स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मक़सद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्त्व की जानकारी दी जाती है। स्तनपान दिवस का उद्देश्य मां के दूध की अहमियत को समझने एवं बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। मॉं का दूध बच्चों को बड़ी से बड़ी बिमारी से लड़ने में मदद करता है और उन्हे कई रोंगो से बचाता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्युदर में भारी गिरावट लाई जा सकती है। चिकित्सा के अनुसार बच्चें को शुरूआती छः माह तक मां के दूध का स्तनपान जरूरी है जिससे उसे शारीरिक विकास में वृद्धि एवं कई बिमारियों से बचाता है। विश्वभर में स्तनपान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अगस्त के प्रथम सप्ताह पर विश्व स्तनपान दिवस मनाया जाता है। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वाभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताऐं कराती हैं, परन्तु पहली बार माँ बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त हो जाते हैं।
विश्व स्तनपान सप्ताह, विश्वभर के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और स्तनपान कराने को प्रोत्साहित हेतु एक सौ सत्तर देशों से अधिक देशों में प्रतिवर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह (एक अगस्त से सात अगस्त) में मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य अनुकूल कार्यस्थल - स्तनपान स्थापन द्वारा कामकाज़ी महिलाओं के स्तनपान संबंधी अधिकारों के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता प्रसारित करना हैं। माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है। नवजात शिशु और बच्चे को सुरक्षा और स्नेह तथा पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इन सभी आवश्यकताओं स्तनपान को पूरा करता है। मां का दूध, बच्चे के सम्पूर्ण विकास हेतु पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है तथा बच्चे को छह महीने की अवस्था तक मां के दूध के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक आहार नहीं दिया जाना चाहिए। प्रत्येक माँ को स्तनपान कराने की तकनीकों जैसे कि स्तनपान कैसे कराएँ? और स्तनपान कब कराना चाहिए? तथा स्तनपान से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश के अनुसार, नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम, पीला,चिपचिपा/गाढ़ा माँ/स्तन का दूध संपूर्ण आहार होता है। स्तनपान कराना, जन्म के तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर ही शुरू किया जाना चाहिए। बच्चे को छह महीने की अवस्था तक स्तनपान कराने की सिफ़ारिश की जाती है। शिशु को छह महीने की अवस्था के बाद और दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए। यदि बच्चा ज़्यादा दूध पीता हैं, तो स्तन से ज़्यादा दूध पैदा करने की आवश्यकता होती हैं। यदि बच्चा दूध पीना बंद कर देता है अथवा बच्चा दोबारा कभी दूध नहीं पीता है, तो स्तन दूध पैदा करना बंद कर देता है।
बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ :
•बच्चे को स्तनपान/माँ के दूध से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और आवश्यक एंजाइम पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है।
•स्तन का दूध जल्दी और आसानी से पचता हैं।
•यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो कि बच्चे को भविष्य में कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाता हैं।
•यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
•यह मितव्ययी और संक्रमण से मुक्त होता हैं।
•स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक संबंध को मज़बूत/बढ़ाता है।
माँ के लिए स्तनपान के लाभ :
•यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर होने की संभावना को कम करता है।
•यह प्रसव से पहले खून बहना और एनीमिया की संभावना को कम करता है|
•यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है।
समाज के लिए लाभ :
•स्तनपान कराना बच्चों में मृत्यु/मृत्यु दर को कम करता है।
•स्तनपान करने वाले बच्चों में उत्कृष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता हैं तथा वे कई प्रकार की घातक की बीमारियों की रोकथाम में सक्षम बनते है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य के बजट में कमी आ सकती है।
स्तनपान से जुडी कुछ खासबातें :
1. स्तनपान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए बेहतरीन खाना है| मां के दूध में ऐसे कई फायदे हैं जो किसी भी फॉर्मूले से बने बाहरी दूध में नहीं दिए जा सकते सभी माएं अपने बच्चों को जन्म से ही स्तनपान कराती हैं ताकि बच्चे का विकास जल्दी शुरू हो जाए और उसे पर्याप्त दूध मिले|
2 .अगर आप स्तनपान कराती हैं, तो इसका कतई ये मतलब नहीं है कि आपको स्तन कैंसर नहीं हो सकता. यह पूरी तरह से एक भ्रम है!
3 .मां को बच्चे के मांगने पर दूध पिलाना चाहिए| अगर बच्चा रो रहा है ,उसको भूख लग रही है, अगर बच्चा डायपर बदलने पर भी असहज बना हुआ है, यहां तक कि गोद में लेने या गले लगाने पर भी रो रहा है- तब बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए| शुरुआती हफ्तों में, बच्चे को हर दिन एक से दो घंटे स्तनपान कराने की जरूरत होती है| धीरे-धीरे इस अंतर को तीन घंटा करें|
4 .सबसे पहला काम जो आपको करना है वो है आराम. इसलिए इस बात की चिंता न करें कि आप स्तनपान करा पा रही हैं या नहीं| दूसरा, ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें ताकि दूध बनाने के लिए आपके शरीर में पर्याप्त पानी बना रहे| तीसरा, सामान्य डाइट लें| सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, बच्चे को थोड़े-थोड़े समय पर फीड कराते रहें| ब्रेस्ट जितना ज्यादा खाली होगा उतना ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बनेगा|
5. ब्रेस्ट पंप्स उपयोगी और सुविधाजनक होते हैं| बस समस्या उसके टाॅप से होती है जब बच्चा शुरुआती कुछ हफ्तों में बोतल और ब्रेस्ट के बीच उलझन में पड़ जाता है|बोतल और ब्रेस्ट से दूध पीने का तरीका पूरी तरह अलग है और बच्चे को इससे उलझन हो जाती है|
6. दूध को ठंडा करने से ब्रेस्ट मिल्क के पोषण या प्रतिरक्षात्मक फायदों में किसी तरह का बदलाव नहीं आता है| हालांकि, उबालने से उसकी सारी पोषकता चली जाती है| इस बात का ख्याल रखें कि जब भी आप दूध को स्टोर करें तो उसे 24 घंटे के लिए फ्रिज में रखें| आप इसे 2-6 हफ्तों तक फ्रिज में रख सकते हैं| लेकिन, बच्चे को ठंडा दूध न पिलाएं. दूध पिलाने से पहले ठंडक को धीरे-धीरे कम होने दें और उसे हल्का गर्म कर लें|