“वहां माइनस डिग्री टेम्प्रेचर में फौजी खड़े हैं और तुम चाय में एक्स्ट्रा शुगर मांग रहे हो?” हमारे आस पास के ज्ञानी और सुधीजन फौजियों को थैंक्यू करने के लिए यही शब्द इस्तेमाल करते हैं. अपने दावे को सही साबित करने का अगर हल्का सा भी क्लू हाथ लगता है, तो उसे जाने नहीं देते. जैसे ये तस्वीर मिल गई. ये एक सैनिक की फोटो है जिसके पैर बुरी तरह कट फट चुके हैं. ये तस्वीर निम्नलिखित कैप्शन के साथ घूम रही है. “बहादुर भारतीय फौजी का पैर सियाचिन की बर्फ में बुरी तरह जख्मी हो चुका है. उसके चेहरे पर फिर भी मुस्कान है.”
एक और है मितरों
अगर इत्तेफाक या शर्म की वजह से ये तस्वीरें डिलीट हो जाएं तो स्क्रीनशॉट पेश हैं.
दूसरा भी
इतने सारे लाइक्स और शेयर्स देखकर तय कर लो कि पगलुओं की जनसंख्या कितनी है. मामला ये है कि तस्वीर असली है. उसमें मुस्कराता हुआ फौजी भी असली है, लेकिन वो सियाचिन में नहीं खड़ा था. ये पिछले साल की तस्वीर है जो इंस्टाग्राम पर अपलोड की गई थी. ये फोटो उसी आदमी की है जिसने अपलोड की, ये तो क्लियर नहीं है. लेकिन उसके साथ भी कुछ अच्छा नहीं हुआ है. कमेंट में एक सज्जन लिखते हैं कि फौजी बूटों में लंबी दूरी तक लगातार दौड़ने या ऊंचे चढ़ने की वजह से ऐसा हुआ है. ऐसी हालत में हर कुछ मील बाद आपको जूतों से पैर बाहर निकालने होते हैं और मोजे बदलने होते हैं, नहीं तो पसीने की वजह से ऐसा हाल होता है. थैंक्यू अनऑफिशियल सुब्रमण्यम स्वामी, पब्लिक तक सच्चाई लाने के लिए.
जैसा कि आपको पता चल ही गया होगा कि फ़ेक इतना ज्यादा हो गया है कि नेक को कोई पूछ ही नहीं रहा. आप पर है, अपने विवेक से चुन लो.