जिम कोर्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तराखंड राज्य के नैनीताल ज़िले में रामनगर शहर के निकट बनाया गया है। यह राष्ट्रीय पार्क गढ़वाल और कुमाऊं के बीच 1318 वर्ग किमी में फैला है| जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क देश का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है देश की राजधानी दिल्ली से इसकी दुरी लगभग 276 कि.मी. है।
लुप्त होते बंगाल बाघ की रक्षा के लिए 1936 में हैंली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था। पहले यह पार्क टिहरी गढ़वाल के शासकों की निजी सम्पत्ति हुआ करता था। सन 1820 में 'गोरखा आन्दोलन' के समय राज्य तथा इसके आसपास के इस हिस्से को ब्रिटिश शासकों को उसके सहयोग के लिए सौंप दिया गया था। पहली बार मेजर रैमसेई ने इसके संरक्षण की योजना तैयार की थी। 1879 में वन विभाग ने इसे अपने अधिकार में ले के संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। गवर्नर मैलकम हैली ने सन 1934 में इस संरक्षित वन को जैविक उद्यान घोषित कर दिया। इस पार्क का नाम 1936 में गवर्नर मैलकम हैली के नाम पर 'हैली नेशनल पार्क' रखा गया था। रामगंगा नदी 'जिम कोर्बेट राष्ट्रीय पार्क' से होकर ही बहती है। आज़ादी के बाद इसी नदी के नाम पर इस पार्क का नाम 'रामगंगा राष्ट्रीय पार्क' रखा गया था, लेकिन 1957 में पार्क का नाम 'जिम कार्बेट नेशनल पार्क' कर दिया गया। जिम कार्बेट एक शिकारी था, लेकिन पर्यावरण में उसकी काफ़ी दिलचस्पी थी और उसने इस पार्क को विकसित करने में काफ़ी सहयोग दिया था। जिम कॉर्बेट को तत्कालीन अंग्रेजी सरकार उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आदमखोर बाघों को मारने के लिए बुलाया जाता था। गढ़वाल और कुमायुं में उस वक्त आदखोर शेरों का आतंक मचा हुआ था जिसे खत्म करने का श्रेय जिम कॉर्बेट को जाता है।
नैनीताल से जुडी और खबरे यहाँ पढ़े :
जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क कुल 13,019 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला है, लेकिन टाइगर रिजर्व एरिया का हिस्सा 521 वर्ग किलोमीटर ही है| पर्यटकों को महज 100 वर्ग किलोमीटर जंगल घूमने की छूट है। जंगल में पैदल चलना सख्त मना है।
पर्यटक क्षेत्र:
क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कॉर्बेट नेशनल पार्क को पांच अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा गया है। यहाँ बफर या कोर क्षेत्र हैं जहां से पर्यटक वन्यजीव सफारी का हिस्सा बन सकते है तथा जानवरों के व्यवहार को निकट से देख सकते है और उसका आनंद ले सकते हैं।
बिजनानी सफारी जोन: बिजनानी जोन अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खुली घास के मैदानों के कारण बहुत लोकप्रिय पर्यटक केंद्र है। इस क्षेत्र का प्रवेश द्वार रामनगर शहर से केवल 1 किमी की दूरी पर स्थित है।
झिरना सफारी जोन: झिरना जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक और महत्वपूर्ण पर्यटक क्षेत्र है जो साल भर पर्यटकों के लिए खुला है। झिरना का गेट रामनगर शहर से 16 किमी दूर स्थित है।
ढला सफारी जोन: ढेला नवंबर 2014 से कॉर्बेट नेशनल पार्क के बाघ रिजर्व क्षेत्र में एक नया पर्यावरण पर्यटन क्षेत्र है। यह आरक्षित बफर जोन में एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पर्यटकों के लिए खुला है| यह क्षेत्र अपने वनस्पतियों और जीवों की वजह से बड़ी संख्या में पर्यटक का ध्यान अपनी और खींचता है।
ढिकला जोन: कॉर्बेट में सबसे बड़ा और सबसे विविध क्षेत्र होने के नाते, ढिकाला अपनी प्रचुर प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ विदेशी जीवों के लिए प्रसिद्ध है।
दुर्गा देवी जोन:जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है, पक्षी देखने के शौकीन लोगो के लिए यह जोन पृथ्वी पर स्वर्ग जैसा है। इसका प्रवेश द्वार रामनगर शहर से 36 किमी की अनुमानित दूरी पर स्थित है।
सीताबानी बफर जोन: सीताबानी जोन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है। इस वन में 110 प्रकार के पेड़, 50 प्रकार के स्तनपायी नस्ल के प्राणी, 580 से ज्यादा किस्म-किस्म के पक्षी, 25 प्रकार के रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं। इस वन में बाघ, चीते, सांभर, जंगली सुअर, चिंकारा, हिरन और तेंदुए जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं। यहाँ पे पर्यटक तरह-तरह की सफारी के साथ ही फिशिंग कर सकते हैं और रिवर राफ्टिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं| कॉर्बेट नेशनल पार्क 600 से अधिक एशियन हाथियों का भी निवास स्थान है।
कॉर्बेट की जीप सफारी : कॉर्बेट नेशनल पार्क सबसे अच्छे प्राकृतिक स्थलों में से एक है जहां जानवरों को काफी करीब से देखा जा सकता है| खुली सफारी जीप कॉर्बेट की सुंदरता और जंगल की खोज का सबसे अच्छा तरीका है। सफारी का समय दो सूची में बांटा गया है सुबह और दोपहर में बांटा गया है।
हाथी पर सफारी: हाथी पर सफारी कॉर्बेट का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है। हाथी पर बैठ कर आप कॉर्बेट के उन हिस्सों में भी जा सकते हैं जहाँ जीप नहीं जाती है। कॉर्बेट में एलीफैंट सफारी की शुरुआत भी ढिकाला से ही होती है और इनका भी आयोजन दिन में 2 बार किया जाता है।
बस सफारी: ढिकाला जोन में कई ट्रैवल और टूर ऑपरेटरों के द्वारा बस सफारी भी उपलब्ध कराई जाती है। ये एलीफैंट और जीप सफारी के मुकाबले थोड़ी सस्ती होती हैं। कॉर्बेट में बस सफारी की शुरुआत रामनगर और धनगरी गेट से होती है।
जिम कॉर्बेट के मशहूर टूरिस्ट्स इलाकों में, हैला, ढिकाना, तोहाजैड़, सोनानदी, झिरना और बिजरानी शुमार हैं। टाइगर रिजर्व में फिशिंग करना मना है। लेकिन रिजर्व परिसर से बाहर रामगंगा और कोसी नदियों में फिशिंग कर सकते हैं।
पार्क मध्य जून से नवंबर तक खुला है रहता है, मॉनसून के दौरान जब रिजर्व बंद होता है| परन्तु इस समय पर्यटक कोसी और रामगंगा में रिवर राफ्टिंग का कर सकते हैं।
यहां एक अन्य प्रमुख आकर्षण जलीय सरीसृप है; विभिन्न प्रकार के मगरमच्छ भी यहाँ देखा जा सकता है। कॉर्बेट नेशनल पार्क वास्तव में प्रकृति के किस्मों और सुंदरता को देखने के लिए एक लायक एक प्राकृतिक पार्क है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क तथा राजाजी नेशनल पार्क की सीमाएं आपस में मिली हुई हैं तथा दोनों नेशनल पार्क मिलकर भारतीय उप महाद्वीप के उस सबसे बड़े क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जहाँ बाघ तथा हाथी स्वतंत्रता से विचरण करते हैं। बाघों की अंतिम गणना के अनुसार उत्तराखंड में 340 बाघ मिले थे। जिसमें से 240 बाघ कार्बेट नेशनल पार्क क्षेत्र में हैं। कर्नाटक में 400 बाघों के बाद इनकी संख्या में उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर था।