प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को विश्व जैव-ईंधन दिवस के रूप में मनाया जाता है| "विश्व जैव ईंधन दिवस" का उद्देश्य गैर जीवाश्म
ईंधन (ग्रीन ईंधन) के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
इस दिन 18 9 3 में,
पहली बार सर
रूडल्फ डीजल (डीजल इंजन
के आविष्कारक) ने
सफलतापूर्वक मूंगफली के तेल
के साथ यांत्रिक
इंजन चलाया। उनके शोध प्रयोग के बाद उन्होंने
भविष्यवाणी की थी कि अगली शताब्दी में जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिए वनस्पति तेल का उपयोग किया जायेगा और विभिन्न यांत्रिक इंजनों में ईंधन का काम करेगा | इस असाधारण उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए, विश्व जैव ईंधन दिवस हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है|
जैव
ईंधन, अक्षय, जैव-गिरावट
योग्य, टिकाऊ और
पर्यावरण
के
अनुकूल ईंधन
हैं|
इसे पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है| भारत के मामले में
इसका प्रचार और प्रोत्साहन ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं
और जीवाश्म ईंधन के आयात को कम करने और विदेशी मुद्रा को बचाने में भी मदद कर सकता हैं|
वर्तमान में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम को भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है| इस मामले में इथेनॉल की
उपलब्धता के आधार पर पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रित किया जाता है जिसमें अनुमत
सीमा पांच से दस प्रतिशत तक ही होती है। भारत में परिवहन के लिए
विभिन्न तरीकों से जैव-डीजल का उपयोग किया जाता है जैसे रेलवे, शिपिंग और राज्य सड़क
परिवहन निगम आदि |
2017 में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि जैव ईंधन कार्यक्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न राज्यों में देश के 100 जिलों में "विश्व जैव ईंधन दिवस" मनाया जाएगा | ये जागरूकता अभियान 11 से 14 अगस्त 2017 के बीच चलाया गया था | यह उल्लेखनीय है कि बायो एनेर्जी के क्षेत्र में विभिन्न पहलों को जारी रखने के लिए , भारत सरकार ने पुणे में 7 से 8 जुलाई 2017 को "बायोनेर्जी उर्जा उत्सव" मनाया जो कि भारत में बायो एनेर्जी का सबसे बड़ा इवेंट था | भारत जैव ईंधन के विकास की बड़ी संभावना प्रदान करता है|
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने उल्लेख किया था की अगले 10 वर्षों में भारत में जैव ईंधन कारोबार की वर्तमान संभावना 6500 करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। देश में परिवहन तथा घरेलु उपयोग की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 80 प्रतिशत तेल आयात की आवश्यकता होती है।
प्रधान मंत्री जी ने 2022 तक कच्चे तेल में 10 प्रतिशत आयात में कमी का लक्ष्य निर्धारित किया है और लक्ष्य प्राप्त करने में जैव ईंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।
घरेलू खाद्य भंडार के द्वारा ईंधन खपत प्रोफाइल से जैव ईंधन में स्थानांतरित करने से कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। पिछले कुछ सालो में, इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम, बायो डीजल के साथ-साथ बायो वेस्ट को उपयोग में ले कर आने के लिए ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए बहुत सारे काम किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें अधिक तेज़ी से किया जाना चाहिए।
भारत की ऊर्जा खपत बहुत तेजी से बढ़ रही है और ऊर्जा खपत के मामले में यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है। जैव ईंधन कार्यक्रम में किसानों के लिए बेहतर पारिश्रमिक, पर्यावरण संबंधी चिंताओं को कम करने, आयात पर निर्भरता में कमी, विदेशी मुद्रा बचत में सहायता करने की क्षमता है। जैव ईंधन आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं क्योंकि वे मानव उत्पन्न कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने और प्रदूषण को कम करने के लिए एक स्थायी तरीका प्रदान करेंगे। भारत में इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती जैव-ईंधन उत्पादन संयंत्रों के लिए फीड स्टॉक की स्थायी उपलब्धता है। जैव डीजल मिश्रण कार्यक्रम जो 10 अगस्त 2015 को 5 शहरों में में शुरू किया गया था और अब 6 राज्यों तक बढ़ा दिया गया है और देश में लगभग 2200 खुदरा दुकानों के माध्यम से बायो - डीजल मिश्रित डीजल बेचा जाता है। सरकार ने वैकल्पिक मार्गों से इथेनॉल के उत्पादन की भी अनुमति दे दी है। जैव ईंधनों के प्रयोग के लिए रोड मैप बनाने से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और जैव ईंधनों को बढावा देने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे , आर्थिक विकास होगा, किसानों को मदद मिलेगी तथा देश में ऊर्जा संकट से छुटकारा पाने में भी मदद मिलेगी। भारत में मंत्रालय जल्दी ही जैव ईंधन नीति ले कर आएगा । इस नीति में सरकार की भूमिका और निवेश से प्राप्ति, न्यूनतम गारन्टी आदि जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा जायेगा | हाल ही में, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय को जैव ईंधन नीति की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। जिस से दोनों पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय जैव ईंधन के अधिक प्रयोग के लिए मिलकर काम करेंगे। जैव ईंधन एक कम खर्चीला ईंधन है और यह एक पर्यावरण अनुकूल पराम्परागत ईधन है|
जैव ईंधन से प्रदूषण तो कम होगा ही लेकिन इस के अलावा कृषि अवशेष, बांस जैसे पौधों, अखाद्य तेल बीजों या शहरी अवशेष द्वारा देशी तरीके से तैयार जैव ईधन से देश के भारी आयात को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पूर्व - उत्तर तथा देश की बंजर भूमि सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था में समृद्धि आएगी और साथ ही जैव ईंधन नीति से देश में सामाजिक और आर्थिक विकास में बहुत मदद मिलेगी और जो एक बहुत बडा मील का पत्थर साबित होगा । सरकारी कम्पनियों द्वारा लगभग 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है जिस से पूरे देश में दूसरी पीढी के (2 जी) जैव ईंधन शोधक कारखानों के अनुसंधान तथा अभिकल्प में मदद मिलेगी | शहरी तथा ग्रामीण अवशेष को ईंधन में बदलने के लिए और बेकार बंजर भूमि को 2 जी जैविक ईंधन के लिए कच्चे माल की खेती के लिए उपयुक्त बनाने के तरीके तलाशे जा रहे है | वर्तमान समय में बायो डीजल पर जीएसटी 18 प्रतिशत है| सस्ते तथा हरित जैव ईंधनों तथा बिजली पर आधारित जन परिवहन बढ़ाने के बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं क्योकि भारत में सस्ते
तथा हरित जैव ईंधनों तथा बिजली पर आधारित जन परिवहन बढ़ाने के बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं क्योकि भारत में वाहन
वृद्धि अरक्षणीय 22 प्रतिशत है।
जैव ईंधन
एक नवीकरणीय ईंधन है|