तकनीक के मामले में दुनिया में अलग पहचान रखने वाले जर्मनी ने ‘पानी’ से चलने वाली ट्रेन का सफल संचालन शुरू किया है। इस ट्रेन को 100 किमी के एक रूट पर दौड़ाया जाएगा। फ्रांस में निर्मित इस ट्रेन को जर्मनी के लोवर सैक्सोनी के ब्रेमरवोर्डे में चलाया गया। यूरोप की सबसे बड़ी रेल कंपनी Alstom ने जर्मनी के साल्जगिटर में Coradia iLint नामक इंजन का निर्माण किया है।
इस इंजन में फ्यूल सेल्स लगे हैं जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को इलेक्ट्रिसिटी में कन्वर्ट करते हैं। 17 सितंबर यानी सोमवार से ऐसी दो ट्रेनों का कमर्शियल सेवा यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल शुरू किया गया है। इसका किराया बहुत सस्ता है। दरअसल, Alstom के दो वैज्ञानिकों ने इस ट्रेन इंजन का विकास किया है। यह हाइड्रोजन ऊर्जा से चलता है। पानी का रासायनिक तत्व हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होता है। दो हिस्सा हाइड्रोजन और एक हिस्सा ऑक्सीजन के मिश्रण से पानी बनता है, जिसे हम रासायन शास्त्र में H2O फॉर्मूला के रूप में जानते हैं।
यह इंजन 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। यह धुंआ की जगह भाप और पानी का उत्सर्जन करता है। हालांकि यह तकनीक महंगा है लेकिन इसका परिचालन पारंपरिक डीजल इंजनों की तुलना में काफी सस्ता है। Alstom के मुताबिक ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क, नार्वे, इटली और कनाडा ने इस तकनीक को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
इको फ्रेंडली इस तकनीक से पारंपरिक रूप से डीजल से चलने वाले ट्रेन इंजन को नई चुनौती मिल सकती है। हालांकि, यह तकनीक अभी काफी महंगा है और भारत जैस देश को इसको खरीदना काफी महंगा साबित हो सकता है। Alstom ने अभी दो Coradia iLint इंजनों का निर्माण किया है। इन्हीं दो इंजनों से सोमवार को दो ट्रेनें चलाई जा रही हैं। कंपनी की योजना जर्मनी के कुक्सहैवेन और बुक्स्टेहुड के बीच 100 किमी के ट्रैक पर पारंपरिक डीजल इंजनों की जगह इस ट्रेन को चलाने की है।
जर्मनी की योजना 2021 तक लोवर सैक्सोनी में 14 हाइड्रो इंजन ट्रेने चलाने की है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अन्य देशों ने भी इस तकनीक को हासिल करने की इच्छा जताई है। इस नई ट्रेन की छत पर एक हाइड्रोजन टैंक और फ्यू सेल्स लगे हुए हैं। ये पानी और हाइड्रोजन को मिलाकर बिजली पैदा करते हैं। कंपनी ने बताया कि इस तरह पैदा अतिरिक्त ऊर्जा को इयॉन लिथियम बैटरियों में संचित किया जाएगा।
Source: Live Bihar