प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को स्वदेशी आंदोलन की 115 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए इसे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित किया | 7 अगस्त 2015 को पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया था |
7 अगस्त को भारत के इतिहास में इसके विशेष महत्व के कारण चुना गया है| यही वह दिन था जब 1905 में स्वदेशी आंदोलन लॉन्च किया गया था। स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा 7 अगस्त, 1 9 05 को कलकत्ता टाउन हॉल में एक बड़ी बैठक में हुई थी। भारत सरकार ने 7 अगस्त को इस साल की याद में राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस घोषित कर दिया है। आंदोलन के मुताबिक, उत्पादों को देश में उत्पादित सामग्रियों से निर्मित किया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने चेन्नई में एक समारोह में इंडिया हैंडलूम नामक एक ब्रांड भी लॉन्च किया जो वैश्विक बाजारों में बुनाई को पूरा करेगा। भारत दुनिया में लगभग 95 प्रतिशत हाथ से बुने हुए कपड़े निर्यात करता है।
भारत में ही, हैंडविविंग भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक को कवर करता है और यह लगभग 43 लाख बुनकरों को रोजगार प्रदान करता है। आंदोलन को चिह्नित करते हुए नरेंद्र मोदी ने नागरिकों को हैंडलूम उत्पादों का अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि खपत में पांच प्रतिशत की निश्चित वृद्धि से हैंडलूम बाजार में मदद मिलेगी और राजस्व 33 प्रतिशत से अधिक बढ़ेगा | नेशनल हैंडलूम डे का पालन और हैंडलूम बुनकरों का सम्मान न केवल भारत के हैंडलूम उद्योग को बढ़ावा देगा बल्कि अच्छी गुणवत्ता के वास्तविक अंतरराष्ट्रीय उत्पाद के रूप में हैंडलूम को बढ़ावा देने के लिए भी काम करेगा।
भारत, दुनिया की बेहतरीन कपड़ा परंपराओं में से एक है। भारत का हथकरघा उद्योग हमारी सभ्यता के जितना ही पुराना है| हैंडलूम हमारी पीढ़ीयो की विरासत का एक बहुमूल्य हिस्सा है और हमारे देश की समृद्धि और विविधता एवं हमारे बुनकरों की कलाकृति का उदाहरण देता है।
हाथ से बुनाई की परंपरा देश के सांस्कृतिक आचारों का एक हिस्सा है। हैंडलूम सेक्टर की हमारी अर्थव्यवस्था में एक अद्वितीय जगह है। इस कौशल को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक स्थानांतरित करके निरंतर बनाए रखा गया है। इस क्षेत्र की ताकत इसकी विशिष्टता, उत्पादन के लिए लचीलापन, नवाचारों के लिए खुलेपन, आपूर्तिकर्ता की आवश्यकताओं के लिए अनुकूलता और इसकी परंपरा की संपत्ति में निहित है।
राष्ट्रीय पुरस्कार : उत्कृष्ट हैंडलूम बुनकरों को हर साल २० राष्ट्रीय पुरस्कार और २० राष्ट्रीय योग्यता प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार में एक प्रमाणपत्र, अंगवास्त्रम, तांबे की पट्टिका और एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है। राष्ट्रीय योग्यता प्रमाण पत्र में प्रमाण पत्र और 50,000 रूपए की नकद पुरस्कार राशि शामिल होती हैं।
संत कबीर पुरस्कार : यह पुरस्कार 2009 से उत्कृष्ट हैंडलूम बुनकरों को प्रदान किया जा रहा है जो हथकरघा विरासत को जीवित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है और अतीत, वर्तमान के बीच संबंध बनाने में उनके समर्पण के लिए भी| प्रत्येक पुरस्कार में एक सोने का सिक्का, तमप्रत्र, एक शॉल और एक उद्धरण होता है। इसके अलावा, प्रत्येक संत कबीर पुरस्कार विजेता को नवाचार करने के लिए 6. 00 लाख रुपये की सीमा तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है|
सरकार ने बुनकरों के सुधार के लिए हठकरघा संवर्धन सहयाता योजना और मुद्रा योजना भी शुरू की है|
हठकरघा संवर्धन सहयाता योजना के मुताबिक, भारत सरकार नए लूम की लागत का 90% बेयर कर के बुनकरों की सहायता करेगी| मुद्रा योजना के अनुसार, बुनकरों को 50,000 से 10 लाख तक के लोन के लिए कोई सिक्योरिटी बैंक को नहीं देनी पड़ेगी | कपड़ा मंत्रालय और डिजाइनरों के के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। जिसके तहत, प्रतिष्ठित वस्त्र डिजाइनर हैंडलूम बुनकरों के साथ काम करेंगे|
वस्त्र मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के साथ एमओयू साइन किया है और जिसके अनुसार बुनकरों के बच्चे स्कूल और विश्वविद्यालय शिक्षा का लाभ उठा सकेंगे (75% फीस भारत सरकार द्वारा दी जाएगी) |
भारत की कुल बुनाई आबादी का 50% से अधिक उत्तर पूर्वी क्षेत्र में रहता है और जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं |अगर सरकार बुनकरों की जीवन शैली में सुधार करने में सफल रहती है तो यह विभिन्न उत्तर पूर्वी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाएगी |
केंद्र सरकार ने बुनकरों की समस्याओं के समाधान हेतु बुनकर मित्र हेल्प लाइन सेवा की शुरूआत भी की है| हफ्ते के सातों दिन बुनकर मित्र हेल्पुलाइन सेवा सुचारु रहती है|कोई भी बुनकर , बुनकर मित्र हेल्पुलाइन सेवा पर फोन करके शिकायत दर्ज करवा सकता है और तीन दिन में समस्या का समाधान हो जाता है | जो भी बुनकर और बुनकर के परिजन स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरा करना चाहते हैं उनके लिए भारत सरकार फीस का 75 प्रतिशत देगी | असम सरकार ने भी एक महत्वाकांक्षी मूगा मिशन की घोषणा की है| जिस के लिए सौ करोड़ रूपए की लागत दर्ज कि गई हैं| असम के बुनकर जो पैट और मूंगा रेशम के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं| वे भी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस से और योजनाओ से और अधिक लाभ प्राप्त कर सकेगे |
सरकार द्वारा अतीत में बुनकरों के लिए की गई पहल:
1. कपड़ा उद्योग और हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने वस्त्रों और अन्य उत्पादों के आयात में वृद्धि की है|
2. सरकार ने 13 हवाई अड्डों और 14 समुद्री बंदरगाहों की सुविधा के जरिए आयात और निर्यात कुशल बना दिया है|
3. वस्त्र मंत्रालय ने उत्तर पूर्व क्षेत्र (एनईआर) में भू-तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दे दी है, जो देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय व्यय को लाभान्वित करेगी |
4. कपड़ा मंत्रालय ने अपने उत्पादों को बेचने के लिए हैंडलूम बुनकरों को एक ऑनलाइन मंच प्रदान करने के लिए फ्लिपकार्ट ( ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं|
5. नरेंद्र मोदी ने व्यापार सुविधा केंद्र और क्राफ्ट संग्रहालय की आधारशिला भी रखी।
हथकरघा दिवस को मनाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के महत्व को समझाना है। इसी के साथ देश में हथकरघा का प्रसार करना भी इसके उद्देश्यों में से एक है और साथ ही बुनकरों की आय में वृद्धि और उनके भीतर गर्व की भावना बढ़ाना भी इसका लक्ष्य है।