा झील के अलावा पायकारा फॉल्स और बोटिंग भी यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मेन ऊटी शहर से २१ किलोमीटर दूर है पायकारा लेक।
कोटागिरी हिल : कोटागिरी हिल ऊटी से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोटागिरी हिल प्राकृतिक सुंदरता के लिए दर्शनीय स्थल है। यहां के चाय बाग़ानों को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते है | नीलगिरी के तीन हिल स्टेशनों में से यह सबसे पुराना है। यहां बहुत ही सुंदर हिल रिजॉर्ट हैं, जहां चाय के बहुत खूबसूरत बाग़ान हैं।
कालहट्टी जलप्रपात : कालहट्टी जलप्रपात ऊटी का एक ख़ूबसूरत दर्शनीय स्थल है। यह जलप्रपात लगभग 100 फुट ऊंचा है। यहां अनेक प्रकार के पर्वतीय पक्षी भी देखे जा सकते हैं। कालपट्टी के किनारे किनारे स्थित यह झरना 100 फीट ऊंचा है। यह वॉटरफॉल्स ऊटी से केवल 13 किमी. की दूरी पर है। झरने के अलावा कलहट्टी-मसिनागुडी की ढलानों पर जानवरों की अनेक प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं, जिसमें चीते, सांभर और जंगली भैसा शामिल है।
एमरल्ड लेक : एमरल्ड लेक मुख्य ऊटी शहर से 22 किलोमीटर दूरी पर है जो साइलंट वैली नैशनल पार्क के अंदर स्थित है। यह पूरा इलाका अपने शांत वातावरण और जंगली वनस्पतियों के लिए जाना जाता है। नेचर लवर्स के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। इस लेक के चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और चाय के बागान हैं। साथ ही बर्ड वॉचिंग का शौक रखने वालों के लिए भी यह जगह मुफीद है क्योंकि लेक के आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में चिड़ियों की ढेरों प्रजातियां पायी जाती हैं।
रोज़ गार्डन : यहाँ भारत में सबसे बड़ा गुलाब उद्यान है। रोज़ गार्डन ऊटी के विजयनगरम में एल्क हिल की ढलानों पर स्थित है। इस उद्यान की स्थापना 1995 में की गई थी। यह उद्यान 10 एकड़ में फैला हुआ है। रोज़ गार्डन में लगभग 200 प्रकार के गुलाब के फूलों का संग्रह है। ऊटी रेलवे स्टेशन के पास स्थित यह उद्यान हर समय गुलाब की खुशबू से सराबोर रहता है। रोज़ गार्डन को दक्षिण एशिया का सबसे उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला है।
अपर भवानी लेक : अपर भवानी लेक एक बहुत बड़ा बांध है जो इस पूरे क्षेत्र में पानी का मुख्य स्त्रोत है। यह लेकर ऊटी से 60 किलोमीटर दूर पर है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को घने जंगलों के बीच से ट्रेकिंग करके पहुंचना पड़ता है। लिहाजा यहां तक पहुंचने के लिए स्थानीय फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से पहले परमिशन लेनी पड़ती है। मुकुर्थी नैशनल पार्क से होते हुए हाइकिंग और ट्रेकिंग करते हुए यहां पहुंचना पड़ता है और अडवेंचर पसंद करने वाले लोग यहां ज्यादा आते हैं। लेक तक जाने वाले पर्यटक लेक के पास ही स्थित भवानी अम्मन मंदिर में भी दर्शन जरूर करते हैं।
डॉलफिन नोज : यह ऊटी के पर्यटन स्थल मे महत्वपूर्ण है। यह डॉलफिन मछली के नाक के आकार वाली एक विशाल चट्टान है। यहां से पूरी घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहाँ से कोटागिरी के कैथरज फाल का नजार भी देखा जा सकता है।
ऊटी मे अनेक चर्च है। जिनमे से सन् 1829 मे निर्मित नीलगिरी का सबसे प्राचीन चर्च सेंट स्टीफंस मुख्य है, इसके विशाल लकडी के स्तम्भ टीपू सुल्तान के महल से आए थे। इसके अलावा यहां पर कैंडल चर्च का भी काफी महत्व है और ऊटी के पर्यटन स्थल और पर्यटन क्षेत्र मे काफी प्रसिद्ध है। कहा जाता है है कि कैंडल चर्च मे उस क्रास के अवशेष सुरक्षित है जिस पर जीसस क्राइस्ट को सूली पर चढाया गया था। इस चर्च मे एक विशाल क्लाक टावर भी है।
ऊटी में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल बोटेनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा उद्यान, ऊटी झील, कलहट्टी प्रपात और फ्लॉवर शो आदि कई कारण हैं जिनके लिए ऊटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। एवलेंच, ग्लेंमोर्गन का शांत और प्यारा गाँव मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
यहां पर मुख्य रूप से आपको साउथ इंडियन भोजन मिलेगा, पर कुछ रेस्टोरेन्ट आपको ऐसे भी मिलेंगे जो ईस्ट इंडियन भोजन देने के लिए ही प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा चाइनीज या इंडो चाइनीज खाने के लवर्स के लिए “शिन्कोव्स” जैसे रेस्टोरेन्ट और वेस्टर्न खाने के लिए अच्छे रेस्टोरेन्ट उपलब्ध हैं। कोटागिरी हिल्स और कुन्नुर ऊटी के निकटतम पर्यटन स्थल है।
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