एक ऐसी महिला आईएएस ऑफिसर जो सिटी बजवाकर खुले में शौच रुकवाती हैं तो कभी अपनी गाड़ी से घायल बच्चे को हॉस्पिटल में दाखिल कराने के बाद स्वयं अपने वाहन समेत चालक को भी पुलिस के हवाले कर देती हैं. हम बात कर रहे हैं आईएएस डॉ प्रियंका शुक्ला की जो अपनी कार्यशैली से सिर्फ सुर्खियों में ही नहीं बनी रहतीं हैं बल्कि ड्यूटी को बेहतर अंजाम देने के नाते राष्ट्रपति से वह दो बार सम्मानित भी हो चुकी हैं. ये अपने जिले के युवाओं का रोल मॉडल बन चुकी हैं.
2009 बैच की आईएएस
भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2009 बैच की आईएएस एवं छत्तीसगढ़ के जिला जशपुर का प्रशासन चला रहीं महिला आईएएस डॉ प्रियंका शुक्ला अपनी अनूठी कार्यशैली से लोगों के बीच काफी ज्यादा सुर्खियों में बनी रहती हैं. डॉ शुक्ला ने बारहवीं पास करने के बाद वर्ष 2006 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. जिन दिनों वह डॉक्टरी की इंटर्नशिप कर रही थीं, एक महिला प्रतिदिन लखनऊ के स्लम एरिया की एक महिला अपने बच्चों का चेकअप करवाने पहुंच जाती थी.
प्रियंका शुक्ला जशपुर की पहली महिला कलेक्टर हैं
प्रियंका शुक्ला जशपुर (छत्तीसगढ़) की पहली महिला कलेक्टर हैं. उन्होंने 8 अप्रैल 2016 को इस माओवाद प्रभावित जिले की लगाम थामी थी. ड्यूटी ज्वॉइन करते ही उऩके साथ एक अनहोनी हुई. एक दिन वह दौरे पर जशपुरनगर से दुलदुला गांव की ओर जा रही थीं. भींजपुर गांव के पास चम्बा बाई का छह वर्षीय पुत्र रोशन उनकी गाड़ी के सामने आ गया. ड्राइवर ने गाड़ी मोड़ी, तब तक वह गंभीर रूप से घायल हो चुका था. घटना के बाद कलेक्टर अपने पद का फायदा उठाती हुई वहां से चुपचाप गायब हो सकती थीं, लेकिन एक ग्रामीण की मदद से वह बच्चे को लेकर अस्पताल चली गईं.
…अपनी गाड़ी और ड्राइवर को पुलिस के हवाले कर दिया
स्वयं उसको आईसीयू में एडमिट कराया. इसके बाद थाने जाकर अपनी गाड़ी और ड्राइवर को पुलिस के हवाले कर दिया. दोबारा पुनः अस्पताल लौटकर देर तक बच्चे की स्थिति का जायजा लेती रहीं. जशपुर का कलेक्टर होने से पहले डॉ शुक्ला राजनांदगांव जिला पंचायत की सीईओ, कौशल विकास अभिकरण तथा राज्य परियोजना आजीविका कॉलेज सोसायटी की मुख्य कार्यपालन अधिकारी रह चुकी हैं. जिस वर्ष उन्होंने जिले के कलेक्टर का कार्यभार संभाला था, एक दिन अचानक वह कैंप लगवाकर स्टॉफ के सभी लोगों का मेडिकल चेकअप कराने लगीं.
चार सौ अफसरों और कर्मचारियों को अपने साथ मॉर्निंग वॉक पर ले जाने लगीं
मेडिकल जांच रिपोर्ट में पता चला कि उनमें कई अफसर और स्टॉफ के लोग तो तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं. कोई ब्लड प्रेसर से त्रस्त है तो कोई मधुमेह का मरीज. उसी दिन उन्होंने निश्चय किया कि अब वह स्वयं अपने सभी मातहतों को एक साथ मॉर्निंग वॉक कराएंगी. उनका मानना था कि अफसर और स्टाफ के लोग स्वस्थ रहेंगे तो शासन-प्रशासन काम-काज बेहतर तरीके से होगा. इसके बाद वह रोजाना जिले के लगभग चार सौ अफसरों और कर्मचारियों को अपने साथ मॉर्निंग वॉक पर ले जाने लगीं. कई किलोमीटर तक पैदल चलने के दौरान स्टाफ के कई लोगों का दम फूलता रहा है.
डॉ प्रियंका शुक्ला कई नेशनल अवार्ड्स से सम्मानित
डॉ प्रियंका शुक्ला कई नेशनल अवार्ड्स से सम्मानित हो चुकी हैं. वर्ष 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने उन्हें ‘सेंसस सिल्वर मैडल’ से सम्मानित किया था. वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों में मतदान के लिए जागरूकता फैलाने पर चुनाव आयोग से स्पेशल अवार्ड और लोकसभा इलेक्शन 2014 के लिए एप्रिसिएशन लेटर मिला. राजनांदगांव जिले में साक्षरता के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए भी वह राष्ट्रपति से अवार्ड पा चुकी हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल द्वय शेखर दत्त और बलरामदास टंडन भी उन्हें अवार्ड दे चुके हैं. डॉ शुक्ला मूलतः उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं.
पिता का तबादलाशुदी नौकरी थी
उनके पिता का तबादलाशुदी नौकरी थी, जिससे छात्र जीवन में उन्हें परिवार के साथ अलग-अलग शहरों में रहना पड़ा. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हरिद्वार और रानीपुर (उत्तराखंड) में हुई. बचपन हरिद्वार में बीता. वहां उनके पापा सरकारी नौकरी में थे. उन दिनों जब भी वह अपने पापा के साथ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के ऑफिस से गुजरा करतीं, उनके पापा डीएम की नेम प्लेट दिखाकर उनसे कहते कि वे उस जगह पर उनका नाम देखना चाहते हैं. इस बात से भी उन्हें आईएएस बनने का सपना देखने की प्रेरणा मिली. आईएएस के इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि वह मेडिकल छोड़कर सिविल सर्विसेस में क्यों आना चाहती हैं? उनका जवाब था कि आईएएस में सेलेक्ट नहीं होने की कंडीशन में उन्हें जॉब के लिए एक प्रोफेशनल डिग्री चाहिए थी. उनकी प्राथमिकता तो आईएएस ही बनना है.
क्या तुम कोई कलेक्टर हो, जो मैं तुम्हारी बात मानूं
डॉ शुक्ला ने बारहवीं पास करने के बाद वर्ष 2006 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. जिन दिनो वह डॉक्टरी की इंटर्नशिप कर रही थीं, एक महिला प्रतिदिन लखनऊ के स्लम एरिया की एक महिला अपने बच्चों का चेकअप करवाने पहुंच जाती थी. उसके बच्चे पेट की बीमारियों से परेशान रहते थे. महंगी दवाइयां लिखने की जगह वह हर बार उसे पानी उबालकर पीने की सलाह दे देती थीं. उसी दौरान एक दिन जब वह स्लम एरिया का इंस्पेक्शन करने पहुंचीं तो उस महिला को उन्होंने गंदा पानी पीते देख लिया. उन्होंने महिला को डांटा कि तुम आखिर मेरी बात क्यों नहीं मान रही, क्यों इतना गंदा पानी पी रही हो? उस महिला ने खुद की गलती मानने की बजाए कहा कि ‘क्या तुम कोई कलेक्टर हो, जो मैं तुम्हारी बात मानूं.’
उसकी वह बात डॉ शुक्ला को चुभ गई
उसकी वह बात डॉ शुक्ला को चुभ गई. तभी उनको एहसास हुआ कि वही गलती पर हैं. सचमुच वह कलेक्टर तो नहीं ही हैं. उन्होंने ही मन ही मन सोचा कि जब किसी से अपनी बात मनवानी हो तो पहले खुद को उतना ऊंचा उठाना होगा कि वह साधिकार उनकी बात को गंभीरता से ले सके. एमबीबीएस कम्पलीट कर लेने के बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं. उनका साल वर्ष 2009 में थर्ड अटैम्प्ट में उनका सेलेक्शन हो गया. दो साल मसूरी (उत्तराखंड) में ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के सरायपाली में एसडीएम पद पर हुई.
एक कलेक्टर का माओवादियों ने अपहरण कर लिया था
अपना यह अनुभव डॉ शुक्ला ने हाल ही में मीडिया से उस वक्त साझा किया, जब राज्य की बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल के टॉपर यागेश सिंह चौहान को सम्मानित कर रही थीं. डॉ शुक्ला अपने ढंग से राज-काज चलाकर लोगों की सहानुभूति बटोरती रहती हैं. जशपुर वही जिला है, जहां वर्ष 2012 में यहां के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल का माओवादियों ने अपहरण कर लिया था और उनके अंगरक्षक की हत्या कर दी थी. उल्लेखनीय है कि टीवी पर खुले में शौच रोकने का प्रचार करने वाली अभिनेत्री विद्या बालन के विज्ञापन की इंस्पिरेशन डॉ शुक्ला ही हैं.
जिले में खुले में शौच करने पर रोक के लिए एक अनूठा सा प्रयोग किया
उन्होंने जिले में खुले में शौच करने पर रोक के लिए एक अनूठा सा प्रयोग किया. उन्होंने ताकीद कर दी कि जिसे भी खुले में शौच करते देखें, सीटी बजाएं. इसकी जशपुर से शुरुआत हुई और ये मुहिम पूरे राज्य में चल पड़ी. कलेक्टर डॉ शुक्ला के प्रयोगों से जशपुर की युवा पीढ़ी काफी प्रभावित हैं. जिले के दुलदुला विकासखंड गांव आमाडीपा की महेश्वरी साय उनकी ही तरह आईएएस बनकर देश और समाज की सेवा करना चाहती हैं. माहेश्वरी ने अभी इसी साल हाईस्कूल की मेरिट लिस्ट में पांचवां स्थान हासिल किया है. माहेश्वरी कलेक्टर डॉ शुक्ला से मिल भी चुकी हैं. उनके जैसे कई एक स्टुडेंट डीएम की बेहतर कार्यशैली से प्रभावित रहते हैं.
Source: live cities
400 अफसरों को अपने साथ मॉर्निंग वॉक पर ले जाने वाली महिला IAS अफसर, युवाओं की हैं रोल मॉडल