बुजुर्ग माता-पिता के साथ यदि उनका बेटा दुर्व्यवहार करता है या उनकी देखभाल करने में विफल रहता है, तो वे उपहार के रूप में बेटे को दी गई अपनी संपत्ति का हिस्सा वापस ले सकते हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस बारे में फैसला सुनाया है। वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव के लिए विशेष कानून का हवाला देते हुए जस्टिस रणजीत मोरे और अनुजा प्रभुदेसाई ने एक ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा।
वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, २००७ के रखरखाव और कल्याण में कहा गया है कि बच्चों के अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल न करने और उन्हें त्यागना एक अपराध है। यह अधिनियम यह भी कहता है कि बुजुर्ग माता-पिता अपने बच्चों और पोते-बच्चों से रखरखाव का दावा कर सकते हैं।
इस मामले में अंधेरी निवासी बुजुर्ग ने उपहार में दिए अपने बेटे को फ्लैट का ५०% हिस्से को रद कर दिया है | न्यायाधीशों ने कहा कि यह निहित था कि फ्लैट में ५० फीसद की हिस्सेदारी के हस्तांतरण के बाद बुजुर्ग पिता और उनकी दूसरी पत्नी की देखभाल की जाएगी।
बेटे और बहू पिता की देखभाल करने के लिए तैयार हैं। मगर, वे पिता की दूसरी पत्नी की सेवा करने के इच्छुक नहीं हैं। उपरोक्त परिस्थितियों में हमें ट्रिब्यूनल के आदेश (गिफ्ट में दी गई संपत्ति को रद करना) में कोई त्रुटि नहीं मिली है। इसलिए हम बुजुर्ग के बेटे की तरफ से लगाई गई इस याचिका को सुनने के इच्छुक नहीं हैं।