कृष्ण पुराण की कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ माखन की चोरी किया करते थे। भगवान कृष्ण ऊपर चढ़कर पास-पड़ोस के घरों में मटकी में रखा दही और माखन चुराया करते थे।जब वे गोकुल के घरों में मटकियां फोड़ने का प्रयास करते थे, तो महिलाएं उन्हें रोकने के लिए पानी फेंकती थी। कान्हा के इसी रूप के कारण बड़े प्यार से उन्हें ‘माखनचोर’ कहा जाता है। हांडी फोड़ने वाले बच्चे को ‘गोविंदा’ कहा जाता है, जो ‘गोविंद’ का ही दूसरा नाम है।
गोविंदा वो ही होता है जो अंत तक हार नहीं मानता, इसलिए ये खेल होता है, ताकि लोग ये समझें कि किसी भी चीज को पाने के लिए निरंतर मेहनत करनी होती है जो मौके का लाभ उठाता है और प्रयत्न करता है वो ही जीतता है, इसलिए लोग दही-हांडी को फोड़कर असली में गोविंदा बनते हैं।
कई राज्यों में दही-हांडी की प्रथा के साथ जन्माष्टमी मनाया जाता है. इस दौरान लड़कों का समूह एक ग्राउंड में इकट्ठा होता है और वह समूह पिरामिड बनाकर जमीन से कुछ फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ता है. इसका काफी महत्व भी है.