जोधपुर, जिसे थार के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाता है| यह थार रेगिस्तान के किनारे पर स्थित है और राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। जोधपुर को 'सूर्य नगरी' के नाम से भी जाना जाता है| जोधपुर की स्थापना एक राजपूत राव जोधा ने 1459 में की थी| जोधपुर के किले और महल प्रमुख आकर्षण हैं|
यह शहर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय और भी खुबसूरत हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ पर सूर्य देवता ज्यादा समय के लिए रहते है, इसलिए इस शहर को सूर्यनगरी के नाम से भी जाना जाता है।
यह शहर रेगिस्तान के बीचो- बीच बसा हुआ है| यहाँ के सभी घर नीले रंग के दिखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी से बचने के लिए यहाँ के सभी घरों में नीला रंग लगाया गया है। इसीलिए इस शहर को नीला शहर या ब्लू सिटी भी कहा जाता है। जोधपुर, जयपुर के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान शहर है|
कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग जोधपुर के ब्रह्मपुरी में की जा चुकी है और साथ ही कई बड़ी कम्पनियों के विज्ञापन भी इस शहर की खूबसूरती को दिखाते हैं। आज से लगभग 20 साल पहले इसी शहर में हॉलीवुड की मशहूर फिल्म “जंगल बूक” की शूटिंग हुई थी, तभी से इस शहर को पूरी दुनियाँ में एक अलग पहचान मिला है। बॉलीवुड की “शुद्ध देशी रोमांस” सहित कई फिल्मों की शूटिंग इस शहर में की जा चुकी है।
जोधपुर में घूमने लायक कुछ चुनिंदा पर्यटन स्थल:
मेहरानगढ़ किला: मेहरानगढ़ का किला जोधपुर की शान कहा जाता है। भूतल से 125 मीटर की ऊँचाई पर बना यह किला सबसे पुराने किलों में से एक है। इस किले का निर्माण 15 वीं सदी में जोधपुर के 15 वें शासक राव जोधा ने करवाया था। भारत के गौरवमयी इतिहास को दर्शाने वाले इस विशालकाय किले से पुरे नीले शहर को देखा जा सकता है। यह किला एक पहाड़ी की चोटी पर बना है और इसके परिसर में कई कई महल और मंदिर है। महरानगढ़ किला जोधपुर शहर से 14 किमी और उमैद भवन किला से 6 किमी दूर पर स्थित है।
उम्मैद भवन महल: इस महल का निर्माण महाराजा उम्मैद सिंह ने सन 1943 में करवाया था। यह महल मार्बल और बालूका पत्थर से बना हुआ है| उम्मैद महल के संग्रहालय में पुरातन युग की घडियाँ और पेंटिंग्स भी संरक्षित हैं।
इस महल में 347 कमरे है| महल के एक भाग में जोधपुर के पूर्व राजपरिवार का निवास है| महल के दूसरे हिस्से को हैरिटेज होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है और बाकी के हिस्से में संग्राहालय|
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जसवंत थाड़ा:
यह पूरी तरह से मार्बल निर्मित है। इसका निर्माण 1899 में राजा जसवंत सिंह द्वितीय और उनके सैनिकों की याद में किया गया था। यह शाही स्मारकों का समूह है।
चामुंडा माताजी टेम्पल:
मां चामुंडा देवी का जोधपुर में विशालकाय मंदिर है| इस इलाके में मां चामुंडा देवी को अब से करीब 550 साल पहले मंडोर के परिहारों की कुल देवी के रूप में पूजा जाता था| जोधपुर की स्थापना के साथ ही मेहरानगढ़ की पहाड़ी पर जोधपुर के किले पर इस मंदिर को स्थापित किया गया|
मां चामुंडा जोधपुर के राजघराने की इष्ट देवी हैं| मां चामुंडा के इस मंदिर की स्थापना 1459 में राव जोधा जी ने की थी| पहले मां चामुंडा को जोधपुर और आस-पास के लोग ही मानते थे और इनकी पूजा अर्चना किया करते थे| लेकिन मां चामुंडा में लोगों का विश्वास 1965 के युद्ध के बाद बढ़ता चला गया|
मण्डोर संग्रहालय: इस संग्रहालय की स्थापना जोधपुर ज़िले में 1968 में जनाना बाग़ के प्राचीन महलों में की गई थी। संग्रहालय में वास्तुकला, प्रस्तर कला, मूर्तिकला के अवशेष शिलालेख चित्र खुदाई से प्राप्त अवशेष तथा हस्तकला आदि का संग्रह है।
बालसमंद झील: बालसमंद झील 1159 ई० में बालाक राव परिहार द्वारा निर्मित, जोधपुर- मंदौर रोड पर स्थित है। पहले, इस झील ने मंदौर के लिये एक जलाशय के रूप में कार्य किया। यह एक हरे उद्यान से घिरा हुआ है| जहाँ मोर पाये जाते हैं। बालसमंद लेक पैलेस झील में स्थित है। पारंपरिक राजपूताना स्थापत्य शैली के साथ बना यहाँ महल जोधपुर के प्रसिद्ध हेरिटेज होटलों में से एक है।
मंडोर गार्डन: पहले मंडोर मारवार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। मेहरानगढ़ किले को बचाए रखने के लिए इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। इस गार्डन में कई स्मारक हैं
जिन्हें जोधपुर के राजाओं की स्मृति में बनवाया गया है।
इन स्मारकों की खास बात यह है कि इन्हें राजपूत शैली के उलट हिंदू वास्तुशिल्प पर आधारित मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। पहाड़ी की चोटी पर बने इस गार्डन में आप मंडोर शहर के खंडहर को देख सकते हैं। पहाड़ की चोटी से महारानी का स्मारक भी नजर आता है। मंडोर गार्डन जसवंत थड़ा से करीब 8 किमी दूर है।
मोती महल : मोती अपने दर्शकों जहां शाही परिवारों आयोजित करने के लिए जाना जाता है।। हॉल ग्लास खिड़कियां और पांच नूकस क्वींस श्रीनगर चौकी के लिए जाना जाता हैं जो जोधपुर के शाही सिंहासन के कार्यवाही में बनाया गया था|
जोधपुर के अन्य पर्यटन स्थलों में मारवाड़ की मूल राजधानी 'मंडोर' है जहां पत्थरों को तराशकर 15 विशालकाय आकर्षक प्रतिमाएं बनाई गई हैं। महामंदिर,
जिसका निर्माण1812 ईसवीं में हुआ था। यहां के दर्शनीय स्थलों में कायलाना झील,बालसमंद झील व बगीचा,ओसियां, धवा और लूनी किला हैं। जोधपुर में कुछ प्रमुख उत्सव है जो बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है जैसे मारवाड़ उत्सव, अंतर्राष्ट्रीय डेजर्ट पतंग महोत्सव , नागौर का प्रसिद्ध पशु मेला,कागा में शीतला माता का उत्सव और पीपर का गंगुआर मेला।
यहाँ की प्रमुख बाजार सोजती गेट,नई सड़क, घंटाघर, त्रिपोलिया बाजार और पैलेस रोड हैं यहाँ से आप बंधेज की साडि़यां व दुपट्टे,चमड़े की जूतियां ,अर्ध-मूल्यवान रत्न चांदी के सामान व जेवर, राजस्थानी चित्र, विभिन्न धातुओं की छोटी-बड़ी मूर्तियां लकड़ी पर नक्काशी का काम आदि की खरीदारी कर सकते है|
अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों का महीना जोधपुर जाने का सबसे अच्छा समय होता है।